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Blog : रिएलिटी शोज़ की होड़ में बच्चों का बचपन कहां गया !

अभिभावक अपने सपने अपने बच्चों में बुनते हैं, कि जो वे नहीं बन पाए वो उनके बच्चे बनेंगे….लेकिन कुछ सपने ऐसे होते हैं जिन्हें शोंकिया तौर पर पूरा किया जाना तो ठीक है लेकिन बच्चों की ज़िंदगी के साथ खिलवाड़ करके नहीं….ऐसे सपने भी क्या जहां आपके बच्चे छोटी उम्र में ही डिप्रेशन के शिकार हो जाएं…..आपके सपनों को पूरा करने के चक्कर में क्या पता उनका अच्छा होने बजाए उनका जीवन ही बर्बाद कर दें….इसलिए स्वार्थी होना बंद करें…बच्चों को बचपन जीने दें क्योंकि बचपन कभी दोबारा नहीं आता….

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करीब एक दशक से टीवी चैनल्स पर रिएलिटी शोज़ की भरमार लगी हुई है और खासतौर पर बच्चों के रिएलिटी शोज़ की….कहीं तो नन्हें-नन्हें बच्चे नाचते हुए नज़र आ रहें हैं जहां कॉम्पिटिशन जीतने की होड़ में खतरनाक स्टंट उनसे करवाए जा रहे हैं….कहीं बच्चे एक्टिंग कर रहें हैं…कहीं कॉमेडी तो कहीं खाना बनाते नज़र आ रहें हैं….मैं सिर्फ अभिभावकों से इतनी प्रार्थना करना चाहती हूं कि वो बच्चे हैं कृपया उन्हें बच्चे रहने दीजिए…उनका बचपन न छीनें…..।

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इन दिनों कई चैनल्स पर शनिवार और रविवार को डांस प्रोग्रैम दिखाए जा रहे हैं….. इसमें कोई शक नहीं कि बच्चों का डांस बेहद काबिले-तारीफ है….कितनी ही तालियां…कितनी ही वाहवाही के बीच खुशी, ग़म और दिल को भिगा देने वाले क्षण उन बच्चों के लिए कितने ही यादग़ार और कीमती पल होतें हैं…बेशक बच्चों के हुनर और प्रतिभा को एक ऐसा मंच मिलता है जहां उनके सपनों और ख्वाहिशों को पंख लगते दिखाई देते हैं…इस दौरान बच्चे कई तरह के dance forms को करते दिखाई देते हैं जिसमें भारतीय नृत्य कलाएं, संस्कृति की झलक भी बाखूबी देखी जा सकती है…..एक बड़े मंच पर नन्हें बच्चों को अपनी कला की छटा बिखेरते हुए देखकर बेहद खुशी होती है…..हो सकता है आगे चलकर कई बच्चे इन्हीं डांस फॉर्म और अपने हुनर के बल पर अपना करियर बनाएं। कोई भी डांस फॉर्म सीखना या करके दिखाना बहुत ही अच्छी बात है लेकिन उनमें खतरनाक स्टंट का मिक्सचर कई बार दिल को दहला देने वाला लगता है, जो कि बच्चों के लिए सही नहीं है।

रिएलिटी शोज़ देखते हुए ऐसे ही कई तरह के सवाल मन में आते हैं जो ये सोचने पर मजबूर करते हैं कि ये हो क्या रहा है???…..इन बच्चों में कई बच्चों के परेंट्स को जब ये कहते सुनती हूं कि मेरा बचपन में सपना था कि मैं डांस में अपना नाम कमाऊं वो सपना आज मेरा बच्चा पूरा कर रहा है….उनकी खुशी और आंसू के बीच बच्चे दोहरी स्थिती में खड़े नज़र आते हैं, एक ओर मां-बाप की तरफ से बच्चे पर प्रेशर की तुझे हर हाल में जीतना है, दूसरा बच्चे के मैंटर की ओर से प्रैशर कि जो स्टंट्स या डांस फॉर्म उसने कभी नहीं किया उसे वो अच्छे से करके दिखाना है..तीसरा जजिज़ की ओर से अच्छे कॉमेंट्स लाने का प्रैशर, चौथा अपने साथ के बच्चों से Competition जीतने का pressure और रिहर्सल के दौरान जो चोटें लगती होंगी वो अलग।

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इन सबके अलावा टीवी चैनल्स टीआरपी के चक्कर में बच्चों और उनके मां-बाप के इमोशन्स, उनके आर्थिक हालात या गरीबी को सबके सामने भुनाने का काम करते हैं…..ये बात भी दिल को झकझोरकर रख देती है…फिर ख्याल आता है कि इन बच्चों का भविष्य क्या है ? कुछ समय की शोहरत के बात इन बच्चों को कौन पूछेगा ?…..पिछले दशक से लगातार कितने ही डांस शोज और सिंगिग शोज हम सब देखते आएं हैं…..देखते ही देखते कितने ही बच्चे और युवा गुमनामी के अंधेरे में खो गए…और एक-आध जिनका background थोड़ा मजबूत था या जिनको कोई गॉडफादर या गॉडमदर मिली वो बॉलीवुड इंडस्ट्री में टिक पाए….लेकिन देखा जाए तो ऐसे बच्चों की पढ़ाई का या युवाओं के करियर का Golden period खराब हो जाता है….ये तालियां बटोरने और वाहवाही लूटने का नशा आगे जाकर बच्चों में उस वक्त तनाव या अवसाद का रूप ले लेता है जब उन्हें कोई नहीं पूछता…मां-बाप भी उनके exams में कम नंबर लाने पर या फेल हो जाने पर मुंह फुलाए घूमते नज़र आते हैं…..तब वो बच्चे अपने स्कूल या कॉलेज में साथ पढ़ने वाले बच्चों से भी पढ़ाई में पिछड़ कर रह जाते हैं।

इन सबके बीच फायदा किसका हुआ और नुकसान किसका…..सीधी सी बात है फायदा चैनल को मिला….दर्शकों को एक रोमांचक प्रोग्राम देखने को मिला…..इन शोज़ से शनिवार और रविवार को चैनल की टीआरपी बाकी चैन्ल्स के रिकॉर्ड तोड़ गई…..लेकिन असल ज़िंदगी की रिएलिटी इन सपनों से बहूत अलग है…असल में संघर्ष ही अगला पड़ाव है उसके बिना कोई सीढ़ी चढ़ी ही नहीं जा सकती।

बच्चों का टेलेंट बाहर लाना ये अच्छी बात है, लेकिन उनका सर्वांगीण विकास भी जरूरी है। इस तरह के शोज़ बच्चों की पढ़ाई व सामान्य बचपन में बाधा डालते हैं। शोज़ के प्रारम्भिक चरण में बहुत से बच्चे बाहर हो जाते हैं….उसके बाद कुछ बच्चे फाइनल तक पहुंचते हुए बाहर हो जाते हैं….इतनी सी उम्र में उनका इमोशनल डैमेज होना और उससे बाहर निकल पाना बेहद मुश्किल हो जाता है…..जिन दिनों में उन्हें पढ़ाई में अपना बेस मजबूत करने की ज़रूरत होती है वही समय दिन-रात शूटिंग और रिहसर्लज़ में बर्बाद कर देते हैं, शायद ही ये बात कोई सोच पाता हो कि शोहरत की ऊंचाइयों तक पहुंचने के बाद फिर गुमनामी के अंधेरे में खोने पर मनोविज्ञानिक तौर पर उन्हें दोबारा कौन सबल बनाएगा ये एक बड़ा सवाल है !

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इन शोज़ के ज़रिए पढ़ाई की उम्र में बच्चों को एक-दूसरे का प्रतिस्पर्धी बनने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जहां उनमें पैसे व शोहरत पाने का लालच बचपन में ही उन्हें बड़ा बना रहा है। ऐसा कई बार सुनने में भी आया है कि रिएलिटी शो में हार के सदमें को बर्दाश्त न कर पाने की वजह से कई बच्चों ने अत्महत्या तक करने की कोशिश की, तो किसी को सदमें से बाहर लाने के लिए मनोचिकित्सक का सहारा लेना पड़ा….इन शोज़ में बच्चे कठपुतली की तरह नचाए जा रहे हैं….और उनके मैंटर्स भी अपनी परफॉर्मेंस अच्छी दिखाने के चक्कर में इतने छोटे-छोटे बच्चों से इतने खतरनाक स्टंट करवा रहे हैं जहां ज़रा सी गलती बच्चे के लिए उम्र भर की सज़ा बन सकती है। बच्चों को बॉल की तरह उछालकर डांस करने में कौन सा हुनर दिखाया जा रहा है ये मेरी समझ से बाहर है….एक तरह से ये बच्चों का मानसिक व शारिरिक शोषण कहा जा सकता है।

इन रिएलिटी शोज़ में बच्चों के परिवार के आर्थिक हालातों को जगजाहिर करना…और ऐसा करके दर्शकों में सुर्खियां या इमोशन्स बटोरना कहां तक सही है ? मुझे लगता है कोई भी इंसान बेचारा नहीं है ईश्वर ने हरेक को यदि बुद्धि और हाथ-पांव सही सलामत दिए हैं तो वो इंसान कभी बेचारा नहीं हो सकता….मेहनत तो करनी ही होगी…..जिसने अपने जीवन में अपने आपको जिस लायक बनाया है…उसे वैसा ही जीवन व्यतीत करना पड़ेगा….इसलिए बच्चों को भी बचपन से उनका भविष्य अच्छा बनाने के लिए सबसे पहली सीढ़ी शिक्षा देनी चाहिए उसके साथ ही अच्छे संस्कार, कौशल से उनकी प्रतिभा भी अपने आप निखरती चली जाएंगी…..किसी में कोई भी अगर हुनर है वो उसका भविष्य भी हो सकता है लेकिन हुनर के साथ बुद्धि का विकास शिक्षा से ही होता है। आखिर ज़िंदगी के हर पड़ाव में जंग हरेक को खुद ही लड़नी होती है। मां-बाप हर वक्त और ज़िंदगी के हर मोड़ पर साथ नहीं रह सकते। हरेक को बचपन, जवानी और बुढ़ापा इन पड़ावों से गुज़रना ही है..ये नैचुरल है…इसलिए बच्चों को नैचुरली बड़ा होने दें….उन्हें उनका बचपन जीने दें….उन पर अपने सपने न थोपें…..वो जो करना चाहते हैं उन्हें करने दें….आप सिर्फ उनका साथ दें…उनकी दिशा निर्देश करें….देखना आप उनके व्यक्तित्व का सर्वागींण विकास होता देख पायेंगे….।

संपादकः मनुस्मृति लखोत्रा

 

This Post Has 18 Comments

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