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किसी जन्नत से कम नहीं शहर दार्जिलिंग ! यहां की आबोहवा ही कुछ निराली है !

दार्जिलिंग शहर, प्राकृतिक खूबसूरती का एक अदभुत नमूना हैं, जिसकी ताज़गीभरी खुशनूमा आबोहवा सबको अपनी ओर खींच लेती है और हो भी क्यों न ?  दार्जिलिंग में चाय के बागानों से आती खुशबू हर किसी को तरोताज़ा जो कर देती है।

पूर्वी भारत के पश्चिम बंगाल में स्थित यह स्थान पर्यटकों के लिए सच में किसी जन्नत से कम नहीं और घूमने के लिहाज़ से सुरक्षित भी है बशर्ते आप प्रकृति प्रेमी भी होने चाहिए ।

वैसे दार्जिलिंग शब्द की उत्त्पत्ति दो शब्दों के मेल से हुई है – दोर्जे (बज्र ) और लिंग (स्थान)। जिसका अर्थ माना जाता है- बज्र का स्थान। ये शहर पहाड़ की चोटी पर बसा हुआ है। रात के समय देखने में ऐसा प्रतीत होता है मानों एक विशाल पहाड़ ने अपने सिर पर सितारों वाला मुकूट पहना हो। दार्जलिंग नगर दार्जिलिंग जिले का मुख्यालय है, यह शिवालिक हिल्स में लोवर हिमालय में स्थित है, यहां की औसत ऊंचाई 2,134 माटर (6,982 फुट) है।

ऐसा माना जाता है कि इस स्थान की खोज उस वक्त हुई थी जब आंग्ल-नेपाल युद्ध के दौरान एक ब्रिटिश सैनिक टुकड़ी सिकिक्म जाने के लिए एक छोटा रास्ता तलाश रही थी। इस शहर में जब आप घूमने जाएंगे तो आपको अंग्रेज़ों के समय की कई महत्वपूर्ण खूबसूरत इमारते भी देखने को मिलेंगी जो कि आज भी इतनी आकर्षक हैं यक़ीनन वहां से आप अपनी नज़रें नहीं हटा पाएंगे। प्राकृतिक रूप से भी काफी संपन्न व ठण्डा वातावरण होने की वजह से अंग्रेज़ों ने ही इस शहर को एक हिल स्टेशन के रूप में आबाद किया था लेकिन बाद में वो यहां आकर बस भी गए और अपनी अपनी रणनीतिक गतिविधियों को अंजाम भी देने लग गए। पर्यटकों के लिए देखने लायक यहां बहुत कुछ है। चलिए यहां के ऐसे कुछ खूबसूरत स्थानों को जानते हैं ताकि जब आप वहां जाएं ते देखते ही समझ जाएं कि इसके बारे तो मुझे पहले से पता था।

टाइगर हिल

टाइगर हिल पर चढ़ाई करने का आनंद ही कुछ और है। टाइगर हिल के समीप ही है कंचनजंघा चोटी। इसकी सुंदरता के कारण पर्यटकों ने इसे रोमांटिक माउंटेन की उपाधि भी दी है। यहां अक्सर कई फिल्मों की शूटिंग भी की जा चुकी है। पहले इसे ही विश्व की सबसे ऊंची चोटी माना जाता था। लेकिन 1856 ईं में सर्वेक्षण के बाद यह जानकारी मिल सकी कि संसार की सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा नहीं, बल्कि नेपाल स्थित माउंट एवरेस्ट है। टाइगर हिल से आप कंचनजंगा व माउंट एवरेस्ट दोनों चोटियों को देख सकते हैं।

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बैनुकवर्ण- चाय का बागान

पूरे दुनिया में दार्जिलिंग खासतौर से अपने चाय के बागानों के लिए मशहूर है। जिनकी खूशबू की महक वहां की फिज़ां को और भी दुरुस्त कर देती है। बैनुकवर्ण चाय का बागान देखने में बेहद खूबसूरत है और पर्यटन के लिहज़ से अच्छा भी। दार्जिलिंग में चाय के बहुत से बागान है और हर बागान का अपना इतिहास भी। चाय का पहला बीज जो कि चाइनिज़ झाड़ी का था कुमाऊं हिल से यहां लाया गया था लेकिन बाद में ये दार्जिलिंग चाय के नाम से प्रसिद्ध हुआ। जब आप इन बागानों के आसपास फैली चाय की खुशबू और चारों ओर फैली हरियाली को यहां आकर साक्षात देख देखेंगे तो यक़ीनन आपका सफर यादगार बन जाएगा।

कलिम्पोंग- धार्मिक स्थान

कलिम्पोंग में Zang Dhok Palri Phodang खूबसूरत और बहुत ही मशहूर मोनेस्ट्री है। जिसमें उन दुर्लभ धर्मग्रंथों को देखा जा सकता है जो 1959 में तिब्बत से इंडिया लाए गए थे। यहां आकर आप सुकून से कुछ देर बैठकर मेडिटेशन कर सकते हैं।

पीस पेगोडा- जापानी मंदिर

विश्व शांति की कामना करते हुए इस स्तूप की स्थापना महात्मा गांधी के मित्र फूजी गुरु ने की थी। भारत के कुल 6 शांति स्तूपों में से एक है। मंदिर 1992 में आम लोगों के लिए खोला गया था। यहां से आप कंचनजंघा के साथ पूरे दार्जिलिंग का नज़ारा देख सकते हैं।

संदक्फू- ट्रैकिंग डेस्टिनेशन

ट्रैकिंग के शौकिनों के लिए ये जगह बहुत खास है। पश्चिम बंगाल के इस सबसे ऊंचे प्वाइंट से आप माउंट एवरेस्ट और कंचनजंघा को आसानी से देख सकते हैं।

ट्वॉय ट्रेन

दार्जिलिंग हिमालयन रेलमार्ग व ट्वॉय ट्रेन इंजीनियरिंग का एक आश्चर्यचकित कर देने वाला नमूना है। चाय के बागानों के अलावा दार्जिलिंग यहां रेलमार्ग व ट्वॉय ट्रेन लिए जाना जाता है। जिसे 1919 में यूनेस्को की तरफ से विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिल चुका है। इस ट्रेन का सफर बड़ा ही रोमांचभरा है। इस ट्रेन से सफर करते हुए आप खूबसूरत प्राकृतिक नज़ारों का लुत्फ उठा सकते हैं।

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हिमालयन माउंटेयनरिंग इंस्टीट्यूट

ये इंस्टीट्यूट दार्जिलिंग में जवाहर पर्वत पर बना हुआ है। जहां माउंटेयनरिंग से लेकर एडवेंचर तक कई तरह के कोर्स हैं। जिनकी अवधि 15 दिनों से लेकर एक महीने तक की होती है। लेकिन अगर आप महज घूमने-फिरने आएं हैं तो भी आप यहां आकर माउंटेयनरिंग का मजा ले सकते हैं।

कैसे पहुंचे

हवाई यात्रा- बागडोगरा, यहां का नज़दीकी एयरपोर्ट है जहां से दार्जिलिंग की दूरी 90 किमी है जिसे आसानी से 2 घंटे में तय किया जा सकता है।

रेल यात्रा- न्यू जलपाईगुड़ी नज़दीकी रेलवे स्टेशन है। जहां के लिए लगभग सभी बड़े शहरों के लिए ट्रेनें मिल जाती हैं।

सड़क यात्रा- दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी से कनेक्ट है जहां आप अपनी कार या टैक्सी बुक करके पहुंच सकते हैं। अनेक सरकारी और निजी बसें भी चलती हैं। दार्जिलिंग घूमने का सबसे बेहतर समय है मई-जून। लोग इस मौसम में चाय की पत्तियों को भी टूटते हुए देख सकते हैं।