अध्यात्म सात्विक, संतुलित एवं संपूर्ण जीवन जीने की एक कला है जिसमें कई रहस्य छिपे हुए हैं। अध्यात्म को जानने या समझने के लिए साइंस के कोई सूत्र नहीं बने हैं बल्कि इसे समझने के लिए बौधिक स्तर पर आध्यात्मिकता के साथ जुड़कर ही समझा जा सकता है। मनुष्य का जन्म क्यों हुआ, जन्म व मृत्यु के रहस्य को जानने के लिए युगों-युगों से कितने ही महान संत खोज करते आए हैं फिर जो निष्कर्ष निकला वो ये था कि मनुष्य जावन का उद्देश्य आत्मा का परमात्मा से मिलन है। निराकार पारब्रह्म को जानना है उसमें लीन होना है।
अध्यात्म से जीवन में कई तरह के बहलाव आते हैं जिसका अनुमान हमें धीरे-धीरे होने लगता है। अध्यात्म की शक्ति से हमारा जीवन बदल सकता है। जब अपने ईष्ट के प्रति श्रद्धा और अध्यात्म का संगम होता है तो मन व बुद्धि में चमत्कारिक प्रभाव होते हैं क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति में ऐसी शक्ति होती है जिससे व्यक्ति का जीवन बदल सकता है बशर्ते मन और इच्छाशक्ति मजबूत होनी चाहिए।
मन को चार प्रकार का बताया गया है- कॉन्शस, अनकॉन्शस, क्लेक्टिव और कॉस्मिक। ध्यान के माध्यम से आज्ञाचक्र को सुदृढ़ करते हैं, तब हमारे क्लेक्टिव माइंड को मजबूती मिलती है। मजबूत क्लेक्टिव माइंड हमें वह शक्ति देता है जिससे मन-मस्तिषक ओजस्वीं होता है व रास्ते में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती बाकि के चरण इसके आगले पड़ाव हैं।
लेकिन इस मार्ग में सबसे महत्वपूर्ण है कर्म। अगर कर्म आपका महान है तो वह व्यक्ति देवताओं के समान पूजनीय हो जाता है और यदि नीच कर्म करते हो तो वह राक्षसी प्रवृति का हो जाता है। साधना के माध्यम से अपनी सफलता के रास्ते को स्पष्ट, सुनिश्चित व सुदृढ़ किया जा सकता है। मंत्रजाप भी साधना का एक प्रभावशाली माध्यम है जिसके जरिए अपने चक्रों को जागृत करने में सहायता मिलती है।
संपादकः मनुस्मृति लखोत्रा