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Happiness is Free: आपका ‘फ्रेंड-सर्कल’ आपके व्यक्तित्व के निर्माण को कैसे प्रभावित करता है ?

कहते हैं हमारी लाइफ में हमारा फ्रेंड-सर्कल यानि संगति हमारे व्यक्तित्व के निर्माण को प्रभावित करती है। वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी ‘जैसी संगति, वैसी रंगति’। अच्छे दोस्तों या आपके आस-पास अच्छे लोगों का होना आपके चरित्र, व्यक्तित्व के निर्माण और विकास में अहम रोल अदा करते हैं, क्योंकि हम लोग सोशल हैं बिना किसी से बात किए या मिले बिना रहना संभव नहीं है। अच्छी संगति से जहां हम मान-सम्मान, यश और कीर्ति कमाते हैं, वहीं बुरी संगति आपके अंदर से सद्गुणों को भी धीरे-धीरे खत्म कर देती है या फिर किसी के भी पतन का कारण बन सकती है। कहते भी हैं कि अगर किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व और आचरण के बारे में जानना हो तो उसके दोस्तों का आचरण जान लो, यानिकि जिस व्यक्ति के दोस्त अच्छे आचरण वाले, लायक व मेहनती होंगे, वह व्यक्ति वैसे ही आचरण को अपना लेता है और जिस व्यक्ति के दोस्त बुरे व दुराचारी होंगे, स्वाभाविक है..वह वैसा ही होगा। इसलिए सोच-समझ कर अपनी दोस्ती का दायरा बढ़ाएं।
किसी के भी पहनावे और बोलचाल से भी उसके व्यक्तित्व का अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन फिर भी व्यक्ति पर संगति का जाने आनजाने असर पड़ ही जाता है। अच्छे दोस्त हमेशा आपको गलत राह की ओर जाने से रोकेंगे, दोस्तों की देखा-देखी ही कई बार हम अपनी लाइफ के बड़े और सही डिसीजन ले लेते है तो बाद में जाकर आपको अहसास होता है कि अगर उस समय, उस दोस्त ने रास्ता न दिखाया होता तो शायद आज आप अपना मुकाम हासिल न कर पाते।
अच्छी संगति में रहकर हम अच्छे-बुरे की पहचान करना जल्दी सीख लेते हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को ज्ञान और विवेक प्राप्त करने के लिए अच्छी संगति को अपनाना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से हमें दूसरों से अच्छे संस्कार और स्वच्छ परिवेश मिलता है जिस वजह से हम कल्याण या उन्नति के मार्ग पर चलते हैं। इसके विपरीत यदि कोई भी व्यक्ति दूषित वातावरण में रहता है तो उसके कार्य भी उससे प्रभावित हो जाते हैं। ऐसे में व्यक्ति को अपनी इच्छा-कामना को नियंत्रण में रखने के लिए अपनी संगति सुधारनी चाहिए। समय रहते व्यक्ति को ऐसे दोस्तों से परे हट जाना चाहिए जिन्हें न ही अपने भविष्य को उज्जवल बनाने की चिंता है, न ही सहीं रास्ते पर चलने का कोई फिक्र, अगर कोई भी व्यक्ति अपनी संगति सुधार लेता है तो उसका जीवन सुधर जाएगा क्योंकि संगति व्यक्ति को सदैव सद्कर्म एवं विकास के लिए प्रेरित करती है और समाज में उच्च स्तर प्रदान करती है। अच्छी संगति व्यक्ति को स्वाभिमानी बनाती है और उसे कठिन परिस्थितियों का सफलतापूर्वक सामना करने की शक्ति प्रदान करती है।

मनुस्मृति लखोत्रा