यादग़ार लम्हेंः “मेरे महबूब क़यामत होगी, आज रुसवा तेरी गलियों में मोहब्बत होगी”: आनंद बख्शी
आज हम हिंदी सिनेमा के सफरनामे में एक ऐसे फ़नकार के बारे में कुछ बातें आपके साथ सांझा करेंगे जिन्होंने शब्दों को कुछ ऐसे तराशा जो गीत बनकर सबके दिलों…
आज हम हिंदी सिनेमा के सफरनामे में एक ऐसे फ़नकार के बारे में कुछ बातें आपके साथ सांझा करेंगे जिन्होंने शब्दों को कुछ ऐसे तराशा जो गीत बनकर सबके दिलों…
धर्म एवं आस्था डैस्कः राधा और कृष्ण के दिव्य प्रेम को कौन नहीं जानता, असल में राधा और कृष्ण प्रेम का ही दूसरा रूप है। उनका प्रेम इतना पवित्र था…
यक़ीन मानिए कुछ रिश्ते इतने अनमोल होते हैं जहां “मैं” या “तुम” की कोई गुंजाइश नहीं होती...लेकिन नाज़ुक भी इतने जैसे कोई रेशम की डोर हो, जो खूबसूरत भी होती…