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Happiness is Free: क्या नौकरी जाने के डर से बेहतर परफॉर्मेंस दे पाते हैं इम्पलोईज़ ? या फिर इम्पलोईज़ में बढ़ रहा है डिप्रेशन का खतरा !

पिछले कुछ अर्से से अधिकतर कंपनियों में तनाव का माहौल इम्पलोईज़ की सिरदर्दी का कारण बन गया है, क्योंकि इन दिनों ज्यातर कंपनियां ऑटोमेशन की तरफ बढ़ रही हैं, या सफलता के नए आयाम विदेशों में ढूंढ रही हैं, जिस वजह से समय-समय पर बड़े पैमाने में इम्पलोईज़ की छंटनी की जा रही है। ये एक बड़ी वजह है जिससे कामकाजी लोगों में तनाव बढ़ता जा रहा है।

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इम्पलोईज़ में बढ़ते तनाव के कुछ और कारण भी हो सकते हैं, आइए गौर करते हैं।

  • नौकरी खोने के डर से अच्छा आउटपुट देने की होड़ से बढ़ता तनाव
  • इस बारे में कई रिसर्च हुए हैं जिससे कई कारण उभर कर सामने आए हैं। इन दिनों कंपनियों में अपने कर्मचारियों से टारगेट पूरा करने और बेहतर नतीजे लाने का दबाव इतना बढ़ चुका है, क्योंकि उन्हें लगता है ऐसा करने से कर्मचारी अच्छा काम करेंगे।
  • इस बारे में एक वेबसाइट पर छपे एक लेख में…..“एक बड़ी अमरीकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक के पूर्व चेयरमैन जैक वेल्श इस बात का एक फॉर्मूला ले आए थे। ये फॉर्मूला था -20-70-10. यानिकी सबसे खराब काम करने वाले दस फीसदी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दो, इससे बाकी लोगों पर बेहतर काम करने का दबाव बनेगा, कंपनी का परफॉर्मेस इससे अच्छा होगा।
  • इसी से संबंधित एक और फॉर्मूला है “अप-ऐंड आउट” दरअसल ये फॉर्मूला था, जो लोग काम में सुधार नहीं ला रहे हैं, या जो तरक्की की रेस में पिछड़ रहे हैं, उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाए और उनकी जगह नए लोग लाए जाएं।

देखा जाए तो आजकल सभी कंपनियां इन्हीं फॉर्मूले का इस्तेमाल करके ऑफिस में चुनौतीपूर्ण और तनावभरा माहौल पैदा कर रही हैं। लेकिन इस बारे में जानकारों का मानना है कि “ऐसा करके कंपनियां न तो अपना फायदा करती हैं और न तो मुलाज़िमों का”….

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क्योंकि कहीं न कहीं ऐसा करके कंपनियां ऑफिस में अनिश्चितता का माहौल पैदा कर देती हैं जिस वजह से तनाव में आकर कई अच्छे कर्मचारी पहले ही दूसरी नौकरी देखने लग जाते हैं या फिर रिज़ाइन कर देते हैं। ऐसा माहौल पैदा करने से कंपनी में ज्यादा बेहतर आउटपुट की बजाए कर्मचारियों की परफॉर्मेंस और भी खराब होने लगती है और कई लोग तो डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं।

हालांकि कि अलग-लग कंपनियों और पेशों में दबाव अलग-अलग तरह का होता है और उसके साथ ही किसी भी इंम्पलोई की आर्थिक हालत भी बड़ा रोल निभाती है, कि फलां इंम्पलोई कहां, किस हालत में और कौन सी जगह में रह रहा है, उसके आर्थिक हालात, घर, परिवार उसे कितना सहयोग कर रहे हैं या नहीं…..

ये तनाव जब और भी ज्यादा बढ़ जाता है जब आपको नौकरी छोड़ने का नोटिस दिया जाता है। कई कंपनीज़ में तीन महिने का नोटिस दिया जाता है जहां इम्पलोई को थोड़ी राहत मिल जाती है, तब तक कोई और नौकरी ढूंढने के लिए वक्त मिल जाता है, लेकिन कई जगह सिर्फ एक महीने या दो हफ्ते के नोटिस पर ही इम्पलोईज को निकाल दिया जाता है। तब नौकरी छोड़ने से ज्यादा भविष्य और प्रमोशन की टेंशन ज्यादा घेर लेती है।

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एक अखबार में छपे लेख में “इस बारे में बेल्जियम की ल्यूवेन यूनीवर्सिटी की मनोवैज्ञानिक टिन वांडर एल्स्ट ने इस बारे में काफी काम काम किया है। वांडर का कहना है कि बेल्जियम में सिर्फ 6 फीसदी लोग नौकरी जाने के डर के शिकार हैं। वहीं 31 फासदी लोग अपने काम के रोल को लेकर परेशान हैं। इन दोनों ही बातों में उनके काम पर असर पड़ता है। नौकरी जाने का डर और तरक्की न मिलने की चिंता लोगों में तनाव बढ़ाती है। वांडर का कहना है कि नौकरी में ख़ौफ़ का माहौल कभी भी कारगर साबित नही हो सकता। तनाव भरा माहौल किसी भी ऑफिस में काम की क्वालिटी को गिरा देता है और साथ ही इम्पलोईज़ की सेहत पर भी असर पड़ता है”।

लेकिन दूसरी ओर कई जानकारों का मानना है कि ऑफिस में थोड़ा तनाव तो होना जरूरी है इससे कर्मचारियों को बेहतर काम करने का हौसला मिलता है और नौकरी की छंटनी की फिक्र से इम्पलोईज़ ज्यादा मेहनत करने लगते हैं। भले ही इस बारे में कोई वैज्ञानिक और ठोस आंकड़े नहीं हैं लेकिन इसे तजुर्बे के आधार पर माना जाता है।

इस बारे में सबकी अपनी-अपनी राय हो सकती है लेकिन मेरा मानना है कि जिस नौकरी में आपके साथ नाइंसाफी हो रही हो, पारदर्शिता का माहौल न हो, अच्छी परफॉर्मेंस पर भी अच्छा इंक्रीमेंट या प्रमोशन न मिल रहा हो, आपका बॉस आपका साथ न देकर ऐसे लोगों का साथ दे रहा हो जो आपके वर्क का क्रेडिट खुद ले जाते हों, बात-बात पर नौकरी से निकाल देने का डर पैदा किया जा रहा हो, तो समझ लीजिए अब आपकी यहां कोई जगह नहीं है। आपको अब अपने लिए कोई और नौकरी ढूंढ लेनी चाहिए, और यक़ीन मानिए ऐसा करने से घबराएं नहीं बल्कि अपने ऊपर कॉन्फिडेंस रखें, हो सकता है आपके द्वारा उठाया गया जोखिम आपकी ज़िंदगी ही बदल दे। क्योंकि एक तो नई जगह पर जाकर आप ज्यादा सैलरी पैकेज और एक अच्छी पोजिशन भी पा सकते हैं, ये आपकी इंटरवियू पर डिपेंड करता है, और रिस्क लेने से आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और हो सकता है बेहतर आयाम आपका रास्ता देख रहे हों,  नए प्रोजेक्ट्स पर काम करने का मौका मिलेगा, नया माहौल आपकी ज़िंदगी में फिर से उत्साह ला सकता है, और सबसे खास बात है आप अपने आपको एक बार फिर से प्रूव करके दिखा सकते हैं..बेशक! किसी और के लिए नहीं बल्कि आपनी सेल्फ रिस्पेक्ट के लिए…..।

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संपादक

मनुस्मृति लखोत्रा

                                                                                                                                                                Image courtesy- pixabay