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Lord Ganesha

क्यों की जाती है सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा ?

कहते हैं कि कोई भी शुभ काम से पहले गणेशजी की पूजा की जाए तो सारे काम स्वत: ही सिद्ध हो जाते हैं। क्योंकि वे बुद्धी व कौशल के देवता हैं। श्री गणेश का स्वरूप अत्यंत ही मनोहर एवं मंगलदायक हैं। इनकी पूजा से अमंगल भी मंगलमय हो जाता है। मुख पर सुंदर आभा लिए हुए वे एकदन्त और चतुर्बाहु हैं, अपने चारों हाथों में वे पाश, अंकुश, मोदकपात्र तथा वरमुद्रा धारण किए हुए हैं। उनपर रक्तवर्ण, लम्बोदर, शूर्पकर्ण व पीतवस्त्र शोभाएमान हैं गणेश जी विघ्न-विनाशक हैं। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था। वे अपने भक्तों पर शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं। वैदिक मान्यताओं के अनुसार श्री गणेश जी आज से लगभग 10,000 साल पहले पैदा हुए थे। वेदों में उन्हें गणेभ्यों गणपति के नाम से पुकार गया है। महाभारत में उनके स्वरूप और उपनिषदों में उनकी शक्ति का वर्णन किया गया है। हिंदु धर्म में श्रीगणेश प्रथम पूज्य देवता हैं।

ऐसी मान्यता कब से शुरु हुई?

इस बारे में भी विद्वानों में कई मतभेद हैं। एक कथा के अनुसार श्री गणेश जी को उनकी माता पार्वती द्वार पर बिठा कर स्वयं स्नान करने चली गई लेकिन जाने से पहले पुत्र गणेश से कह गई कि चाहे कोई भी द्वार पर आये उसे अंदर मत आने देना मैं स्नान करने जा रही हूं। माता की आज्ञा पाकर भगवान गणेश द्वार पर बैठ गए। इतने में भगवान शिव वहां आ पहुंचे और भवन में जाने लगे। तभी भगवान गणेश ने शिवजी को अंदर जाने से रोका कि आप अंदर नहीं जा सकते, अंदर माता स्नान कर रहीं हैं लेकिन शिवजी ने क्रोधित होकर बालक गणेश का सिर काट दिया। अपने पुत्र का शीश कटा देख कर माता पार्वती क्रोधित हो उठी और भगवान शिव से कहा कि मेरा पुत्र मुझे जीवित चाहिए। तब शिवजी ने अपने गणों को आदेश दिया कि सर्वप्रथम जो भी मां अपने पुत्र से मुख मोड़कर सो रही होगी उसका शीश ले आना। लेकिन पूरी दुनियां में केवल एक हथिनी ही अपने बच्चे से मुख मोड़कर सोई थी, गण नन्हें हाथी का शीश ले आए। तब भगवान शिव ने उन्हें ये आर्शीवाद दिया कि जो भी सर्वप्रथम श्री गणेश की आराधना व पूजा करेगा सभी देवों की पूजा भी तभी स्वीकार होगी। एक दूसरी मान्यता के अनुसार शनि देव की दृष्टि पड़ने से शिशु गणेश का सिर जलकर भस्म हो गया था। इस पर दुखी माता पार्वती से ब्रह्मा मे कहा कि जिसका सिर सर्वप्रथम मिले उसे गणेश के सिर पर लगा दो। पहला सिर हथिनी के बच्चे का मिला इस तरह भगवान गणेश गजानन बन गए।

 

Note- इस ब्लॉग में दी गई जानकारी इंटरनेट व अन्य वेबसाइट के माध्यम से ली गई है जिसका उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है।