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Happiness is Free: अनचाहे ख्वाब न बुनते रहें ! उन्हें पाने की कोशिश भी करें !

हमारे सपनों का संसार कितना बड़ा होता हैं न, सपने सिर्फ वो नहीं होते जिन्हें केवल बंद आंखों से देखा जाता है वो सपने भी ख्वाहिशों का रूप ले लेते हैं जिन्हें अक्सर खुली आखों से देखा जाता है। जिस वजह से अक्सर हम लोग अपने जीवन के सही रास्ते से भटक जाया करते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि आपकी कोई भी ख्वाहिश, इच्छा या सपना हो उसमें से देखिए कि किसकी बुनियाद मजबूत है। ऐसा क्या करने से आपको आत्म-संतुष्टी मिलती है। हमारी अभिरूची, स्वभाव और योग्यता क्या है ? हम उसे क्यों नहीं संवारते बजाए इसके थोपी हुई इच्छाओं के पीछे भागते हैं। जिसमें हम अपना 100 प्रतिशत नहीं दे पाते या वो सब हमारे सिर के ऊपर से निकल जाने वाले विषय हैं। जिस वजह से हम अपना कॉन्फिडेंस भी खोने लग जाते हैं।

इसलिए हम क्या बनना चाहते हैं उस पर जुट जाईए न कि भेड़ चाल चलें यही कि अगर मेरा दोस्त जो करने जा रहा है मैं भी वही करूंगा, हो सकता है उसका और आपका मैंटल लेवल एक सा न हो जिस विषय में उसने पारंगत हासिल की हो उसमे आप कमज़ोर हों। मेन इच्छा के साथ “खरपतवार” यानी दूसरी इच्छाएं भी साथ-साथ पलने लग जाती हैं, इसलिए हमें मुख्य लक्ष्य पर फोकस करके बाकी “खरपतवार” इच्छाओं को त्याग देना होगा।

जैसे कई बार दूसरों को देखकर मन करता है कि हर शनिवार और रविवार को आऊटिंग पर जाया जाए और खूब शॉपिंग की जाए, किसी अच्छे होटल में जाकर डिनर किया जाए, तो क्या अगर आप एक विद्यार्थी हैं या करियर के ऐसे मोड़ पर हैं जहां आपको अभी कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने हैं ऐसे में क्या आपके लिए उचित है कि आप अपना कीमती समय और पैसा बाहरी चकाचौंध में बर्बाद कर दें ? हां ऐसा हो भी सकता है कि आने वाले समय में इस लायक बन जाएं कि एक शानदार ज़िंदगी जीयें आप लेकिन बस वो गोल्डल मिनट को अभी आपने इस्तेमाल करना है जिससे आपका भविष्य सुनहरी हो जाए।

इच्छाओं का क्या है… इच्छाएं तो एक पल में बदलती रहती हैं, जब हम छोटे होते हैं तो हमारे अंदर ये इच्छा जागती है कि मेरे पास एक सुदर सी साईकिल होनी चाहिए, फिर हम बाईक की ज़िद करने लग जाते हैं, फिर कार पर आ जाते हैं और जब कार चलाना भी सीख लेते हैं तो बड़ी लक्ज़री कार लेने का सपना बुनने लग जाते हैं, लेकिन ये ऐसी इच्छाएं हैं जो ज़िंदगी भर साथ चलती रहती हैं,

लेकिन हमें ज़रूरत हैं अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करने की… कहीं हम इन इच्छाओं के चक्रव्यूह में खो न जाएं। हमें पता होना चाहिए कि हमें क्या करना है। क्या सही है हमारे लिए, मुझे अपना भविष्य खुद बनाना है। दुनियां में ऐसी कोई दवा नहीं जिसे पीने से खुद-ब-खुद हम सब सीख जाएंगे। सीखने के लिए मेहनत करनी होगी।

तो फिर आज से ही अपनी एक अनुसूची बनाएं जिसमें आपकी दिनचर्या इस हिसाब से होनी चाहिए कि आप अपने लक्ष्य को जल्द से जल्द प्राप्त कर लें। तो फिर देर किस बात की…आज से ही अपने लक्ष्य की लिस्ट तैयार कर लें।

 

संपादकः मनुस्मृति लखोत्रा

Image courtesy : Pixabay