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यादगार लम्हें : जुहू बीच पर टहलते जिनके क़दम हर सुबह एक नया गीत तराश लाते थे, वो थे शैलेन्द्र…

एक दिन एक शख्स बारिश में भीगते-भागते आरके स्टूडियो में राजकपूर साहब से मिलने पहुंचा और कहने लगा कि वे उनके लिए गीत लिखने के लिए तैयार हैं। राज कपूर साहब ने उन्हें अपनी अगली फिल्म ‘बरसात’ के लिए गीत लिखने को कहा।

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उस दिन बरसात तो हो ही रही थी। तो उस शख्स ने बारिश की ओर देखते हुए राज कपूर साहब से कहा, ‘ये होगा आप का गाना ‘बरसात में हम से मिले तुम सजन, तुमसे मिले हम बरसात में…

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https://www.youtube.com/watch?v=uHl7fyblU-w  

Barsaat – Barsaat Mein Humse Mile Tum – Lata Mangeshkar

ये शख्स थे शैलेन्द्र….उनके मुंह से निकलीं ये चंद लाईनें बाद में जाकर इतना हिट सॉन्ग बन जाएंगी ये राजकपूर साहब ने भी नहीं सोचा होगा।

इसके पीछे की असली कहानी दरअसल ये है कि एक बार शैलेन्द्र एक कार्यक्रम में अपना लोकप्रिय गीत ‘जलता है पंजाब’ सुना रहे थे…उस कार्यक्रम में राजकपूर भी उपस्थित थे वे उनकी कविता सुनकर उनसे काफी प्रभावित हुए। राज कपूर ने उनके आगे इस गीत को अपनी फिल्म ‘आग’ के लिए खरीदने की पेशकश रखी। लेकिन अपने असूलों के पक्के और सिद्धांतवादी शैलेंद्र को उनकी ये पेशकश काफी नागवार गुजरी और उन्होंने भारतीय सिनेमा के जाने-माने अभिनेता से साफ शब्दों में कह दिया कि उनकी कविताएं बिकाऊ नहीं हैं। कहते हैं कि राजकपूर साहब ने मुस्कराते हुए शैलेंद्र से कहा, ‘आप कुछ भी कहें लेकिन, पता नहीं क्यों मुझे आप के अंदर सिनेमा का एक सितारा नज़र आता है.’ उन्होंने शैलेंद्र के हाथ में एक पर्ची पकड़ाई और कहा, ‘जब जी चाहे इस पते पर चले आना”।

https://www.youtube.com/watch?v=DbMYEcoNGOM

Tumne Pukara Aur Hum Chale Aaye – Shammi Kapoor, Sadhna, Rajkumar, Romantic Song

कुछ समय बाद आचानक एक दिन शैलेन्द्र की पत्नी की तबीयत बिगड़ गई वो गर्भवती थीं और उस समय शैलेन्द्र के पास एक भी पैसा नहीं था कि वो अपनी पत्नी को अस्पताल ले जा सकें। इसलिए मजबूरन शैलेन्द्र राजकपूर से मिलने आरके स्टूडियो पहुंचे और ये वो दिन था जब उनकी मजबूरी उनकी सफलता की पहली सीढ़ी बन गई। शैलेंद्र को फ़िल्मी दुनिया में लाने का श्रेय राजकपूर साहब को ही जाता है। कहते हैं कि शैलेंद्र को अपने घरवालों के दबाब में आकर रेलवे में नौकरी करनी पड़ी लेकिन, उनके अंदर छिपे कवि व गीतकार को कैसे रोका जा सकता था ? शैलेंद्र नौकरी के दौरान भी कवितायें लिखते रहते थे जिस वजह से उन्हें अपने अफसरों की नाराजगी का सामना करना पड़ता था आखिरकार एक दिन उन्होंने नौकरी छोड़ कर अपने गीतों के ज़रिए स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले युवाओं का हौसला अफज़ायी करने के लिए लिखना शुरु कर दिया।

कहते हैं कि शैलेन्द्र ज्यादातर अपने गीत जुहू बीच पर सुबह टहलते वक्त ही बना लिया करते थे। इस पर भी एक किस्सा सुनने में आता है, एक बार राजकपूर साहब ने उनसे पूछा कि वे जीवन के हर रंग और जिंदगी के हर फलसफे पर इतनी आसानी से गीत कैसे लिख देते हैं ? शैलेंद्र का जवाब था, ‘अगर सुबह न होती तो बॉम्बे में ये सूनी सड़कें न होतीं और ये सूनी सड़कें न होतीं तो मैं अपनी तन्हाई में डूब न पाता और मेरे दोस्त, तुम्हें ये गीत न मिलते.’…

https://www.youtube.com/watch?v=H6euXdpQ4vY
KHOYA KHOYA CHAND -RAFI -SHAILENDRA -S D BURMAN – KALA BAZAR (1960)

शैलेंद्र के गीतों में यही खासियत देखने को मिलती है उनके गीत आम लोगों की जिंदगी और जीवन की सच्चाई को पेश करते हैं, उन्होंने प्यार, ग़म, खुशी, जिंदगी, मौसम, वक्त आदि हरेक पहलू पर यादगार गीत लिखे। ये वही दौर था जब उनका एक-एक गीत हरेक की ज़ुबां पर ऐसे चढ़ कर कर बोलता था जैसे वो उसी की कहानी हो। ‘आज फिर जीने की तमन्ना है’, आवारा हूं,  ‘दिल ढल जाए’, ‘प्यार हुआ इकरार हुआ’, तुमने पुकारा और हम चले आए, ‘पिया तोसे नैना लागे रे’, ‘खोया-खोया चांद’, ‘सजन रे झूठ मत बोलो’ सहित उनके कई गीत हैं जो आज भी दिल को सुकून दे जाते हैं। जहां उस दौर में उर्दू शायरों और कवियों का वर्चस्व था ऐसे में शैलेंद्र ने अपनी एक अलग जगह बनायी तो उसका सिर्फ एक कारण था कि उन्होंने अपने गीतों में हमेशा आम लोगों की भावनाओं को शामिल किया और बहुत कम शब्दों में बड़ी बात कह जाना उनके लिखने के हुनर में शुमार था।

https://www.youtube.com/watch?v=0kY0ffAaCk8
Awara – Title Song – Awara Hoon – Mukesh

इसी तरह एक और किस्सा है कि एक बार संगीतकार शंकर-जयकिशन ने उन्हें रंगोली फिल्म का गाना लिखने को कहा। शैलेंद्र ने देखा कि जय किशन एक खूबसूरत लड़की को बार-बार मुड़कर देख रहे थे, शैलेंद्र ने उसी वक्त उन्हें ये लाइनें सुनाईं ’मुड़-मुड़ के न देख मुड़-मुड़ के….’ और कहा कि लो बन गया तुम्हारा गाना. इसके बाद शंकर-जय किशन के साथ उनकी जोड़ी खूब जमी। शैलेंद्र ने निर्माता-निर्देशक विमल राय के साथ भी कई फिल्मों के लिए काम किया। उनकी कलम का ऐसा जादू चला कि उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को कितने ही सूपरहिट गीत दे डाले जिसके लिए उन्हें तीन बार फिल्म फेयर अवार्ड भी दिया गया। शैलेंद्र ने ‘बूट पॉलिश’, ‘श्री 420’ और ‘तीसरी कसम’ जैसी फिल्मों में अभिनय भी किया था, उन्होंने फिल्म ‘परख’ में संवाद भी लिखे।

https://www.youtube.com/watch?v=BpLyDTEw3Z4&start_radio=1&list=RDBpLyDTEw3Z4&t=10
Aaj Phir Jeene Ki Tamanna Hai – Guide – Lata Mangeshkar – HD

काफी साल गाने लिखने के बाद शैलेंद्र कुछ नया करना चाहते थे इसलिए उन्होंने फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ की कहानी पर तीसरी कसम पर फिल्म डायरैक्शन करने का फैसला किया। जिसे बनाने में करीब 5 साल लग गए, जिस वजह से वो कर्ज में भी डूब गए। फिल्म की स्क्रीप्ट ज़बरदस्त थी, इसके गाने भी एक से बढ़कर एक थे, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर नाकाम रही। फिल्म की नाकामी से शैलेंद्र इतने दुखी हुए कि वो ये सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाए और दिन-रात शराब में डूबे रहने लगे। फिल्म के रिलीज के एक साल बाद 14 दिसंबर, 1966 को सिर्फ 43 साल की उम्र में सबको अलविदा कह गए।

https://www.youtube.com/watch?v=69pPYkGiEAQ&index=1&list=RD69pPYkGiEAQ

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मनुस्मृति लखोत्रा