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Happiness is Free: कुछ रिश्ते अनमोल होते हैं जहां “मैं” की कोई गुंजाइश नहीं होती !

यक़ीन मानिए कुछ रिश्ते इतने अनमोल होते हैं जहां “मैं” या “तुम” की कोई गुंजाइश नहीं होती…लेकिन नाज़ुक भी इतने जैसे कोई रेशम की डोर हो, जो खूबसूरत भी होती है और नाज़ुक भी…जिन्हें बड़े ही प्यार से सहेज कर रखना पड़ता है….क्योंकि अगर ये कच्चा धागा टूट गया तो उसमें गांठ तो लगानी ही पड़ेगी…और जहां एक बार गांठ लग जाए तो दिलों को करीब लाना मुश्किल हो जाता है…इसलिए बेहतर ये होगा कि ऐसे में “हम” कहकर एक-दूसरे की बात को तवज्जो दी जाए तो देखना तू-तू, मैं-मैं के सारे झगड़े ही खत्म हो जाएंगे। क्योंकि ऐसा करने से एक-दूसरे के प्रति महत्व देने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं, और याद रखें कि आप दोनों के द्वारा लिया गया फैसला आप दोनों का होगा, अगर कुछ गलत होता है तो कोई किसी एक को ब्लेम नहीं कर सकता, यदि अच्छा भी होता है तो भी एक-दूसरे के लिए सही होगा आखिर दोनों के फैसले एक-दूसरे के जीवन को भी प्रभावित करते हैं। इसलिए सिर्फ अपने बारे में सोचने से अच्छा, मिलकर एक-दूसरे के लिए सोचना ज्यादा अच्छा है, ताकि लगे कि आपको एक-दूसरे की फिक्र है।

-एक अच्छे रिलेशनशिप के लिए एक-दूसरे का सम्मान करना भी उतना ही ज़रूरी है ताकि कहीं अनजाने में या तैश में आकर एक-दूसरे की भावनाओं व सम्मान को आप आहत न कर दें।

-कई बार ये देखा जाता है कि ज्यादातर कपल्स एक दूसरे की हर बात को काटते हैं, ये भी लिहाज़ नहीं करते कि सामने वाले पर या सुनने वाले किसी तीसरे व्यक्ति पर आपका क्या असर पड़ रहा होगा। हर बात पर क्यों जैसे शब्दों का इस्तेमाल आपके संबंधों में कड़वाहट ला सकता है।

-रिश्तों में सलाह देने तक तो सही है लेकिन सलाह जब ऑर्डर का रूप ले लेती है तो कहीं न कहीं इसमें इगो बड़ी हो जाती है। इसलिए अपनी बात सलाह के तौर पर सांझा करें, जिससे आपका व्यक्तित्व और निखरे व आपके पार्टनर पर आपका एक अच्छा प्रभाव पड़े।

-कई बार ऐसा भी होता है कि आपकी कमेंट करने की आदत ही आपकी दुश्मन बन जाती है। अपने पार्टनर को बेवजह कमेंट करते रहना, उसमें कमियां निकालते रहना भी आपके रिश्ते में दरार ला सकता है….या कई बार आप अपने पार्टनर का कंपैरिज़न औरों से करने लगते हैं, जो आपको बाहर किसी दूसरे में कोई खूबी नज़र आती है वही आप अपने पार्टनर में ढूंढने की कोशिश करने लगते हैं, तो यहां भी आप गलत कर रहें है…कभी ये भी गौर करके देखें कि जो खूबियां आपके पार्टनर में हैं वो औरों में नहीं….रिश्ते निभाना जितना आप आसान समझते हैं उतना है नहीं, रिश्ते को भी एक बच्चे की तरह पालना होता है तभी कुछ सालों में वो इतना परिपक्व हो जाता है जब आपको दूसरे के कहे बिना उसके सारे सुख-दुख समझ आने लग जाते हैं।

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