यादग़ार लम्हेंः “इक कुड़ी जिदा नाम महोब्बत ग़ुम है”… : शिव कुमार बटालवी Post author:Manusmriti Lakhotra Post published:22nd February 2020 Post category:यादगार लम्हें पंजाबी साहित्य के स्वर्णिम इतिहास के पन्नों को यदि पलटकर देखा जाए तो उसमें से एक नाम शिव कुमार बटालवी है… जिन्हें ‘बिरहा का सुल्तान’ या ‘पंजाबी कविता का ध्रुवतारा’ कहकर पुकारा जाता है। शिव कुमार बटालवी एक ऐसे कवि हैं जिनकी यादगार रचनाएं आज भी उतनी ही नयीं है जितनी उस वक्त थी जब ‘बिरहा का वो सुल्तान’ कलम से दिल के शीशे पर अपनी पीड़ा बयां किया करता था तब कहीं जाकर उसमें से नायाब और बेशकीमती गीत तैयार होता था…..उनके गीत पीड़ा को पूरी तरह से महसूस करने का अवसर देते हैं…..उनकी कविताएं ग़म के नशे में सराबोर नशीली सी झूमती हैं….शायद यही उनकी कविता की खूबसूरती भी है जो मन की गहराईयों में छुपी पीड़ा को खोज कर मुखर कर देती हैं। हिज़्र के ज़हर से भी मिलन का अनुभव करवा देती है… Tags: # Punjabi # Poet # Shiv kumar Batalvi # Love # Romance # Sadness # शिव कुमार बटालवी # प्यार # विरह You Might Also Like यादग़ार लम्हेंः उनकी मखमली और भारीपन लिए हुए आवाज़ में प्यार के दर्द को बयां करने का एक ऐसा तिलिस्म था जिसने भी सुना वो ठगा रह गया ! 16th July 2019 Poetry Breakfast: “घुँघर वाली झेनू वाली झुन्नू का बाबा, किस्सों का कहानियों का गीतों का चाबा”: “पोटली बाबा की” 30th November 2018 यादग़ार लम्हेंः जिनकी आवाज़, संगीत और धुन के बिना 1987 में आयी रामायण का ज़िक्र अधूरा है, वो हैं महान संगीतकार रविन्द्र जैन 3rd March 2020
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