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Happiness is Free: काश! ‘कि वो एक मिनट टल जाए’…

जीवन की खूबसूरती यदि देखनी हो तो जनाब !….वह सुख से ज्यादा दुख व संघर्ष भरे क्षणों के समय देखी जा सकती है, यानीकि, सबकुछ कम होते हुए भी, चाहे वो पैसा हो, सुविधाएं हो, चाहने वाले लोग हों या फिर हालात हों लेकिन तब भी आपका वो हर एक मिनट नयीं उम्मीद, नयीं संभावना और नयीं चुनौती आपके सामने लिए खड़ा होता है। तब आप एक ऐसे बाइक राइडर की तरह होतें हैं जब आपको अपने निश्चित टारगेट तक पहुंचने के लिए न जाने कितने ही खतरों से होकर गुज़रना होता है, ठीक वैसे जैसे कभी आप वीडियो गेम खेला करते थे, कई बार हार भी जाते थे और कई बार जीत भी। लेकिन हारने के बाद क्या कभी ये सोचा करते थे कि अब मैं गेम ही नहीं खेलूंगा ? बिल्कुल जीवन भी एक वीडियो गेम की ही तरह तो है…जहां कितने ही उतार चढ़ाव के बाद भी आपको अपने निश्चित टारगेट तक पहुंचना है। बस, फर्क सिर्फ इतना है कोई अपने टारगेट तक जल्दी पहुंच जाता है तो कोई देर में, पर मंज़िल सबको मिलती है।  

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Manusmriti Lakhotra, Editor – theworldofspiritual.com

लेकिन अफसोस तो इस बात का है आज दिन-ब-दिन आत्महत्या के बढ़ते किस्से समाज में दहशत पैदा कर रहें हैं, जीवन को जीत से हार की ओर लेकर जा रहे हैं, अपने प्रति निराशा और बेरहमी की ओर लेकर जा रहे हैं, संवेदनाओं को खत्म कर रहें हैं जहां कहीं न कहीं मन में ये ख्याल आता है कि काश उस आखिरी पल में वो सूसाइड को स्थगित कर देता। आत्महत्या के प्रति लोगों में बढ़ता ऐसा आक्रोश मानव जीवन को इतना निर्बल बना रहा है, ये कभी सोचा न था।

यक़ीनन ऐसी घटनाएं दिल को रुला देती हैं, और सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि ऐसा क्या हो गया था कि ज़िंदगी की जंग लड़ते-लड़ते फलां व्यक्ति हार गया। काश, कि अपने सपनों की मशाल को थामें वो टिका रहता, हिम्मत न हारता तो शायद आज बच जाता।

देखिए जीवन एक संघर्ष है और हर हाल में हमें उस संघर्ष को जीतने के लिए जूझते रहना है, वो भी कितना मिलेगा की परवाह किए बिना, लेकिन जब हम ज्यादा और ज्यादा की होड़ में पिछड़ने लग जाते हैं तब जो हमारे पास है उसे भी हम खो देते हैं। सुसाइड का ख्याल रखने वालों से एक सवाल है कि क्या अगर आप इस दुनियां से चले जाएंगे तो क्या आप सुखी हो जाएंगे ? जिसकी वजह से आप इतना बड़ा कदम उठा रहें है क्या उनसे बदला ले पाएंगे ? कतई नहीं, उसे तो बल्कि आपने आज़ाद ही कर दिया, उसकी जिंदगी तो कुछ समय के बाद फिर से अच्छी हो जाएगी लेकिन आप इस दुनियां में नहीं होंगे, न जाने कहां भटकेंगे कहां नहीं ?

ख्यालों को इस क़दर अपने ऊपर हावी  ही क्यों होने दिया जाए कि जहां जीवन में परिस्थितियां आपकी जान ही ले जाए ? हमेशा याद रखें कि परिस्थितियां और हालात जीवन में कभी एक जैसे नहीं रहते, ये बदलते रहते हैं। हो सकता है आप अपने अच्छे वक्त से सिर्फ एक मिनट की दूरी पर ही हों जब आप कोई गलत कदम उठाने जा रहे हों। क्या आप जानते हैं सुसाइड के बाद आपको क्या कहेंगे लोग  ? सिर्फ कायर कहे जाएंगे आप…और कुछ नहीं।

जब कभी सुसाइड का ख्याल आपके मन में आए तो अपने मां-बाप के बारे में एक बार सोचिएगा ज़रूर जिन्होंने अपना सबकुछ आप पर न्यौच्छावर कर दिया ताकि एक दिन आप बड़े होकर उनकी बुढ़ापे की लाठी बनें। ज़िंदगी मिली ही जीने के लिए है वरना एक दिन तो सबने मरना है…आप होते कौन हैं अपने आप को मारने का फैसला लेने वाले ?….यदि ज़िंदगी के किसी मोड़ पर आप हार भी गए हैं तो क्या हुआ ज़िंदगी वहीं तो नहीं खत्म हो जाएगी….फिर कोई और मौका मिल जाएगा एक बार सब्र रखकर तो देखिए…उसके लिए आपका जीना बेहद ज़रूरी है….ज़िंदगी को हमेशा संभावना के रूप में देखिए उसके लिए आपको जीना होगा, लड़ना होगा, संघर्ष करना होगा, सपने कभी मरकर पूरे हो ही नहीं सकते।

कभी भी आप दुखी हों, इतने तनाव में हों कि समझें बस अब आगे कुछ नहीं, तब उस एक मिनट में जिस पर भी आपको भरोसा है या प्यार है उससे एकबार बात कर लें। अगर ऐसा कोई भी आपकी ज़िंदगी में न भी हों तो भी उस क्षण अपने ईष्ट का नाम जपें क्योंकि बस वहीं एक मिनट है जिसे हमने टालना है। अगर वो एक मिनट में आपका ध्यान बट गया तो वो खतरनाक पल टल सकता है और क्या पता फिर कुछ ऐसा हो जाए कि आपको खुद ही समझ आ जाए कि मैं ये क्या करने जा रहा था ? ऐसी बहुत सी महान हस्तियां हैं जिनका आज पूरी दुनियां में नाम है। कभी न कभी उनके ऊपर भी ऐसा समय आया था जब वो सुसाइड करने जा रहे थे, लेकिन उस पल उनका विचार बदल गया या उस पल किसी अच्छे मित्र से बात करके उन्होंने सुसाइड का ख्याल छोड़ दिया। आज पूरी दुनियां में उनका नाम हैं, उनमें से एक नाम राष्ट्रीय पिता महात्मा गांधी का भी है। क्या अगर वो आत्महत्या कर लेते तो क्या आज उनका पूरी दुनियां में नाम होता ? कतई नहीं।

इसलिए जब भी आप अकेले हो और बहुत ही बुरे वक्त से गुज़र रहें हो, आपसे कोई बात तक करने वाला न हो, सबने आपसे किनारा कर लिया हो, आपको कोई समझाने वाला तक न हो…आप डिप्रेशन में पूरी तरह से घिर चुके हों तब भी आपके सामने ज़िंदगी जीने की बहुत सी संभानाएं होती हैं, और आत्महत्या को स्थगित करने के बहुत से कारण…बस उस आखिरी एक मिनट में अपने जज्बातों पर काबू रख लीजिए और आप जिसे भी मानते हैं कम से कम आस्था के नाम पर ही सही अपने ईष्ट का नाम जपना शुरू कर दीजिए देखना कुछ ही देर में आप नॉर्मल हो जाएंगे…। क्योंकि नाम सिमरन में वो ताकत है जो हमेशा हमें सकारात्मकता की ओर ले जाती है और नयी दिशाओं से अवगत कराती है। बस वो एक मिनट को टाल दीजिए, क्योंकि आप अपने आप के लिए बेहद कीमती इंसान हैं, आप जैसा पूरी दुनियां में कोई और हो ही नहीं सकता और आप कायर की तरह कभी नहीं मरेंगे और न ही आप संघर्ष से कभी डरेंगे…बस ये लाइनें अपने ज़हन में हमेशा रखिए और डिप्रेशन और तनाव के प्रति जीवन की जंग को जीत लीजिए।

आज ये ब्लॉग फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत को याद करते हुए लिख रहीं हूं। उनके द्वारा उठाया गया ये कदम बेहद दुख और वेदना दे रहा है, काश कि उस आखिरी एक मिनट में उन्हें कोई रोक लेता तो आज अपनी एक्टिंग के दम पर थोड़े ही समय में करोड़ों दिलों पर राज करने वाले अभिनेता हमारे बीच होते।

ऐन वक्त पर मिली प्रेरणा कितनों की ज़िंदगी बचा सकती है। मेरा उन दोस्तों से हाथ जोड़कर अनुरोध है जो इस वक्त किसी न किसी बुरे वक्त से गुज़र रहें हैं। कृपया करके अपने आपको किसी भी तरह के तनाव में जाने से बचाएं और ज़िंदगी को हमेशा संभावना के रूप में देखें। दुख के समय में ज़िंदगी और भी ज्यादा हसीन हो जाती है।

धन्यवाद, आपकी शुभचिन्तक, मनुस्मृति लखोत्रा