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Way to Spirituality: जब एक नगरवधू अपना सबकुछ त्याग कर बुद्ध की शरण में चली गई ! जानिए

धर्म एवं आस्था डैस्कः आम्रपाली का नाम इतिहास की सबसे खूबसूरत महिलाओं में शुमार है। कहते हैं कि वो इतनी खूबसूरत थी कि हर कोई उसकी एक झलक पाने तक के लिए बेताब रहता था। लेकिन उसकी यह खूबूसरती ही उसके दुर्भाग्य का कारण बनी। ये करीब 500 ईसा पूर्व की बात है जब लिच्छवी गणराज्य की राजधानी वैशाली में एक गरीब दंपती को एक आम के पेड़ के नीचे एक बच्ची पड़ी मिली थी। आम के पेड़ के नीचे मिलने की वजह से उसका नाम आम्रपाली रख दिया गया। उसके मां-बाप के बारे में कोई जानकारी नहीं है। कहते हैं आम्रपाली उस समय की सबसे खूबसूरत महिला थी। पाली ग्रन्थों में उसकी खूबसूरती का वर्णन मिलता है। आम्रपाली इतनी खूबसूरत थी कि नगर का हर पुरुष उससे विवाह करने के लिए लालायित रहता था। पाली ग्रन्थों के मुताबिक, राजा से लेकर व्यापारी, हर कोई आम्रपाली को पाना चाहता था, जिस वजह से उसे बहुत ही कम उम्र में राज्य के आदेश से वेश्या (जिसे नगरवधु कह कर पुकारा जाता है) बनना पड़ा। आम्रपाली शायद इतिहास की पहली वो इकलौती महिला थी जिसे सुंदर होना बदनसीबी की ओर ले गया। उसकी एक खूबसूरत लड़की से नगरवधु बनने और उसके बाद भिक्षुणी बनने तक की यात्रा काफी ट्रजिक रही।

आम्रपाली की खूबसूरती के चर्चे दूर-दूर तक थे, जब ये खबर वैशाली संसद के सदस्यों तक पहुंची तो उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा करने का फैसला किया, और तय हुआ कि वैशाली राज्य की एकता और शांति के लिए सभी की खुशी ज़रूरी है, इसलिए आम्रपाली को नगरवधु बनाया जाए। इससे वैशाली के लोग खुश हो गए लेकिन आम्रपाली उन सबकी शिकार बन गई। आम्रपाली को जनपथ कल्याणी की उपाधी दी गई जो कि साम्राज्य की सबसे खूबसूरत और प्रतिभाशाली महिला को दिया जाता था।

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आम्रपाली से भिक्षुणी बनने तक का सफर

बुद्ध अपने एक प्रवास में वैशाली आये। कहते हैं कि उनके साथ सैकड़ों शिष्य भी हमेशा साथ रहते थे। सभी शिष्य प्रतिदिन वैशाली की गलियों में भिक्षा मांगने जाते थे।

वैशाली में ही आम्रपाली का महल भी था। वह वैशाली के राजा, राजकुमारों, और सबसे धनी और शक्तिशाली व्यक्तियों का मनोरंजन करती थी। एक दिन उसके द्वार पर क भिक्षुक भिक्षा मांगने के लिए आया। उस भिक्षुक को देखते ही वह उसके प्रेम में पड़ गयी।  वह प्रतिदिन ही राजा और राजकुमारों को देखती थी पर मात्र एक भिक्षापात्र लिए हुए उस भिक्षुक में उसे अनुपम गरिमा और सौंदर्य दिखाई दिया।
वह अपने परकोटे से भागी आई और भिक्षुक से बोली – “आइये, कृपया मेरा दान गृहण करें” .
उस भिक्षुक के पीछे और भी कई भिक्षुक थे। उन सभी को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ। जब युवक भिक्षु आम्रपाली की भवन में भिक्षा लेने के लिए गया तो वे ईर्ष्या और क्रोध से जल उठे।

भिक्षा देने के बाद आम्रपाली ने युवक भिक्षु से कहा – “तीन दिनों के बाद वर्षाकाल प्रारंभ होनेवाला है, मैं चाहती हूं कि आप उस अवधि में मेरे महल में ही रहें.”

युवक भिक्षु ने कहा – “मुझे इसके लिए अपने स्वामी तथागत बुद्ध से अनुमति लेनी होगी। यदि वे अनुमति देंगे तो मैं यहां रुक जाऊंगा।”

उसके बाहर निकलने पर अन्य भिक्षुओं ने उससे बात की। उसने आम्रपाली के निवेदन के बारे में बताया। यह सुनकर सभी भिक्षु बड़े क्रोधित हो गए। वे तो एक दिन के लिए ही इतने ईर्ष्यालु हो गए थे और यहां तो पूरे चार महीनों की योजना बन रही थी! युवक भिक्षु के बुद्ध के पास पहुंचने से पहले ही कई भिक्षु वहां पहुंच गए और उन्होंने इस वृत्तांत को बढ़ा-चढ़ाकर सुनाया – “वह स्त्री वैश्या है और एक भिक्षु वहां पूरे चार महीनों तक कैसे रह सकता है ?”

बुद्ध ने कहा – “शांत रहो, उसे आने दो। अभी उसने रुकने का निश्चय नहीं किया है, वह वहां तभी रुकेगा जब मैं उसे अनुमति दूंगा।”

युवक भिक्षु आया और उसने बुद्ध के चरण छूकर सारी बात बताई – “आम्रपाली यहां की नगरवधू है। उसने मुझे चातुर्मास में अपने महल में रहने के लिए कहा है। सारे भिक्षु किसी-न-किसी के घर में रहेंगे। मैंने उसे कहा है कि आपकी अनुमति मिलने के बाद ही मैं वहां रह सकता हूं।”

बुद्ध ने उसकी आंखों में देखा और कहा – “तुम वहां रह सकते हो।”

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यह सुनकर कई भिक्षुओं को बहुत बड़ा आघात पहुंचा। वे सभी इसपर विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि बुद्ध ने एक युवक शिष्य को एक वैश्या के घर में चार मास तक रहने के लिए अनुमति दे दी। तीन दिनों के बाद युवक भिक्षु आम्रपाली के महल में रहने के लिए चला गया। अन्य भिक्षु नगर में चल रही बातें बुद्ध को सुनाने लगे – “सारे नगर में एक ही चर्चा हो रही है कि एक युवक भिक्षु आम्रपाली के महल में चार महीनों तक रहेगा!”

बुद्ध ने कहा – “तुम सब अपनी चर्या का पालन करो।  मुझे अपने शिष्य पर विश्वास है। मैंने उसकी आंखों में देखा है कि उसके मन में अब कोई इच्छाएं नहीं हैं। यदि मैं उसे अनुमति न भी देता तो भी उसे बुरा नहीं लगता। मैंने उसे अनुमति दी और वह चला गया। मुझे उसके ध्यान और संयम पर विश्वास है। तुम सभी इतने व्यग्र और चिंतित क्यों हो रहे हो? यदि उसका धम्म अटल है तो आम्रपाली भी उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहेगी। और यदि उसका धम्म निर्बल है तो वह आम्रपाली के सामने समर्पण कर देगा। यह तो भिक्षु के लिए परीक्षण का समय है। बस चार महीनों तक प्रतीक्षा कर लो, मुझे उसपर पूर्ण विश्वास है। वह मेरे विश्वास पर खरा उतरेगा।”
उनमें से कई भिक्षुओं को बुद्ध की बात पर विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने सोचा – “वे उसपर नाहक ही इतना भरोसा करते हैं। भिक्षु अभी युवक है और आम्रपाली बहुत सुन्दर है। वे भिक्षु संघ की प्रतिष्ठा को खतरे में डाल रहे हैं।” – लेकिन वे कुछ कर भी नहीं सकते थे।

चार महीनों के बाद युवक भिक्षु विहार लौट आया और उसके पीछे-पीछे आम्रपाली भी बुद्ध के पास आई। आम्रपाली ने बुद्ध से भिक्षुणी संघ में प्रवेश देने की आज्ञा मांगी। उसने कहा – “मैंने आपके भिक्षु को अपनी ओर खींचने के हर संभव प्रयास किये पर मैं हार गयी। उसके आचरण ने मुझे यह मानने पर विवश कर दिया कि आपके चरणों में ही सत्य और मुक्ति का मार्ग है। मैं अपनी समस्त सम्पदा भिक्षु संघ के लिए दान में देती हूं। ”

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आम्रपाली के महल और उपवनों को चातुर्मास में सभी भिक्षुओं के रहने के लिए उपयोग में लिया जाने लगा। आगे चलकर वह बुद्ध के संघ में सबसे प्रतिष्ठित भिक्षुणियों में से एक बनी।