इन दिनों मेरे घर के आस-पास कुछ मनमोहनी सी, मीठी-मीठी और प्यारी सी आवाज़ों का शोर है….जानते हैं वो शोर मचाने वाले कौन हैं ??? वो हैं पंछी…उनमें से जो इस वक्त मेरे घर के सामने पेड़ और बालकनी पर नज़र आ रहें हैं…वो हैं गुटर-गूं, गुटर-गूं करते कबूतर, ट्रीं ट्रीं, ट्रूं ट्रूं करती मैना का झुरमुट, कांव-कांव करते कौए….कुछ बुलबुल….और कुछ के मुझे नाम नहीं आते…हाहा….इन दिनों घर के आसपास इन्हें देखना और इनकी आवाज़ें सुनना…एक अदभुत सा नज़ारा है….

आस-पास सिर्फ इन्हीं का शोर है…और थोड़ी-थोड़ी देर बाद उसी पेड़ के आस-पास इन पंछियों के पीछे भागते जांहबाज़ यानि कुत्ते के पांच-छः नन्हें-नन्हें बच्चे जो मेरे ख्याल से अभी एक-डेढ़ माह के ही होंगे….ये नन्हें शरारती इन पंछियों की कतार के पीछे ऐसे भागते कि मानों इन्हें भी पंख लग जाएंगे….

और पास से गुज़रती गाय भी जैसे इनकी अठखेलियां देख मुस्कुरा रही हो….और मानों कह रही हो अरे ! बच्चों ज़रा संभल के !!!….हाहा..

और तितलियां, भंवरे तो मुझे इनसे भी ज्यादा शरारती नज़र आ रहे हैं….सुबह से लगातार फूलों पर मंडराए जा रहे हैं और गर्र गर्र किए जा रहे हैं….मुझे ऐसा लग रहा है कि ये सब शायद मुझे चिढ़ा रहे हैं कि तुम घर में क़ैद हो और हम आज़ाद हैं….मैं सोच रही थी कि इनका शोर तो पहले भी ऐसे ही आता होगा लेकिन गाड़ियों और दूसरे वाहनों के शोर से शायद हमें सुनाई नहीं देता होगा….।

देखिए न आज पंछी, तितलियां, भवंरे, जानवर सब बाहर घूम रहे हैं और हम लोग कितने दिनों से घरों में बंद हैं….इतने दिन अंदर रहने के बाद अब तो घर भी पिंजरे की तरह लगने लगे हैं…अभी तो हम ये भी नहीं जानते कि और न जाने कितने दिन हमें यूं ही नज़रबंद रहना होगा..?….क्या आपको नहीं लगता कहीं ये प्रकृति का कोई इशारा तो नहीं ?
सड़कों पर पसरा सन्नाटा शायद हमें आने वाले किसी बड़े संकट की ओर संकेत कर रहा है, मुझे लगता है कि प्रकृति का अभी तो हमें ये एक छोटा सा इशारा है…कि “अब भी संभल जाओ….मेरे पेड़, पौधों, जानवरों, पंछियों को मत मारो, मत काटो..मेरे पर्यावरण का संतुलन मत खराब करो…..नहीं तो उन्हें बचाने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं”..!!! खैर….ये तो मेरे अपने विचार हैं….।
वैसे इन दिनों कोरोना वायरस के डर से जहां ज़िंदगी की चाल थम सी गई है, पूरे देश में लॉकडाउन है…आवागमन बंद है….आवश्यक वस्तुओं के अलावा और कुछ खरीदा जा सकता है नहीं….शॉपिंग करना तो दूर की बात रही, हज़ूर खाने के भी लाले पड़े हुए हैं, जिसके चलते मज़दूर भूखे-प्यासे, अपनी जान की परवाह किए बिना पैदल ही अपने घरों की ओर पलायन कर रहे हैं….कोरोना ने अपना ऐसा कहर बरपाया कि पूरे विश्व में एक खौफ और आर्थिक मंदी का माहौल है।
क्या ऐसा नहीं लगता कि जैसे मानव ने इतनी ज्यादा हाहाकार मचा रखी थी…कि प्रकृति ने कोरोना वायरस का खेल हमें डराने के लिए रच डाला ताकि हमें उससे सबक सिखाया जा सके…हम चाहे धरती को खोद-खोद कर कितने ही आलीशान महल, बिल्डिंग्ज़ खड़ी कर लें…लेकिन कहीं अगर प्रकृति ने अपना कहर बरपाया तो उसे एक सैकेंड नहीं लगेगा…सब कुछ तहस-नहस करने में ?….क्या आपको नहीं लगता कि जहां हम लोग साइंस और टैक्नोलॉजी के युग में जी रहे हैं। जहां हमारे साइंटिस्ट्स ने सब कुछ मुमकिन करके दिखा दिया है ऐसे में फिर भी हम कोरोना जैसे वायरस के खौफ में जी रहे हैं…यानि एक वायरस इतना ज्यादा शक्तिशाली हो गया हैं जिसका हमारे पास अब तक कोई इलाज नहीं…..हो सकता है जल्द ही इसकी दवा मिल भी जाए लेकिन अब से भविष्य में हमें और भी ज्यादा सतर्क रहने की ज़रूरत है क्या पता कोरोना जैसा या कोरोना से भी भयंकर किस्म के वायरस का हमें सामना करना पड़ जाए….इसलिए हमें अपने फायदे के लिए प्रकृति से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए…..यदि हमें इस धरती पर जीने का अधिकार है तो पशु-पंछियों, पेड़-पौधों की तो ये सारी धरती ही है…उन्हें मार-काट कर हम कभी शक्तिशाली नहीं कहलाएंगे….बल्कि ईश्वरिय शक्तियों के कहर से नहीं बच पाएंगे..हमें प्रकृति की बनायी खूबसूरत चीज़ों को खत्म करने का कोई अधिकार नहीं….इसलिए हमें अपने पेड़-पौधे, वनस्पति, जंगली जीव-जंतु, पंछी, शुद्ध जलवायु, पर्यावरण को संरक्षित करके रखना होगा। हमें अपनी आदतों, अपने स्वभाव, अपने खान-पान व सेहत को सुधारना होगा…जिसके लिए शाकाहार-शुद्ध खान-पान, मेडीटेशन, योगा, प्रणायाम व ईश्वरीय भक्ति को अपने जीवन में अपनाना होगा ताकि हमारे शरीर में इतनी शक्ति हो, हमारा इम्यून सिस्टम इतना स्ट्रोंग हो कि बिमारियां हमसे कोसों दूर भागें…फिर देखना अगर हम प्रकृति का साथ देंगे तो हमारी सुरक्षा भी प्रकृति ही करेगी क्योंकि हम उसी की संतान हैं।
इन दिनों हमें घर पर रह कर इस बारे में गंभीरता से सोचने और एक नयीं सोच को अपने जीवन में आत्मसात करने की ज़रूरत है….आज सड़कों पर सिग्नलस तोड़ने वाले नहीं हैं, घंटों ट्रैफिक जैम में फंसने का डर नहीं है और न ही इवन या ऑड नंबर वाली गाड़ियों के लिए कोई आदेश…..अगर है तो बस सड़कों पर पसरा सन्नाटा जो हमें चीख-चीख कर कह रहा है शुक्रिया मुझे भी थोड़ा सुकून तो मिला….।
इन दिनों अपने मौहल्ले, अपने गांव, अपने शहर, राज्य और पूरे देश को बचाने के लिए तब तक अपने घरों में रहिए जब तक परिस्थितियां ठीक न हो जाएं ….चीन के फैलाए रोने में शरीक न होएं……Co Rona को Go Rona कहिए….और अपने देश के प्रधानमंत्री, डॉक्टर्स, सेना, कर्मचारी और उन सभी अपने साथियों का साथ दीजिए जो इस वक्त अपना परिवार, अपनी सुरक्षा छोड़कर आपकी रक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए अपनी-अपनी कर्मभूमि पर जुटे हुए हैं….उनके कहे अनुसार चलिए…तो देखना जल्द ही इस Co RONA को हम GO Rona करके अपने देश से अलविदा कर देंगे…।
धन्यवाद, आपकी दोस्त मनुस्मृति लखोत्रा