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Religion & Faith: नवरात्रि का अर्थ केवल व्रत, जप, आराधना ही नहीं है, इन नौ पवित्र रात्रियों में मनुष्य इन तीन गुणों पर जीत हासिल कर सकता है ?

धर्म एवं आस्था डैस्कः ये माना जाता है कि ये संपूर्ण ब्रह्माण्ड आदि शक्ति से ही उत्पन्न हुआ है और इसका संचालन भी आदि शक्ति से ही हो रहा है..इसलिए नवरात्रि में नौं देवियों की त्रिगुण आराधना की जाती है…क्योंकि हमारी प्रकृति त्रिगुण यानी सत, रज व तम इन तीन गुणों से मिलकर बनी है..प्रत्येक जीव इन तीन गुणों के प्रभाव में रहता है। सारी सृष्टि, प्रकृति और परमात्मा से मिलकर बनी है इसीलिए ये प्रकृति ही आदिशक्ति व माया है।

सनातन धर्म में आदि शक्ति को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है, कोई दुर्गा कहकर पुकारता है तो कोई गौरी या आदि भवानी, सरस्वती, लक्ष्मी, काली व अन्य नामों से पुकारते हैं। ये माना जाता है कि महाविलय के पश्चात सब कुछ आदि शक्ति में ही समा जाता है….समस्त देवी-देवता भी इसी आदि शक्ति की आराधना करते हैं…कहा जाता है कि ये आदि शक्ति ब्रह्माण्ड के कण-कण में विद्यमान है लेकिन मनुष्य इस महारहस्य से अनभिज्ञ होता हुआ सत-रज-तम गुणों के अधीन रहता है..।

ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के इन नौ दिनों में मनुष्य इन तीन गुणों पर जीत हासिल कर सकता है व आत्मिक शुद्धिकरण पा सकता है….।

नवरात्रि में प्रथम तीन दिन मां दुर्गा की पूजा यानी तमस को जीतने की आराधना की जाती है, बीच के तीन दिन मां लक्ष्मी की आराधना यानी रजस को जातने की आराधना की जाती है व अंतिम तीन दिन मां सरस्वती की आराधना यानी सत्व को जीतने की आराधना की जाती है।

प्रथम तीन दिन तम गुणों का विसर्जन करें

नवरात्रि के प्रथम तीन दिनों में मां दुर्गा की पूजा होती है….दुर्ग का वास्तविक अर्थ होता है पहाड़, पर्वत, शैल यानी मनुष्य के भीतर भी पहाड़ जैसा अहंकार, अज्ञान और आसक्ति विद्यमान रहती है। आलस्य, बुरी आदतें, दुर्वीकार और गंदी आदतों पर विजय प्राप्त करने के लिए प्रथम तीन दिनों में मौन-प्रार्थना-सत्संग व ध्यान से अपने भीतर के तामसिक गुणों से मुक्ति व तम गुणों के शुद्धिकरण के लिए मां दुर्गा से प्रार्थना की जाती है।

नवरात्रि का चौथा-पांचवां व छठा दिन दिलाता है रज गुणों में शुद्धिकरण

प्रथम तीन दिनों में मां दुर्गा की आराधना करने से मनुष्य के अंदर तामसिक गुणों का नाश होता है व व्यक्ति के जीवन में राजसिक गुणों का विकास होता है। इसीलिए अगले तीन दिन मां लक्ष्मी की साधना करने से राजसिक गुण जैसे धन, संपत्ति, ऐश्वर्य, सुख-सुविधा आदि सभी ऐश्वर्यों की वृद्धि होती है।

नवरात्रि के सातवें-आठवें व नौवें दिन करें सात्विक आराधना

नवरात्रि के अंतिम तीन दिन साधक सात्विक गुणों की आराधना करते हैं जिससे पहले छह दिन तम और रज गुणों पर विजय प्राप्त करने के पश्चात आध्यात्मिक ज्ञान की प्रप्ति के उद्देश्य से कला व ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की आराधना की जाती है।

पहले तीन दिन मां दुर्गा की आराधना के लिए इस मंत्र का जाप करें। इस मंत्र को मंत्रराज कहा जाता है। नवार्ण मंत्र की साधना धन-धान्य, सुख-समृद्धि आदि सर्वमनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए किया जाता है।

  • “ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”

अगले तीन दिन मां लक्ष्मी का आराधना करने के लिए इस मंत्र का जाप करें। ये मंत्र महालक्ष्मी जी का मूल मंत्र है।

  • ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा”

अंतिम तीन दिन मां सरस्वती की आराधना के लिए इस मंत्र का जाप करें। यह मंत्र सरस्वती जी का वैदिक अष्टाक्षर मूल मंत्र है।

  • “ॐ श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा”

( इस आलेख में दी गई जानकारी विभिन्न स्त्रोतों से ली गई है जिसका उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी देना है )

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