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Religion & Faith: देश के वो कौन से शहर हैं जहां का दशहरा है विश्वप्रसिद्ध, जानिए।

File- धर्म एवं आस्था डैस्कः हिंदू ज्योतिष के मुताबिक साल में सबसे शुभ 3 घड़ियां होती हैं जिन्हें सबसे शुभ माना जाता है, पहली है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, दूसरी कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा और तीसरी है दशहरा। मान्यता ये भी है कि इस दिन किसी काम की शुरुआत करने से कामयाबी मिलती है।

देशभर में इन दिनों व्रत व त्योहारों की धूम है, नौ दिनों तक चलने वाली नवरात्र पूजा के बाद दसवां दिन दशहरा आता है और दशहरे से पहले नौ दिनों तक जगह-जगह रामलीला का मंचन भी शुरु हो जाता है। दशहरे के दिन रामलीला का समापन तब होता है जब राम रावण के पुतले का धनुष से संहार करते हैं। ये दिन श्री राम की विजय और मां दुर्गा की महिषासुर पर जीत का प्रतीक है। दशहरे का मतलब होता है दसवीं तिथि।

आईए देश के ऐसे शहरों के दशहरे के बारे में जानें जिन्हें देखने दुनियांभर से लोग आते हैं और जो हैं विश्वप्रसिद्ध।

देश की राजधानी दिल्ली का दशहरा

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  1. देश की राजधानी दिल्ली में दशहरे की कई दिन पहले से तैयारियां पूरे ज़ोर-शोर के साथ शुरु हो जाती हैं। मीडिया और सैलानी रामलीला मैदान का मुआएना करने के लिए पहले से ही चक्कर काटना शुरु कर देते हैं ताकि पता चले कि इस बार रावण कैसा बनेगा? यहां रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बहुत ही विशाल और आकर्षक बनाए जाते हैं जिनकी अलग ही धमक होती है। इन पुतलों के आसपास लगे मेले और बाज़ार सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र होते हैं। एक अखबार में दिए आंकड़ों के अनुसार औसतन दिल्ली में हर साल 1000 रामलीला और 250 पूजा पंडाल सजते हैं।

कुल्लू का दशहराः-

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  1. हिमाचल प्रदेश जितना तो अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है उतना ही कुल्लू के दशहरे के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां दशहरा सबसे अनोखे तरीके से मनाया जाता है। यहां का दशहरा आश्विन मास की दशमी से शुरु होता है जो कि त्योहार, परंपरा, रीतिरीवाज़ व ऐतिहासिक दृष्टि से यहां के लोगों के लिए बहुत महत्व रखता है। ऐसी मान्यता है कि कुल्लू का दशहरा उत्सव 17वीं शताब्दी में शुरु हुआ था। एक कथा के अनुसार यहां के राजा जगत सिंह एक रोग से पीड़ित थे उनका बड़ा इलाज हुआ लेकिन आराम नहीं आया उस वक्त एक साधु की सलाह से राजा ने कुल्लू में भगवान रघुनाथजी की प्रतिमा की स्थापना करवाई थी। जिसे वह अयोध्या से लाये थे। इसके बाद उनका स्वास्थ ठीक होने लग गया जिसके बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन व राज्य भगवान रघूनाथ को ही समर्पित कर दिया। तब से कुल्लू में दशहरा बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हिमाचल को देव भूमि कहा जाता है क्योंकि यहां हर गांव का अपना देवता होता है। जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने-अपने आराध्य देव को डोली में बिठाकर झांकी निकालते हैं और मंदिर के मैदान में स्थित कुल्लू के मुख्य भगवान जगन्नाथ से मिलने पहुंचते हैं। यहां दशहरे का उत्सव 7 दिनों तक चलता है जिसमें नाच गाने के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

मैसूर का दशहराः-  

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  1. मैसूर का दशहरा देश में मनाए जाने वाले सभी दशहरों से हटकर है। यहां दशहरा इतने राजसी ठाठ-बाट से मनाया जाता है जिसके चर्चे विश्व प्रसिद्ध हैं। इस दौरान निकलने वाली झांकी को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं। पैलेस और पूरा शहर दुल्हन की तरह सजाया जाता है। इस दौरान लोगों में ज़बरदस्त उत्साह देखने को मिलता है। ये दशहरा 9 दिनों तक चलता है व आखिरी दिन विजयदशमीं का त्यौहार मनाया जाता है। यहां लोग दशहरे को नाद हब्बा के नाम से भी जानते हैं। हालांकि इसबार दशहरा किन्हीं कारणों से स्थगित कर दिया गया है।

बस्तर का दशहरा-  

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  1. यहां का दशहरा भी सबसे अलग है यहां न तो रावण को जलाया जाता है और न ही यहां रामलीला होती है। यहां बड़े अनूठे तरीके से दशहरा मनाया जाता है। यहां दशहरा पूरे 75 दिनों तक चलता है। इस दौरान कई रस्में होती हैं जो कि अपनी प्राकृतिक और आदिवासी संस्कृति के साथ निभाई जाती हैं जिसमें 13 दिनों तक दंतेश्वरी माता समेत अनेक देवी देवताओं की पूजा की जैती है। मान्यता है कि बस्तर या जगदलपुर के दशहरे की शुरुआत 13वी शताब्दी में काकातिया राजा ने की ती जो यहां उस वक्त शासन करते थे। दशहरे के मौके पर रथ यात्रा भी निकाली जाती है।