You are currently viewing यादग़ार लम्हेंः “इक कुड़ी जिदा नाम महोब्बत ग़ुम है”… : शिव कुमार बटालवी

यादग़ार लम्हेंः “इक कुड़ी जिदा नाम महोब्बत ग़ुम है”… : शिव कुमार बटालवी

पंजाबी साहित्य के स्वर्णिम इतिहास के पन्नों को यदि पलटकर देखा जाए तो उसमें से एक नाम शिव कुमार बटालवी है… जिन्हें ‘बिरहा का सुल्तान’ या ‘पंजाबी कविता का ध्रुवतारा’ कहकर पुकारा जाता है। शिव कुमार बटालवी एक ऐसे कवि हैं जिनकी यादगार रचनाएं आज भी उतनी ही नयीं है जितनी उस वक्त थी जब ‘बिरहा का वो सुल्तान’ कलम से दिल के शीशे पर अपनी पीड़ा बयां किया करता था तब कहीं जाकर उसमें से नायाब और बेशकीमती गीत तैयार होता था…..उनके गीत पीड़ा को पूरी तरह से महसूस करने का अवसर देते हैं…..उनकी कविताएं ग़म के नशे में सराबोर नशीली सी झूमती हैं….शायद यही उनकी कविता की खूबसूरती भी है जो मन की गहराईयों में छुपी पीड़ा को खोज कर मुखर कर देती हैं। हिज़्र के ज़हर से भी मिलन का अनुभव करवा देती है…