Happiness is Free : जो हो रहा है, जैसा चल रहा है, वैसा चलने दीजिए, कितना सही ?

कई बार हम समाज की घिसी-पिटी रिवायतों पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलते रहते हैं, जिसका हम चाहते हुए भी विरोध नहीं कर  पाते, क्योंकि कहीं न कहीं हम भी उन रिवायतों के…

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