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Way to Spirituality : बुरे वक्त को लाइफ ट्रेनिंग समझ कर गुज़ारें, शायद आपका पुराना कार्मिक एकाउंट क्लीयर हो रहा है !

किसी अच्छे व्यक्ति या दोस्त की बात करते हुए ये सवाल हमारी ज़ुबान पर आ ही जाता है कि अच्छे लोगों की ही दुख क्यों मिलता है?  कई बार आपको भी ऐसा ही लगता होगा अगर आपकी भी लाइफ में कोई परेशानी है तो आपने भी कई बार ये सोचा होगा कि “मुझे ही क्यों दुख मिलता है? मैने तो कभी किसी का कोई बुरा नहीं किया फिर भी मेरे ही साथ ऐसा क्यों” ?

क्या कारण है इसका ? और जब हमें इस “क्या” का जवाब नही मिलता तो तब हमारा दुख और ज्यादा हो जाता है जिसके बाद ज़िंदगी के प्रति शिकायत भी बढ़ती चली जाती है। दोस्तों, ये जो ज़िंदगी है न, ये अपने नियमों से ही चलती है, हमारी या आपकी इच्छाओं से नहीं! यहां हम एक उदाहरण ले लेते हैं, जैसे सड़क पर रेडलाइट क्रॉस करने के कुछ नियम हैं अगर हम उसे फॉलो नहीं करेंगे तो हो सकता है कि होस्पिटल तक जाने की नोबत आ जाए। उसी तरह जिंदगी के भी अपने नियम हैं जिसे हमें स्वीकार करना होगा और अगर नहीं किया तो परेशानियां और भी बढ़ जाएंगी। सोचने या चिंता करने से कुछ होने वाला तो है नहीं जिस टफ टाइम से अगर हम गुज़र रहें हैं उसे तो गुज़ारना ही होगा।

जब भी आप ऐसे मोड़ पर खड़ें हों तो हमेशा दो बातें अपने आप को जरूर याद दिलाएं तो आपको अपनी परेशानियों से काफी हद तक राहत मिलेगी।

एक ये कि लाइफ कभी भी अनफेयर नहीं हो सकती। लाइफ आपके साथ कभी भी बुरा करना नहीं चाहती और न ही लाइफ को आपसे पर्सनल कोई दुशमनी हैं। बल्कि ऐसे समय में लाइफ आपके कार्मिक एकाउंट को क्लीयर कर रही होती है। जब पुराना कार्मिक एकाउंट क्लीयर हो जाएगा तभी तो आप रिलेक्स्ड हो पाएंगे तभी आप आगे कुछ बड़ा कर सकेंगे। हमेशा याद रखें लाइफ अगर आपको कोई दुख या चैलेंज से गुजारती है तो लाइफ आपका या किसी के साथ आपका कोई कार्मिक एकाउंट क्लीयर करना चाहती है। उसे निल करना चाहती है और वो जब निल होगा तो तभी आपको सुकून मिलेगा वरना वो बोझ आपके ऊपर रहेगा और आपको परेशान करता ही रहेगा।

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दूसरा कारण ये हो सकता है

लाइफ आपको आने वाले समय में कोई बड़ी जिम्मेदारी देना चाहती है। लाइफ ने आपको सिलेक्ट किया है इसलिए उससे पहले आपके लेवल को उस लायक बनाने के लिए इम्प्रूव करना चाहती है। ताकि आप उस जिम्मेदारी को पूरी तरह निभा सकें। इसलिए आपको बड़ी जिम्मेदारी देने से पहले टफ टाइम से गुजारना चाहती है, इसलिए उससे पहले वो आपको ये लेसन या सीख देना चाहती है। सोचिए आज आप जहां है वहां तक भी पहुंचने के लिए आपने कई टफ टाइम्स देखे होंगे तभी आप यहां है जिससे आपके अंदर मैच्योरिटी या अंडरस्टेंडिंग का लेवल बढ़ा होगा। थ्योरीज या किताबों में लिखे हुए सिद्धांतों से ज़िंदगी नहीं चलती। जिंदगी को बनाने के लिए कहीं न कही प्रेक्टिक्ल से गुज़रना पड़ता है और जब हमारी लाइफ के प्रेक्टिकल्स चल रहें होते हैं तो हम एक और गलती कर बैठते हैं, अपनी जिंदगी से ही शिकायत करने लग जाते हैं। गुस्से, द्वेष और प्रतिशोध जैसी भावनाएं अपने अंदर ले आते हैं जिसका नतीजा हम अंदर से कमज़ोर होने लगते हैं, हार जाते हैं, टूट जाते हैं। लाइफ के लेसन हमें इम्प्रूव करने के लिए मिलते हैं लेकिन वहां हम शिकायत लेकर ही चलते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इस दौरान गुजरते हुए भी डगमगाते नहीं बल्कि अपने आप को हर दिन याद दिलाते हैं कि लाइफ मेरे लिए कभी बुरा नहीं कर सकती वो बस कोई न कोई कार्मिक एकाउंट क्लीयर करना चाहती है या लाइफ मुझे कुछ ट्रेनिंग देना चाहती है जिसकी मुझे जरूरत हैं, जिससे मेरा मेंटल लेवल बढ़ेगा, इमोशनली मैं स्ट्रोंग बनूंगा, मुझमें मैच्योरिटी बढ़ेगी, जिससे जीवन मुझे आने वाले टाइम में निश्चित ही कोई बड़ा अवसर प्रदान करेंगा, जिसके माध्यम से मैं कुछ अच्छा करने वाला हूं। बस ये उसकी तैयारी है इसलिए लाइफ ने मुझे इस टफ स्थिति से गुजारा है। जो ऐसा मान कर अपना बुरा समय खुश होकर गुजारते हैं वही लोग कुछ विशेष कर गुजरते हैं, दुनियां के लिए रोल मॉडल बनते हैं। लोग उनसे प्रेरणा लेते हैं। लोग उनकी पूजा करते हैं। किसी भी मोड़ पर उन्होंने लाइफ को कभी रिजेक्ट नही किया। लाइफ को अपना काम करना है इसलिए अफसोस करने या सोचने से कोई फायदा होने वाला नहीं है चाहे आप उसे एक्सेप्ट करें या रिजैक्ट। जब आप 10th क्लास में होते हैं तो 12th का सिलेबस मुश्किल लगता है जब आप 12th में होते हैं तो ग्रेजुएशन का सिलेबस टफ लगता है। जब हम उसी कक्षा में पहुंच जाते हैं तो हमें वो सिलेबस आसान लगता है। इसी तरह लाइफ के भी स्टेप्स हैं जैसे आपकी लाइफ बढ़ती है वैसे-वैसे वो स्टेप्स भी पार करने होते हैं। उसकी मैच्योरिटी को पाने के लिए वो सिलेबस तो पढ़ने ही पड़ेंगे। फिक्र मत कीजिए अपने मुश्किल समय को लाइफ ट्रेनिंग समझ कर शांति से गुज़ारें और तैयार रहें जल्द ही कोई बड़ी जिम्मेदारी आपको मिलने वाली है।

मनुस्मृति लखोत्रा