इन दिनों फिर से श्री रामानंद सागर की रामायण का जादू देश में चारों ओर छाया हुआ है। यों लगता है मानों सारा वातावरण श्री राम नाम के भक्तिमयी रस में सराबोर हो चुका है और चारों दिशाओं में फिर से ‘जय श्री राम’ के नाम की गूंज है। जो लोग श्री राम जैसे युग पुरुष के जीवन व प्रसंगों को भूल चुके थे एक बार फिर से उनकी याद व भक्ति रस में भीग चुके हैं। ऐसे में दूरदर्शन पर रामायण का प्रसारण शायद फिर से किसी दैवीय शक्ति का आदेश ही तो है, जैसे रामानंद सागर द्वारा रामायण के निर्माण को लेकर भी यही समझा जाता है कि उन पर दैवीय कृपा थी। किसी दैवीय आदेश की वजह से ही श्री रामानंद सागर द्वारा यादग़ार, अद्भुत और अविस्मरणीय रामायण का निर्माण हुआ था।

कहते हैं कि प्रकृति या दैवीय शक्तियां जब भी किसी से अपना काम करवाती हैं तो अपने आप ही वह व्यक्ति, समय, स्थान, दिशा व लक्ष्य का निर्धारण करती हैं और जिससे काम करवाना होता है उसका चयन भी अपने आप ही करती हैं, सिर्फ इतना ही नहीं उसका दिशानिर्देश से लेकर मार्गदर्शन तक करती हैं जब तक कि वह कार्य सिद्ध न हो जाए।

आज एक ऐसे वक्त में श्री रामानंद सागर की रामायण का दूरदर्शन पर प्रसारण होना सच में किसी वरदान से कम नहीं, जब देश की जनता कोरोना जैसे वायरस के खौफ में जी रही है और अपने घरों में बंद है। ऐसा लगता है जैसे जाने-अनजाने में ही सही लेकिन प्रभू श्री राम की कृपा से ही, सबको साहस व सहानुभूति देने के लिए ही रामायण का प्रसारण हो रहा है, मानो ऐसा लगता है जैसे श्री राम कह रहे हों कि “मेरी संतान तुम फिक्र मत करो, घबराओ मत, मैं सर्वथा तुम सबके साथ ही हूं, ये बुरा वक्त भी निकल जाएगा”, सब्र करो, सहज रहो,…क्योंकि भगवान अपने भक्तों के दुख से दुखी होते हैं…और किसी न किसी तरीके से अपने भक्तों के पास होने का संकेत भी देते हैं…..।

एक उदाहरण के तौर पर जैसे जब कोई बच्चा किसी तरह के डर से भयभीत हो जाता है लेकिन अपने माता-पिता के गले लग कर सुरक्षित महसूस करता है…एक छोटे बच्चे को भगवान की समझ नहीं, लेकिन उसके लिए उसके माता-पिता ही भगवान हैं, उसे लगता है कि उसके माता-पाता सूपर पावरफुल हैं उनके आगे उसे कोई कुछ नहीं कह सकता….उसके लिए उसके पास माता-पिता का होना ही सबसे महत्वपूर्ण बात है…ठीक वैसे ही हम सब भी उस पालनहार की संतान हैं…आज कोरोना के खौफ में उनकी संतान जी रही है, दुखी है, बीमार हो रही है, मर रही है,….ऐसे में प्रत्येक सुबह और शाम को रामायण सीरियल में बज रहे शंख, घंटियां, रामायण की चौपाईयां, रामायण के प्रसंग, द्वापर युग की याद दिलाते रामायण के किरदार, डायलॉग, उनकी पोशाक, आभूषण, सेट एकदम सब असली सा प्रतीत होता है….।

यों लगता है मानों श्री राम के पास होने का अहसास करवा रहे हों या फिर उन्हीं के आदेश से कोई दैवीय शक्ति ये आभास कराने की कोशिश कर रही हो कि कोरोना जैसे राक्षस का वध जल्द ही होगा तुम घबराओ मत, श्री राम तुम्हारे आस-पास ही हैं….धीरज रखो…..उनके स्नेह की चादर ओढ़कर राम-नाम में लीन रहो, और बाकि सब उनपर छोड़ दो…श्री राम सब ठीक करेंगे।

जय श्री राम…।
इस आलेख में दिए गए विचार मेरे अपने हैं, इन विचारों को पेश करने का मेरा उद्देश्य केवल मर्यादापुरषोत्तम श्री राम के जीवन से धैर्य और साहस लेकर प्रेरणा पाना व आपको प्रेरित करना है, एक आस्था ही तो है जिसपर ये दुनिया टिकी हुई है और आस्था व विश्वास एक ऐसी ढाल है जो चारों और से आती विपत्तियों में भी हिम्मत व होसला बढ़ाती हैं। आज देश जिस समय से गुज़र रहा है आप भी अपने धैर्य से ये वक्त बिताएं, अपने घरों में रहें, देश की सरकार, प्रशासन डॉक्टर्ज़ व अन्य सभी सेवाकर्मियों की सेवा को निरर्थक न होने दें। इसी के साथ जय श्री राम और आप सबसे अभी के लिए विदा लेती हूं।
धन्यवाद- आपकी शुभचिन्तक मनुस्मृति लखोत्रा