Happiness is Free: ‘एक मुट्ठी आसमान’, न तेरा है, न मेरा है…!
अपनी हार और जीत का लेआउट अगर हमें पहले से ही तैयार करना आता होता तो शायद ज़िंदगी के आखरी पड़ाव तक आते-आते अनुभवों की बिल्डिंग इतनी बार न गिरती…
अपनी हार और जीत का लेआउट अगर हमें पहले से ही तैयार करना आता होता तो शायद ज़िंदगी के आखरी पड़ाव तक आते-आते अनुभवों की बिल्डिंग इतनी बार न गिरती…
जीवन की खूबसूरती यदि देखनी हो तो जनाब !....वह सुख से ज्यादा दुख व संघर्ष भरे क्षणों के समय देखी जा सकती है, यानीकि, सबकुछ कम होते हुए भी, चाहे…