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Way to Spirituality: पञ्चाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” है वेदों का सार-तत्व, जिसमें छिपे हैं कितने ही चमत्कारिक रहस्य ! जानिए अर्थ व उच्चारण विधि

अध्यात्म डैस्कः ॐ नमः शिवाय मंत्र बेहद पवित्र व चमत्कारी है, हिंदू धर्म में इस धर्म की बहुत ही मान्यता है। ये मंत्र सर्वशक्तिमान और ऊर्जा से परिपूर्ण है इसका जप करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं व सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस मंत्र को शिव पञ्चाक्षरी मंत्र भी कहा जाता है क्योंकि इस मंत्र में ॐ प्रणव मंत्र के साथ 5 अक्षरी ( न, मः, शि, वा, य ) शामिल है। इस मंत्र को वेदों का सार तत्व भी कहा गया है। प्रचीन काल में ऋषियों ने इस मंत्र को मोक्षदायी, शिवस्वरूप और स्वयं शिव की आज्ञा से सिद्ध माना गया है।

‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्र का मतलब यह भी माना जाता है कि “आत्मा घृणा, तृष्णा, स्वार्थ, लोभ, ईष्र्या, काम, क्रोध, मोह, मद और माया से रहित होकर प्रेम और आनंद से परिपूर्ण होकर परमात्मा का सानिध्य प्राप्त करें। अर्थात् आत्मा का परमात्मा से मिलन हो”।

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यह मंत्र हमारे शरीर का शुद्धिकरण करता है और इस मंत्र का जाप यदि किया जाए तो व्यक्ति को अदभुत लाभ मिलते हैं। शिव महापुराण के अनुसार इस मंत्र की महत्ता का वर्णन 100 करोड़ साल में भी संभव नहीं है। वेद और शैवागम में इस मंत्र को शिवभक्तों की सर्वमनोकामना पूर्ण करने वाला बताया गया है। ओम नमः शिवाय मंत्र विभिन्न प्रकार की सिद्धियों से युक्त होने के कारण भक्तों के मन को प्रसन्न एवं निर्मल करने वाला है। जिसके जप से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

ओम नमः शिवाय का उच्चारण कैसे करें ?

एक लेख में ओम नमः शिवाय के उच्चारण को लेकर बड़ी ही सुंदर व्याख्या की गई है, जिसके अनुसार

“अंगूठे से अग्नि

 तर्जनी से वायु

 मध्यमा से आकाश

 अनामिका से पृथ्वी

कनिष्का से जल तत्व का संचार सदैव रहता है।

पंचाक्षर में पांच अक्षर भी इन पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं। न अग्नि, मः वायु, शि आकाश, वा पृथ्वी और य जल तत्व के प्रतिनिधि हैं। इसलिए आप नमः शिवाय का जाप करते समय सबसे पहले ‘‘न’’ का मन ही मन उच्चारण करें, उस समय अंगूठे पर तर्जनी अंगुलि का प्रेशर डालें, फिर ‘‘मः’’ का उच्चारण करते समय तर्जनी अंगुलि पर अंगूठे का प्रेशर डालें, ‘‘शि’’ के उच्चारण के दौरान अंगूठे का प्रेशर मध्यमा अंगुलि पर, ‘‘वा’’ के उच्चारण के समय अंगूठे से अनामिका पर प्रेशर बनाएं और ‘‘य’’ के उच्चारण के दौरान अंगूठे से कनिष्का अंगुलि पर प्रेशर डालें। फिर ‘‘ॐ’’ का उच्चारण करते हुए हाथ को इस प्रकार पूरा खोल लें। निरंतर ऐसा करते रहने से आपके शरीर में पांच तत्वों के बीच सामन्जस्य बना रहेगा। शरीर का जो भी तत्व असंतुलित है, वह इस प्रकार के प्रेशर से शरीर की शक्ति को पुनः जागृत कर देगा। जब पांचों तत्व शरीर में संतुलित होंगे तो काया निरोगी रहेगी”।

मानसिक और शारीरिक कोई भी बीमारी तभी होती है जब शरीर में पांच में से किसी तत्व का बैलेंस खराब हो जाता है। हमारे शरीर में आकाश तत्व मस्तिष्क में, अग्नि तत्व कंधे में, वायु तत्व नाभी में, पृथ्वी तत्व घुटनों में और जल तत्व पांवों के नीचले भाग में स्थित हैं। नमःशिवाय के उच्चारण के साथ अंगुलियों पर प्रेशर होने से ये पांचों तत्व सदैव संतुलित रहेंगे। इससे आपकी काया तो निरोगी रहेगी ही साथ ही आपमें पॉजिटिव एनर्जी बनी रहेगी। 

ओम नम: शिवाय जप कैसे करना चाहिए ?

‘ऊं नम: शिवाय मंत्र’ का प्रतिदिन रुद्राक्ष की माला से जप करना चाहिए। जप पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए। यदि आपके जीवन में कोई परेशानी या समस्या आन पड़ी है तो श्रद्धापूर्व ‘ऊं नम: शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नम: ऊं’ मंत्र का एक लाख जप करना चाहिए। यह बड़ी से बड़ी समस्या और विघ्न को टाल देता है। लेकिन जप करने से पहले एकांत स्थान का चयन करें व अपने मन एवं तन को भी स्व्च्छ व शुद्ध रखें।

( इस आलेख में दी गई जानकारी विभिन्न स्त्रोतों से ली गई है, जिसका उद्देस्य सामान्य जानकारी देना है )