धर्म एवं आस्थाः मंत्र-तंत्र एवं यंत्र एक ऐसा रहस्य है जिसमें अनेकों आलौकिक शक्तियां सम्माहित हैं। मंत्र उच्चारण से मनवांछित फल की प्राप्ति की जा सकती है बशर्ते इसके लिए आपको विधिपूर्वक साधना के साथ श्रद्धा एवं विश्वास कायम रखना होगा। कहा जाता है कि मंत्र का सीधा संबंध मानव के मन से है, अतः मन को एकाग्र करके ही मंत्र सिद्धी की प्राप्ति होती है। मंत्र शब्दों या वाक्यों का वह वर्ण समूह होता है जिसके निरंतर जाप से विशेष शक्ति व ऊर्जा की प्राप्ति की जा सकती है। मंत्र-तंत्र-यंत्र हमारे ऋषियों व महापुरुषों की देन है जिसमें जितनी एकाग्रता एवं तन्मयता होगी वो उतनी ही जल्द मंत्र सिद्धी कर पाएगा।
कहते हैं कि जिसके भाग्य में जितना लिखा है उतना उसे अवश्य मिलेगा, लेकिन मंत्र जाप व पूजा पाठ इन कार्यों को पूरा करने में सहायक सिद्ध होते हैं व भाग्य के अनुसार ही मंत्र साधना का लाभ मिलता है। सोए हुए भाग्य को जगाने के लिए भगवत आराधना, तंत्र-मंत्र-यंत्र साधना अति सहायक सिद्ध होती हैं। मंत्र शास्त्र के अंतर्गत हरेक कार्य को पूरा करने के लिए विशेष प्रकार के मंत्र हैं जो कि व्यक्ति के विभिन्न प्रकार के कार्यों को पूरा करने के लिए निश्चित व सक्षम हैं।
कई मंत्र इतने चमत्कारिक एवं प्रभावशाली होते हैं जो कि अपने आप में स्वयं सिद्ध होते हैं, जैसे गुरु गोरखनाथ एवं भगवान दत्तात्रेय कृत मंत्र। मूल रूप से जो मंत्र हैं वे वैदिक, साबर एवं तांत्रिक मंत्र हैं। इन दोनों को एक साथ नहीं जपा जा सकता। किसी विशेष कार्य की सिद्धी से किया गया मंत्र जाप उस कार्य को पूरा तो करता ही है लेकिन मंत्र सिद्धी भी प्राप्त होती है। ग्रह दोष को शांत करने के लिए, शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए, भगवत आराधना के साथ मंत्र आराधना विशेष फलदायक होती है। इसके द्वारा आत्मिक शक्ति का जागरण होता है जिससे कई रोगों से भी मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। मंत्र साधना को यदि उचित तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो इससे सुखमय, शांतिमय व आनंमय जीवन बनाने में सहायता मिलती है।
कुछ विशेष कार्यों की प्राप्ति के लिए हमें कौन से देवी या देवता के मंत्रों का जाप करना चाहिए ये आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
लक्ष्मी की प्राप्ति के लिएः-
- श्री सुक्त का सोलह पाठ नित्य प्रतिदिन करें या करवाएं।
- श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ नियमित करें।
- गीता के बारहवें अध्याय का पाठ करें।
- श्री कनक धारा स्तोत्र का 11 पाठ नियमितरूप से करें।
शत्रु से मुक्ति पाने के लिएः-
- बजरंग बली हनुमान जी की उपासना करें श्री बजरंग बाण का 108 पाठ नियमित रूप से हनुमान जी की तस्वीर के सम्मुख बैठकर करें।
- मंगलवार का व्रत करें।
- बच्चों को यदि नज़र लगी हो तो इस मंत्र का जाप 21 बार करके भस्म फूंककर बच्चों को लगाएं। ये मंत्र हैः-
“ओम नमो हनुमंता ब्रज का कोठा, जिसमें पिंड हमारा बैठा।
ईश्वर कुंजी ब्रह्मा ताला, इस घर पिंड का यही हनुमत रखवाला”
बाधा निवारण के लिएः-
- किसी भी प्रकार की बाधा के निवारण के लिए दुर्गा सप्तशती के निम्न श्लोक का पाठ लाभ देगा। विशेष दूप से धन और पुत्र प्रप्ति में सहायक हैः-
सर्वाबाधाविघ्नमुक्तो धन दान्य सुतान्वित।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय।।
ऋण से मुक्ति पाने के लिएः-
- ऋण मोचन भंग स्तोत्र के 11 पाठ नियमित करें। मंगल ग्रह की वस्तुओं का दान करें। मंगलवार का व्रत रखें। हर शनिवार को किसी गरीब व्यक्ति को भोजन कराएं।
व्यवसाय व रोजगार की प्रत्येक समस्या के निवारण के लिएः-
- श्रीमद्भगवदगीता के नौवें अध्याय के बाईसवें श्लोक का जाप अत्यंत सहायक है। इच्छित फल प्राप्ति हेतु नियमित रूप से करें।
ये मंत्र हैः-
अनन्याशिंचतयंतो मां ये जनां पर्युपासते।
तेषां नित्याभियुत्तानां येगक्षेमं वहाम्यहम।।
ये इतना अदभुत प्रयोग है कि यदि श्री कृष्ण की छवि के सम्मुख बैठकर या मंदिर में नित्य प्रतिदिन शुद्धतापूर्वक सात माला का जप करें तो 41 दिन के भीतर चमत्कारिक प्रभाव देखने को मिलेगा।
अनिष्ट के निवारण व आर्थिक सुधार के लिएः-
- इस मंत्र के नियमित जाप से आर्थिक सुधार होते हैं और अनिष्ट से बचा जा सकता है। इस मंत्र को भगवान राम की सुंदर छवि के सम्मुख या श्री राम पंचायतन की छवि के सम्मुख या मंदिर में श्री राम के सम्मुख जाकर प्रतिदिन पांच, सात या नौ माला का जप करना चाहिए।
ऊं आपदाम अपहतारम दातारम सर्व संपदाम।
लोकभिरामम् श्री रामम् भूयो-भूयो नमाम्हम्।।
लेखक- पं. रामदास पांडे, हरिद्वार (उत्तराखंड)