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Blog: कोरोना का खौफ़ः आज विश्व भारतीय जीवन पद्धति को क्यों अपना रहा है ? विदेशों में हल्दी और तांबे के बर्तनों की डिमांड क्यों बढ़ी ? जानिए

आज से हज़ारों वर्ष पहले से ही हमारे ऋषि-मुनियों ने भारतीय जीवन दर्शन, पद्धति, खान-पान, रहन-सहन को कुछ इस तरह से रेखाबद्ध व नीतिबद्ध किया, कि जिसके नक्शेक़दम पर चलकर आज भी हम अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए कई तरह के अचूक उपाय कर रहे हैं….एक बार फिर से कोरोना जैसे ख़तरनाक वायरस से लड़ने के लिए वेदों में रचित भारतीय जीवन पद्धति को सभी देश अपना रहे हैं चाहे वो तांबे (कॉपर) के बर्तनों में रखे जल का उपयोग हो, हल्दी का सेवन हो, अग्निहोत्र हो, दाह संस्कार हो या फिर नमस्ते करना ही क्यों न हो…?

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हमारे देश में हवन (अग्निहोत्र), यज्ञ करने की परंपरा भी सदियों पुरानी है। अग्निहोत्र करने से आसपास का वातावरण शुद्ध होता है। वातावरण में बीमारी फैलाने वाले कीटाणु मर जाते हैं। हवा शुद्ध होती है, सकारात्मकता आती है। इसलिए इन दिनों अपने घर की शुद्धि बढ़ाने के लिए अग्निहोत्र करते रहें।

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ग़ौरतलब है कि भारतीय रसोई में खाना पकाने के लिए कई तरह के मसालों और वनस्पति का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि हमारे खान-पान का हिस्सा भी है…आंकड़े बताते हैं कि इन दिनों कोरोना के डर से पश्चिम देशों में हल्दी की मांग बहुत अधिक बढ़ गई है…”इकोनोमिक्स टाइम्स की रिर्पोर्ट के अनुसार अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाने वाली हल्दी की मांग में यूरोप और वेस्ट एशिया में 300 प्रतिशत तक बढोतरी हुई है, तो वहीं इंग्लैंड और जर्मनी में यह बढ़ौतरी सबसे ज्यादा हुई है”

आज भारतीय जीवन दर्शन, चिकित्सा पद्धति व आयुर्वेद की ओर पूरा विश्व एकमात्र उम्मीद लिए टकटकी लगाए देख रहा है….।

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अपने औषधीय गुणों के कारण हल्दी का इस्तेमाल जहां रोग-प्रतिरोधक क्षमता में इज़ाफा करता है तो वहीं इसका इस्तेमाल स्वादिष्ट व्यंजन बनाने, त्वचा व शारीरिक रोग, चोट, चर्म रोग, सौंदर्य एवं धार्मिक व मांगलिक कार्यों के लिए किया जाता है। इन दिनों डॉक्टर्ज़ द्वारा खांसी होने पर गर्म पानी में हल्दी उबालकर गरारे करने की सलाह भी दी जा रही है।

दूसरी ओर हज़ारों वर्ष पहले से ही पीतल व तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल भारतीय सभ्यता में होता आ रहा है। तांबे के बर्तनों में पानी पीने का चलन हमारे देश में आज भी है। आयुर्वेद भी तांबे के बर्तनों में पानी पीने की सलाह देता है, क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार पानी में कई तरह के कीटाणु होते हैं जो हमें दिखाई नहीं देते, ताबें के बर्तन में पानी डालने से वह कीटाणु मर जाते हैं। इसलिए आज भी पूजा में रखा गया जल तांबे के बर्तन में रखा जाता है, सूर्य को जल चढ़ाने के लिए भी ताबें के लोटे का इस्तेमाल किया जाता है ताकि जिससे हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सके।

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आज से 20-30 वर्ष पहले तक हमारे देश की हरेक रसोई में पीतल व तांबे के बर्तनों का ही इस्तेमाल होता था….धीरे-धीरे कब इन बर्तनों की जगह स्टील व प्लास्टिक ने ले ली पता ही नहीं चला….लेकिन शुक्र है फिर से हम अपनी पुरानी बहुत सी चीज़ों की ओर वापसी कर रहे हैं….”एक अखबार में छपे लेख के अनुसार वर्ष 2015 में MBIO में प्रकाशित एक रिसर्च में यह बात सामने आई थी कि फेफड़े की बीमारी फैलाने वाले वायरस तांबे पर अधिक देर ज़िंदा नहीं रह पाते”, हैमिल्टन, मोंटाना में स्वास्थ्य के रॉकी माउंटेन लैब के राष्ट्रीय संस्थानों में किए गए परीक्षण में फिर से यह बात सामने आई है कि कोरोना वायरस तांबे के बर्तन पर 4 घंटे से अधिक ज़िंदा नहीं रह पाते। तो वहीं आज सभी देश हाथ मिलाकर अभिवादन करने की परंपरा से डरने लगे हैं और नमस्ते को पूरी दुनियां में अपनाया जा रहा है….जिस परंपरा का कभी यही देश मज़ाक उड़ाया करते थे। ठीक वैसे ही दाह-संस्कार की परंपरा को भी आज कोरोनावायरस की रोकथाम के लिए सभी देश अपना रहे हैं….।

चारों ओर कोरोनावायरस के खोफ का मंज़र ये है कि हर जगह लॉकडाउन है….सभी इक्ट्ठे होने के स्थान, मंदिर, मस्जिद, गुरद्वारे, चर्च सब बंद हैं…..बड़े-बड़े धर्माधिकारी, गुरु, संत सभी अपने घरों में दुबक कर बैठे हैं…..जिन्हें आपने दान दे-देकर करोड़ों- अरबों के मालिक बना दिया…..देखिए न आज वो आपकी सुरक्षा के लिए भी सामने नहीं आ रहे….आज जो अपनी जान की बाज़ी लगाकर हमारी रक्षा कर रहे हैं वो हैं डॉक्टर्ज़, नर्स, सफाईकर्मचारी, पुलिस, सेना आदि। आपातकालीन सेवाएं देने वाले वो सभी लोग जो आपको दवाईयां और राशन देने के लिए अपनी दुकानों पर इस तरह खड़ें हैं जैसे सीमा पर तैनात सिपाही हों…..तो फिर अब से दान देने से पहले हमें एक बार सोचना होगा कि हमें किसकी मदद करनी चाहिए….!!!

भारतीय पद्धती के चमत्कारी लाभ पाकर यदि विश्वस्तर पर भयानक बिमारियों का खात्मा किया जा सकता है तो इससे अच्छी कोई और बात हो ही नहीं सकती….। हमारी ओर से आप सबसे यही गुज़ारिश है कि कोरोनावायरस की रोकथाम के लिए सरकार का साथ दें….अपने घरों से बाहर न निकलें……क्योंकि आप सुरक्षित तो देश सुरक्षित…।

धन्यवाद

संपादक: मनुस्मृति लखोत्रा