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धर्म एवं आस्थाः क्या महादेव शिव जेनेटिक्स विज्ञान के भी ज्ञाता थे ! क्यों आज भी विज्ञान है उनसे कहीं अधिक पीछे ?

धर्म एवं आस्थाः इस दुनियां में ईश्वर का अस्तित्व है या नहीं, इस बारे में दोनों तरह के लोगों की अलग-अलग राय है। आस्तिक लोग ईश्वर की सत्ता को ही सर्वोपरि मानते हैं, उनके अनुसार ईश्वर ही इस सृष्टि के पालनकर्ता व संहारकर्ता हैं, वहीं दूसरी ओर नास्तिक लोग ईश्वर में विश्वास नहीं करते उनकी अपनी-अपनी धारणाएं हैं। तो वहीं विज्ञान भी हरेक घटना के प्रमाण मांगता है उसके बिना वो भी किसी निष्कर्ष पर तब तक जवाब नहीं देता जब तक सटीक प्रमाण न मिल जाए। लेकिन ईश्वर का अस्तित्व हैं या नहीं इस बारे में वैज्ञानिक भी अब अपनी राय रखने लग गए हैं। असल में ऐसा हमारे धार्मिक ग्रंथों पर चल रहे कई शोधों के आधार पर माना जाने लगा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि महादेव शिव सबसे पहले और सबसे बड़े वैज्ञानिक हैं। आज के युग में भी विज्ञान अभी उनसे बहुत पीछे है। क्योंकि आज जितनी भी खोजें हो रही हैं वे धार्मिक ग्रंथों के आधार पर हो रही है लेकिन जितना उस वक्त खोजा जा चुका था आज भी हमारे वैज्ञानिक उतना हासिल नहीं कर पायें हैं। आज की खोजें पहले देवी-देवताओं द्वारा की गई खोजों से काफी पीछे हैं।

इस विषय में आईआईटी भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान मुंबई में हिंदू धार्मिक ग्रंथों व आधुनिक विज्ञान पर कई शोध चल रहे हैं। एक अखबार में छपे लेख के अनुसार आनुवांशिकी विज्ञान पर शोध करने वाले जेनेटिक्स डॉ. एसबी काले का कहना है कि डीएनए का प्रथम उल्लेख वेदों में मौजूद है। अपनी इस बात को साबित करने के लिए वह एक वैदिक सूत्र के उदाहरण से साबित करते हैं।

उनके अनुसारः-

असपिण्डाच चा मातुरसगोत्राच या पितु:। 
सा प्रशस्ता द्बिजातीनां दार कर्मणि मैथुने मनु

हिंदु धर्म शास्त्रों के अनुसार महादेव शिव ने भगवान गणेश के धड़ पर हाथी का सिर स्थापित किया था उस वक्त ऐसा करना जेनेटिक्स का प्रथम उदाहरण हो सकता है, लेकिन आज भी हमारा आधुनिक विज्ञान इंसान का सिर कटने के बाद उसका ही सिर उसके धड़ पर लगाने में कामयाब नहीं हुआ है। आज भी डॉक्टर्स एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति का खून उसी ब्लड ग्रुप का ही चढ़ा पाते हैं और अंगो का प्रत्यारोपण भी इसी प्रकार होता है लेकिन भगवान शिव द्वारा हाथी का सिर भगवान गणेश के धड़ पर लगाकर पुनर्जीवित करना भगवान शिव के उच्च दर्जे के ज्ञान का दर्शाता है।

आज जेनेटिक्स को लेकर कई शोध चल रहे हैं। जिसमें मानव अंगों के प्रत्यारोपण से लेकर अमरता तक सब कुछ शामिल है। वैज्ञानिकों का मानना है कि वो दिन दूर नहीं जब आधुनिक विज्ञान अमरता के फार्मुले को काफी हद तक खोजने में सफल हो जाएंगे। उन्होंने ये भी बताया कि इस संबंध में सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी यानि कोशिकीय एवं आण्विक जीव विज्ञान केंद्र, हैदराबाद के निदेशक प्रो. सुमन ठाकुर भी इस बारे में एक सिद्धांत दे चुके हैं। उनके अनुसार प्राचीन भारतीय विज्ञान में आधुनिक विज्ञान के सिद्धांतों का विवरण, लेकिन आधुनिक आविष्कारों के साथ नके संबंध को प्रमाणित करने की भी आवश्यकता है।

इस संबंध में अमेरिका भी चल रहे हैं कई शोधः-

उनका कहना है कि संबंध में अमेरिकी जेनेटिस्ट प्रो. क्रेग वेंटर जीनोम प्रोजेक्ट राइट पर काम कर रहे हैं। उनका दावा है कि कुछ सालों तक उम्र पर नियंत्रण करना संभव हो जाएगा। यानि आधुनिक विज्ञान लोगों को लंबे समय तक जवान व जीवित रखने में सक्षम हो जाएगा।

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भगवान शिव के कुछ और हैरान कर देने वाले तथ्य जानेः-

वैज्ञानिक भी कहीं न कहीं तो इस बात को स्वीकार करते ही हैं कि उस वक्त ब्रह्मास्त्र जैसे कई शक्तिशाली अस्त्र-शस्त्र थे जिनकी परिकल्पना के आधार पर ही परमाणु हथियार व मिसाइलों की खोज की गई। उस वक्त बाणों के ज़रिए दुश्मनों पर प्रहार किया जाता था। आज मिसाइलों का प्रयोग किया जाता है। हमारे वेदों में भगवान शिव के पास कई ऐसे अद्भुत शस्त्रों का विवरण मिलता है, जो अत्यंत हल्के और छोटे होने के बावजूद पूरी सृष्टि को नष्ट करने की क्षमता रखते थे। लेकिन आज उपयोग में लाए जाने वाले अस्त्र-शस्त्र इतने शक्तिशाली नहीं है जितने उस समय थे।