You are currently viewing Religion & Faith : भगवान श्री कृष्ण कैसे दिखाई देते थे ? उनके आकर्षण में वो कौन सी बातें थीं जिससे हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता था, जानिए !

Religion & Faith : भगवान श्री कृष्ण कैसे दिखाई देते थे ? उनके आकर्षण में वो कौन सी बातें थीं जिससे हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता था, जानिए !

कहते हैं कि जो कोई भी कान्हा के रंग में रंग जाता है फिर उसे संसार में किसी और चीज़ की इच्छा ही नहीं रहती। उनकी लीलाओं का बखान सुनते हुए अक्सर एक दिव्य सी छवि हमारे मन-मस्तिष्क के सामने आ जाती है, शायद जो तस्वीरें हम धार्मिक किताबों, कलैंडर्स या इंटरनेट पर देखते हैं वैसी ही एक छवि हमारी आंखों के सामने छा जाती है और हम अनुमान लगा लेते हैं कि श्री कृष्ण ऐसे ही दिखते होंगे !

क्या आपके मन में कभी श्री कृष्ण के नैन-नक्श, उनका रूप-रंग, उनका आकर्षण, उनके आभूषण, उनके वस्त्र, वो क्या खाते थे, वो कैसे चलते थे, वो कैसे बोलते थे, वो बांसूरी कितनी सुरीली बजाया करते थे, बाल-लीला व रास-लीला कैसे रचाया करते थे आदि के बारे में जानने की इच्छा कभी नहीं हुई ? लेकिन मेरे मन में उनके बारे में जानने की इच्छा हमेशा से ही बनी रहती है। इसलिए जनश्रुतियों, पुराणों, अखबारों व इंटरनेट के माध्यम से छानबीन करके जो जानकारी मिली वो आपके सामने पेश कर रही हूं।

श्री कृष्ण, भगवान विष्णु के आठवें आवतार मानें गए हैं। 24 अवतारों में 10 मुख्य अवतार हैं, उनमें भी श्री राम और श्री कृष्ण इन दो अवतारों को मर्यादा पुरुषोत्तम, पूर्ण पुरुषोत्तम अथवा पूर्णावतार कहा जाता है। श्रीकृष्ण को छोड़ शेष सब अंशावतार हैं। इसका अर्थ ये माना जाता है कि अन्य अवतार परमात्मा के एक या दो अंशों को लेकर प्रकट हुए हैं, अर्थात बहुत ही सीमित शक्तियों के साथ प्रकट हुए हैं जबकि कृष्णावतार में परमात्मा की पूर्ण कलाओं की अभिव्यक्ति हुई।

images

श्री कृष्ण के नैन-नक्श व रूप वर्णन

जनश्रुति अनुसार श्री कृष्ण की अंग-कांति मेघ श्यामल वर्ण थी, अर्थात जैसे दिन ढलने पर आसमान का रंग सफेद-काला-नीला मिश्रित सा हो जाता है ऐसा था, वे नित्य पीताम्बर वस्त्र धारण किया करते थे व विभिन्न वनमालाओं से विभूषित रहते थे। उनकी बड़ी-बड़ी आखें, तीखी नाक व होंठ पतले थे।

images (1)

उनका कांन्तिवान व कोमल शरीर

जनश्रुति अनुसार भगवान श्री कृष्ण का शरीर लड़कियों की भांति पतला और कोमल था, लेकिन ऐसा भी माना जाता है कि श्री कृष्ण योग और कलारिपट्टू विद्या में पारंगत थे जिस वजह से युद्ध के समय उनका शरीर विस्तृत और कठोर दिखाई देने लगता था। जिसका अर्थ यह भी हुआ कि श्री कृष्ण अपनी देह को किसी भी प्रकार से बना लिया करते थे जो कि सुनने में आश्चर्य में डाल देता है। ऐसा भी माना जाता है कि यही गुण द्रोपदी और कर्ण में भी था।

varistha

श्री कृष्ण से आती थी मादक गंध

श्री कृष्ण के बारे में कई जनश्रुतियां प्रचलित हैं उनमें से एक ये भी है कि श्री कृष्ण के शरीर से मादक गंध निकलती थी। जिस वजह से लोग उनकी ओर खिचे चले आया करते थे। उनके शरीर से निकलने वाली गंध गोपिकाचंदन और कुछ-कुछ रात की रानी के फूल की सुगंध जैसी थी। माना जाता है कि इस गंध को वे अपने गुप्त अभियानों में छुपाने का उपक्रम करते थे। श्री कृष्ण की यही खूबी द्रौपदी में भी थी। द्रौपदी के शरीर से भी सुगंध निकलती रहती थी जो कि लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती थी। इसीलिए अज्ञातवास के समय द्रौपदी को चंदन, उबटन और इत्रादि का कार्य दिया गया था जिस वजह से उन्हें सैरंधी भी कहा जाने लगा।

ProofofLordkrishnaexistence-10

श्रीकृष्ण 119 वर्ष की उम्र में भी दिखते थे जवां

जनश्रुति अनुसार ऐसा भी सनने में आता है कि श्री कृष्ण ने जब अपनी देह का त्याग किया तब वे 119 वर्ष के करीब उम्र के थे लेकिन युवा की तरह ही थे, उस वक्त उनके शरीर के केश श्वेत नहीं थे और न ही उनके शरीर पर किसी तरह की झुर्रियां पड़ी थी।

मानव जीवन को हम चार भागों में बांटते हैं। बाल्यकाल, युवावस्था, प्रौढ़ता, और वृद्धावस्था। देखा जाए तो इन चारों अवस्थाओं का पूर्ण विकसित रूप श्रीकृष्ण के जीवन में पाया जाता है, जबकि वैसा अन्य किसी अवतार के जीवन में नहीं देखने को मिलता। बचपन में कृष्ण स्वाभाविक बाल-लीलाओं का प्रदर्शन करते हैं। जवानी में युवावस्था के गुण और शक्ति का परिचय होता हैं व प्रौढ़ावस्था में ज्ञान और विवेक के दर्शन होते हैं, अथवा वृद्धावस्था में संन्यासी जैसा जीवन जीते दिखाई देते हैं। उनके जीवन की समस्त घटनाएं मानवी और अतिमानवी दोनों दृष्टियों से विचार करने का विषय है।

संपादकः मनुस्मृति लखोत्रा

 

(इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरूचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)