अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए, कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गएः डॉ. राहत इंदौरी

ग़ज़ल तब और भी खूबसूरत हो जाती है जब उसे कहने वाला इशारों ही इशारों में ग़ज़ल की गहराई को आप तक पहुंचा दे। यहां डॉ. राहत इंदौरी का नाम…

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