हम तो ज़मीं के थे, और ये आसमान परिंदों का जहां था, हमने पैर तो खूब पसारे लेकिन किसी के समंदर, नदिया तक जीत कर चले तो किसी के जंगल तक काट कर चले, सारा का सारा आसमां तो कब का हमने हथिया लिया था, अरे वाह इंसान, फिर तुम ढ़ंढते हो उन परिंदों की बस्ती जो कभी खुले आसमां में अठखेलियां किया करती थी, अपने सतरंगी पंख पसारा करती थी। वो चीं-चीं की सुगबुगाहट सुबह जगाया करती थी। गौरैया तो कब की शहरों को अलविदा कह गई, सुना है आज भी एक-आध कहीं किसी गांव या जंगल में छुपती-चुपाती घूमती है वो, डरती है न, कहीं वहां भी हमारी नज़र न पड़ जाए।
सुना है आजकल आसमां कुछ खाली-खाली सा दिखने लगा है। कहीं पंछियों ने अपने घरौंदों से बाहर निकलना तो नहीं बंद कर दिया? खैर, अब वो अपने घरौंदों में भी कहां सुरक्षित हैं, कोई शिकारी वहां भी ताक लगाए बैठा होगा उन्हें पिंजरे में भर बेच आएगा कहीं दूर।
कुछ दिन पहले त्यौहार था मकर संक्रांति, आसमानी पतंगों का उत्सव था। आसमान में खूब रंग-बिरगी पतंगे उड़ती देखीं, लेकिन ये रंग-बिरंगी पतंगें क्यां पंछियों की जगह ले सकती हैं भला। बेजान पतंगे खतरनाक मांजे के साथ उड़ती हैं, काटती जाती हैं कितने निर्दोष पंछियों के गले। सुना है इस बार फिर मिट्ठू मारा गया। हमारा शौंक क्या हुआ बेचारा मिट्ठू शहीद हो गया।
दरअसल, काफी समय से पतंग उड़ाने के लिए चाइनिज़ मांजे का इस्तेमाल हो रहा है, इस पर कांच लगा होता है, जो कि इंसानों, जानवरों और पंछियों के लिए जानलेवा बन रहा है। कुछ दिन पहले एक ट्विटर यूज़र ने एक तोते की तस्वीर सांझा की, मांजे ने उसकी जान ले ली, जिसे देख बड़ा ही दुख हुआ, जिसकी सुर्खियां सोशल मीडिया पर भी छाई रही। कितने ही प्यारे, मासूम और खूबसूरत जीव मांजे से मर जाते हैं। इसके जिम्मेदार कौन ? वो मिट्ठू तो अब वापिस आएगा नहीं लेकिन हम आगे से कितने ही मिट्ठू और दूसरे पंछियों को बचा सकते हैं, इसलिए कृपया आगे से चाइनिज़ मांजे का इस्तेमाल बंद करें। दिवाली पर पटाखों से हमारे घरों की रक्षा करने वाले जानवरों पर कई शरारती तत्व पटाखे फोड़ देते हैं जिससे उनकी स्किन तक निकल जाती है या आंखें फोड़ दी जाती है। कितना शर्मनाक है उन बेजुबानों की ऐसी दूर्दशा करना। अरे ये पंछी, ये जानवर तो सिर्फ प्यार ही बांटते हैं। इन्हें जितना प्यार किया जाए ये सारी उम्र वफादार होकर आपकी सेवा ही करते हैं। कृपया अगर आपके आस-पास किसी को किसी जानवर या पंछी के साथ ऐसा व्यवहार करते देखें तो अपना कर्तव्य समझ कर उन्हें रोकें और समझाएं ताकि वे दोबारा ऐसा न करें।
मनुस्मृति लखोत्रा