“भरोसा”…हमारी ज़िंदगी में बहुत अहमियत रखता है। भरोसा/यक़ीन/विश्वास ये सिर्फ शब्द ही नहीं हैं बल्कि इन शब्दों में इतनी गंभीरता और आत्मीयता समायी हुई है जिस पर जीवन की नींव टिकी हुई है। सही मायनों में यदि आप भरोसे लायक इंसान नहीं हैं तो आप कभी रिश्तों की पूंजी जमा कर ही नहीं पायेंगे, सिर्फ यही नहीं पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों ही लाइफ में यदि आप दूसरों को अपने ऊपर भरोसा नहीं दिला पाते हैं तो आप अपनी कामयाबी का हर रास्ता बंद समझें, क्योंकि बिना भरोसे के आप पर कोई रिस्क भी नहीं लेना चाहेगा। चाहे आप लाख प्रभावशाली ही क्यों न हों।

कई बार भरोसा टूटने पर रिश्तों पर किया गया स्नेह का निवेश बेकार चला जाता है इसलिए हम चाहकर भी जल्दी से किसी पर भरोसा नहीं कर पाते…। भरोसा एक ऐसी जादुई पुड़िया है जिसे एक बार आज़मा कर तो देखिए अपना असर ज़रूर दिखाएगी…। हमारी ज़िंदगी में कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनपर भरोसा दिल से होता है, हम आंख बंद करके भी उनपर विश्वास कर सकते हैं, जो हमारे वेलविशर होते हैं, हमारे दिल के बेहद नज़दीक भी, ऐसे रिश्तों में भरोसा अपने आप बन जाता है जब सामने वाला अपनी हरेक गतिविधि से, अपने काम करने के तरीके से और जिनकी करनी और कथनी में फर्क नहीं होता ऐसे लोग या मित्र आपका विश्वास जीत लेते हैं, उम्र भर ऐसे लोगों का साथ आपकी ज़िंदगी को रोशन करता रहता है और ऐसे रिश्तों के सहारे ज़िंदगी खूबसूरत भी लगती है और ज़िंदगी को बिंदास और भरपूर जीने का मन भी करता है।
हमारे आसपास बहुत से ऐसे मित्र भी होते हैं जिन्हें भरोसे जैसे शब्द से भी नफरत होगी, आखिर भरोसे में ये नफरत का बीज बोया किसने ? इसका कारण है कई अपने ही जब भरोसा तोड़ देते हैं तो फिर हम सभी लोगों को एक ही तराज़ू में तोलने लग जाते हैं। कई लोगों को इसलिए भी दूसरों पर भरोसा नहीं होता क्योंकि हमारे आसपास भरोसा तोड़ने वाले लोग कहीं ज्यादा होते हैं और विश्वास करने लायक बहुत कम। शायद इसलिए ही कुछ लोगों में दूसरों की ओर से दिए गए धोखे और अविश्वास ने अपनी जड़ें मजबूत कर ली हैं। बस, हमें ऐसे ही लोगों को धोखे के उस समंदर से बाहर लाना है जो तनाव या सदमें में हैं।
देखिए भरोसा एक ऐसी नींव है जिस पर सपनों की इमारत खड़ी होती है, लेकिन यदि शुरु से ही कोई आपके भरोसे को तोड़ दे तो सोचिए कोई भी रिश्ता ऐसी झूठी और कमज़ोर नींव पर कब तक टिका रहेगा बल्कि एक दिन वो रिश्ता मुंह के बल गिर जाएगा और फिर उसे उठते-उठते शायद कई बरसों गुज़र जाएं।
अब सोचिए ज़रा, आप किसी का भरोसा तोड़कर किसी की पूरी ज़िंदगी बर्बाद कर सकते हैं, किसी का पूरा करियर तबाह कर सकते हैं, किसी के सपनों का महल गिरा सकते हैं, किसी के प्रेम को उजाड़ सकते हैं, क्योंकि भरोसा सिर्फ एक शब्द ही नहीं बल्कि वो ताकतवर हथियार है जिसका यदि सही इस्तेमाल किया जाए तो आपका जीवन कितने ही प्यारे रिश्तों और रंगों से भर सकता है। दूसरों की भावनाओं के साथ खेलना तो आसान है लेकिन उन्हीं कोमल भावनाओं को भरोसे या विश्वास का अहसास देना उतना ही मुश्किल लेकिन नामुमकित नहीं।
अब देखिए किसी पर भरोसा होता है या बिल्कुल नहीं होता इसमें बीच की स्थिति जैसी कोई चीज़ नहीं होती, बस इतना समझिए आपकी ओर से किसी को दिया गया भरोसा बीमार मन की ऐसी अचूक दवा है जिससे किसी को फिर से स्नेह और प्रेम के धागे में पिरोया जा सकता है, रिश्तों में आयी दरार को फिर से काबू किया जा सकता है, क्योंकि किसी पर से भरोसा टूटने के के बड़े कारण नहीं होते हैं, हमेशा छोटे-छोटे कारण ही भरोसा तोड़ते हैं और हमेशा ये भी याद रखें कि दो अपरिचित कभी दुश्मन नहीं होते बल्कि हमेशा दोस्त ही शत्रु बनते हैं। हमारी ओर से बोले गए छोटे-छोटे झूठ ही एक दिन बड़े झूठ को जन्म देते हैं, और इसी से हम एक दिन दूसरों के लिए विश्वासघाती हो जाते हैं।
वैसे आजकल हम अपनी हर गलती पर सॉरी कह कर हर बात का पल्ला झाड़ लेते हैं, लेकिन इससे काम नहीं चलेगा, सॉरी कहकर आप दूसरों का भरोसा नहीं जीत सकते हैं बल्कि दूसरो को इस बात का प्रूफ दे देते हैं कि आप गलती करके हर बार ऐसा ही कहेंगे इसलिए आप दूसरों के विश्वास लायक नहीं रहेंगे। इसलिए अपने छोटे-छोटे फायदों के लिए दूसरों का भरोसा मत तोड़ें, क्योंकि भरोसा है तो जिंदगी है।
इसलिए दोस्तों विश्वासलायक बनकर तो देखिए, दूसरो का भरोसा जीतकर तो देखिए ये एक कारगर औषधि है इससे आपको जीवन के हर मोड़ पर फायदा होगा, चाहे वो व्यक्तिगत जीवन में हो या प्रोफेशलन लाइफ हो।
धन्यवाद, आपकी दोस्त, मनुस्मृति लखोत्रा