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Dhanteras & Kuber Puja 2019: धनतेरस पर करें कुबेर पूजा, होंगे धन-धान्य से भरपूर, मिलेगी स्मृद्धि, कीजिए इन मंत्रों का जाप

धर्म डैस्कः दिवाली उत्सव की तैयारियां पूरे देश में काफी दिन पहले से शुरु हो चुकी हैं लेकिन सही मायनों में दिवाली उत्सव धनतेरस से ही शुरु होता है। धनतेरस के दिन देवताओं के वैद्य धनवन्तरि और कुबेर की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति पर मां लक्ष्मी और देवता कुबेर अगर प्रसन्न हो जाएं तो उसे ज़िंदगी भर धन का कभी संकट नहीं सताता व इन दोनों की कृपा बनी रहती है अथवा मृत्यु के देवता यमराज के लिए यम दीपक जलाया जाता है। धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होता है इसलिए इसे धन त्रयोदशी भी कहते हैं। यदि धनतेरस के दिन विधिवत पूजा की जाये तो निशचित ही समृद्धि अपने आप आपके पास चली आयेगी। कुबेर भगवान शिव के परम भक्त हैं इसलिए उन्हें भगवान शिव से धनपति होने का वरदान भी प्राप्त है जिस वजह से वह पृथ्वी की संपूर्ण धन व संपदा के मालिक भी हैं। इसीलिए त्रयोदशी के दिन विधि विधान से कुबेर को प्रसन्न करने के लिए पूजा की जाती है। ज्योतिषाचार्य विनोद शर्मा, हरिद्वार ऐसे ही कुछ उपाय बताने जा रहे हैं जिससे धनतेरस और दीवाली आपके जीवन को धनधान्य कर देगी।

  1. मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए दिवाली के दिन उनकी मूर्ति या तस्वीर के पास उनके चरणों में कौड़ियां रखें। ऐसा करने से धन का लाभ होता है। अगर आपके घर में तिजोरी है तो तिजोरी के दरवाजे पर महालक्ष्मी का ऐसा चित्र लगाएं जिसमें माता बैठी हुई हों, उनके साथ दो हाथी भी सूंड उठाए नजर आ रहे हो। ये ध्यान रहे कि चित्र सादा और परंपरागत रूप में बना हो। ऐसी तस्वीर तिजोरी पर लगाने से वहां हमेशा मां लक्ष्मी का वास रहता है और व्यक्ति के पास धन-दौलत की कभी कमी नहीं होती।
  2. धनतेरस के दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार चांदी, पीतल, तांबे या फिर कांसे के नये बर्तन या आभूषणों की खरीददारी अवश्य करें।
  3. धन तेरस पर पूजा अर्चना अच्छी सेहत व धनलाभ पाने के लिये होती है और धन के देवता कुबेर हैं इसलिये कुबेर की पूजा भी इस दिन अवश्य करनी चाहिये। कुबेर का पूजन सांयकाल के पश्चात तेरह दीपक जलाकर, तिजोरी में करना चाहिये। पूजा के लिये निम्न ध्यानमंत्र का उच्चारण करके फिर कुबेर देवता को पुष्प अर्पित करने चाहिये।

यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये 

धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।  

इसके बाद कपूर से आरती उतारकर पुष्प अर्पित करें।

  1. मान्यता है कि कुबेर देव का स्थान उत्तर दिशा में होता है। इसलिए नकदी जहां भी रखें ये ध्यान रहे कि वो उत्तर दिशा में रखी हो, तिजोरी को कुबेर मानकर पूजा करें। कुबेर खजाने के प्रतीक माने जाते हैं। फिर कुबेर मंत्र का जाप कर अंत में बिधि पूर्वक आरती भी करें।

मंत्र हैः-

ओम श्रीं, ओम ह्रीं श्रीं, ओम ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:।

  1. धनतेरस देवताओं को अमृतपान कराकर अमर करने वाले धन्वंतरि का प्रकट दिवस भी माना जाता है इसलिए इस दिन उनका पूजन भी करना शुभ माना जाता है। धन्वंतरि का पूजन करने के लिये एक नया झाड़ू एवं सूपड़ा खरीदकर उनकी पूजा करें। धनतेरस को ही यम यानि मृत्यु के देवता की पूजा का भी दिन माना जाता है। यम के निमित्त दीपदान भी इस दिन करना चाहिये। मान्यता है कि ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। धनतेरस के दिन सांयकाल तिल के तेल से दीपक जलाना चाहिये और यम देवता का पूजन करना चाहिये। चूंकि दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना जाता है इसलिये दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके दीप प्रज्जवलित कर गंध, पुष्प, अक्षत आदि से यम देवता की पूजा करनी चाहिये।
  2. धनतेरस और दीपावली पर महालक्ष्मी यंत्र का पूजन कर इसकी स्थापना करना भी काफी लाभदायक होगा। यह यंत्र धन वृद्धि के लिए भी उपयोगी माना जाता है।

कैसे करें पूजाः

  1. धनतेरस पर भगवान धनवंतरि की पूजा करें। इसके लिए सबसे पहले उनकी तस्वीर स्थापित करें। फिर आचमनी में जल लेकर तीन बार आचमन करें। तस्वीर पर जल छिड़ककर रोली और अक्षत से टीका करें वस्त्र या कलावा अर्पित करें।
  2. सबसे पहले गणपति जी का मंत्र उच्चारण कर नका ध्यान करें। फिर हाथ में फूल लेकर भगवान धनवंतरि का ध्यान करें और उन्हें प्रणाम करते हुए चढ़ाएं व उनके मंत्र का जाप करेः ओम श्री धनवंतरै नमः।
  3. अत: धनतेरस के दिन किसी भी प्रकार की व्याधि से पी‍ड़ित व्यक्ति को धन्वंतरी स्तोत्र का पूरी श्रद्धा से पाठ करना चाहिए।

    ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधिदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।
    सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥
    कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम।
    वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढ़दावाग्निलीलम॥