भविष्य, वर्तमान और अतीत के बीच जूझती जिंदगी, न जाने अपने भीतर कितनी उलझनों के संसार बसाए हुए हैं, ऐसे में जीवन के प्रति घटती आशाएं जीवन को बोझ बना देती हैं। हम में से बहुत से ऐसे मित्र भी होंगे जिनका बचपन काफी संघर्ष, कहा-सुनी, खींचतान और माता-पिता के लड़ाई-झगड़ों के बीच बीता होगा। आज चाहे आपकी ज़िंदगी की राहें आसान हो गईं हो लेकिन कहीं न कहीं अतीत के धागे मन को उलझाए रखते हैं और यही उलझनें ज़िंदगी को सकारात्मकता व प्रेम की ओर ले जाने से रोकती हैं।

ऐसे में मन के भीतर अनचाही आशंकाओं की परतें कुछ इस कदर जमने लग जाती हैं कि धीरे-धीरे नासूर बन जाती हैं, फिर इसका मवाद एक ज्वारभाटे के रूप में बाहर निकलता है, और तब ये इतना खतरनाक हो जाता है कि अपने साथ कई रिश्तों, अच्छी यादों, कीमती जज़्बातों को भी बहाकर ले जाता है और जो रह जाता है वो है नफरत, बदले की भावना और टूटे घरों के कुछ किस्से, इसलिए बेहतर यही होगा कि अपने भीतर आशंकाओं की परतें जमने न दें, यदि कोई आपके ज़ख्मों को बार-बार कुरेदता है तो उसे साफ कह दीजिए कि जो रास्ता आप दिखा रहे हैं माफ कीजिएगा मैं उस रास्ते का राही नहीं हूं, अपना एक ऐसा रास्ता बनाएं जहां आप में चुनौतियों से लड़ने की ताकत हो,… चुनौतियां, संघर्ष, आंधी, तूफान बहुत से आएंगे आपकी ज़िंदगी में लेकिन आप उनसे घबराएं नहीं, और न ही अपने ऊपर उन्हें हावी होने दें। अपने साथ-साथ यदि आप दूसरों की जिंदगी भी आसान बनाते चले जाएंगे तो निश्चित ही आपकी राहें भी आसान होती चली जाएंगी।
अपनी ज़िंदगी को एक कुएं या तालाब की तरह सीमित न समझें, ज़िंदगी तो एक नदी के समान है जिसे निरंतर बहते जाना है चाहे रास्ते में कितनी भी रुकावटें आएं, वो अपना रास्ता बना ही लेगी। जो न ही कभी रुकेगी और न ही थमेगी इसलिए अपने अतीत की परेशानियों को अपने वर्तमान व भविष्य में दखल न देने दें। बल्कि उन्हें एक अवसर के रूप में देखें कि अगर आपके साथ ऐसे हादसे न हुए होते तो आप उनसे सबक लेकर आज इतने सक्षम न हुए होते या फिर ऐसे हादसों या परेशानियों से निपटना तो सीख ही जाएंगे।
धन्यवादः आपकी शुभचिंतक, मनुस्मृति लखोत्रा