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Way to Spirituality: जब आपका मन पवित्र हो जाएगा तो आत्मिक परम-आनंद की अनुभूति प्राप्त होगी जो करोड़ों रुपये देकर भी नहीं खरीदी जा सकती !

जब हम अपनी अंतरआत्मा की आवाज़ सुनते हैं या अपने मन से सोचते हैं…असल में यही हमारी चेतन शक्ति या आत्मा है, और जो व्यक्ति अपने मन की आवाज़ सुनता है आत्मिक शांति भी उसी को मिलती है, और जब आत्मिक शांति मिलेगी तब सभी कार्य आसान होते चले जाएंगे, क्योंकि एक सकारात्मक मन सबसे शक्तिशाली होता है। इसलिए सबके लिए अच्छा यही है कि अपने मन को सदैव सकारात्मक विचारों से भरा रखें।

लेकिन आज हर किसी के मन में अशांति है, कभी किसी रिश्ते को लेकर अशांति, कभी पैसे को लेकर तो कभी नौकरी या बिजनेस को लेकर अशांति, पर यहां सवाल ये उठता है कि मन को अशांत रखकर मिलेगा क्या ? परेशान रहना, सोचते रहना, बेचैन रहना…ऐसा करने से सिर्फ आप अपने आप को ही मेंटली टॉर्चर करते हैं, अपने स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। यदि अपने मन को शांत व संतुलित रखना है तो सबसे पहले आपको अपने जीवन में वही कार्य करने होंगे जिससे आपको आत्मिक आनंद व आत्मिक संतोष की अनुभूति होती है। यक़ीन मानिए शांति पर हमारा अपना अधिकार है। दुखी रहना भी हमारे ही मन की संरचना है। सुख और दुख ज़िंदगी में आते जाते रहते हैं लेकिन अपने आप को ऐसे हालातों में हमें कैसे रखना है ये सब हमारे ऊपर निर्भर ही करता है और इस पर हमारा नियंत्रण भी है।

यदि हम चाहें तो अपने जीवन में शांति बनाए रख सकते हैं बशर्ते हमें व्यर्थ की बातों को, व्यर्थ को झगड़ों को, व्यर्थ के लोगों को अपने आप से दूर रखना होगा।इसलिए सबसे पहले आप दूसरों के साथ बुरा व्यवहार करने से बचें, अपने गुस्से पर काबू रखें, काम, क्रोध, लोभ मोह व अहंकार जैसी मनोवृत्तियों को अपने मन से दूर करें, जीवन में कैसी भी परिस्थितियां हों हमें निराश नहीं होना है। मन की शक्ति ही यही है कि आप ऐसे हालातों में अपनी भावनाओं और मन पर कैसे नियंत्रण रख सकते हैं ? हमारे पास जो कुछ भी है हमें उसी में संतोष करना होगा। अपने मन में दूसरों के प्रति आदर व सम्मान की भावनाएं पैदा करनी होंगी। ऐसा करने से आपके मन से नकारात्मकता व व्यर्थ की भावनाएं जब समाप्त हो जाएंगी तो फिर आपसे आपकी आत्मिक शांति कोई नहीं छीन सकता। क्योंकि एक शांत मन में पवित्रता निवास करती है और जब आपका मन पवित्र हो जाएगा तो फिर उस आत्मिक परम-आनंद की अनुभूति प्राप्त होगी जो करोड़ों रुपये देकर भी नहीं खरीदी जा सकती।

संपादकः मनुस्मृति लखोत्रा

Image courtesy- Pixabay