आज हम बात करेंगे एक ऐसे दिव्य और रहस्यमयी स्थान की जिसकी चुप्पी आपको अपने सम्मोहन से मंत्रमुग्ध कर देगी….वो जगह है शिमला के पास बसे नारकंडा और ठाणेदार के नज़दीक स्थित तानीजुब्बर झील…..।
ये जगह नारकंडा से लगभग 9 किलोमीटर दूर है और इसके नज़दीकी इलाके का नाम ठाणेदार है। यह एक ऐसी जगह है जो अभी दुनियां के commercialization और शोर-शराबे से कोसों दूर है….यहां पहुंचकर आपको एक आलौकिक शांति मिलेगी, जो शायद ही कहीं और मिले। यक़ीन मानिए ये झील और इसके आसपास का नज़ारा सम्मोहित करने वाला है…जिसे आप प्रकृति का मास्टरपीस भी कह सकते हैं….चारों तरफ से ये झील देवदार के पेड़ों और सेब के बागानों से घिरी हुई है…और उसके भी चारों ओर आप खूबसूरती की छटा बिखेरती, बर्फ से ढकी हिमालयन रेंजिज़ को देखेंगे और एक अलग तरह के सुखद आनंद को महसूस करेंगे। यहां आपको कई तरह के दुर्लभ पक्षी भी देखने को मिल जाएंगे।
अगर आप फुरसत के कुछ लम्हें किसी शांत और खूबसूरत जगह पर बिताना चाहतें हैं तो बस इससे बढ़िया कोई और जगह हो ही नहीं सकती….दुनियां की भीड़-भाड़ और शोर-शराबे से दूर ये स्थान आपको एक यादग़ार अनुभव देगा। यह जगह काफी शांत, रहस्यमयी और ठंडी है इसलिए इसके नज़ारे का लुत्फ उठाना हो तो आप सुबह-सुबह यहां आएं या फिर शाम को। सर्दियों में यहां बर्फ की चादर सी बिछ जाती है। सच में, यहां का नज़ारा देखकर आपको प्रकृति से प्यार हो जाएगा…..शुक्र है ये जगह अभी commercialization से बची हुई है….यहां आपको खाने-पीने के लिए कोई दुकानें तो नहीं मिलेंगी लेकिन यहां साथ ही एक रिज़ोर्ट है जहां रुका जा सकता है और चाय पीने के लिए एक कॉफी शॉप भी है जिसका रास्ता झील के किनारे से होकर निकलता है….नेचर लवर्स को यहां एक बार जरूर आना चाहिए और उन्हें भी जिन्हें शांति की तलाश है…।
ये झील बेशक छोटी है लेकिन अपने अंदर बहुत सी कहानियां समेटे हुए है। यहां झील बनने के पीछे कुछ जनश्रुतियां भी प्रचलित हैं जिसका ज़िक्र हम आगे करेंगे…..बहरहाल अभी हम बात यहां बने एक प्रचीन नाग देवता के मंदिर के बारे में करेंगे। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां कुछ भी मांगा जाए उसे नाग देवता ज़रूर पूरा करते हैं। इसलिए यहां के लोगों में इस मंदिर के प्रति बड़ी ही आस्था है। यहां के स्थानिय निवासियों का मानना है कि गर्मियों में जब कभी इस इलाके में पानी की कमी हो जाती है तो वे यहां नाग देवता के पास पानी के लिए प्रार्थना करने आते हैं, उसके बाद यहां बरसात हो जाती है। इस कारण उनका नाग देवता के प्रति अटूट विश्वास है। इस स्थान पर हर साल मई के महीने के आसपास एक मेला भी लगता है जहां दूर-दूर से लोग नाग देवता की पूजा अर्चना करने आते हैं…।
तानीजुब्बर झील और नाग देवता के मंदिर के बारे में यहां स्थानिय लोगों में एक और जनश्रुति भी प्रचलित है….कहते हैं बहुत साल पहले जब यहां सिर्फ मैदान ही था चरवाहे यहां अपने पशू चराने आया करते थे….एक बार कुछ चरवाहों ने जैसे ही खेती करने के लिए यहां हल से खोदना चाहा वैसे ही वे हल और अपने पशुओं समेत इस स्थान पर समा गए और करीब 20 – 25 किलोमीटर दूर जाकर किसी और स्थान से जिंदा और सही सलामत निकले। जिस स्थान पर वे समाए थे उस स्थान से जल की धारा फूट पड़ी और शायद नाग देवता भी निकले। बाद में उसी स्थान पर नाग देवता का मंदिर बनाया गया और झील भी उसी जगह पर है। इसीलिए आज भी जब यहां पानी की कमी होती है तो नाग देवता से प्रार्थना की जाती है और झील तानीजुब्बर झील के नाम से प्रसिद्ध हो गई। तानीजुब्बर का अर्थ हैः- तानी उस वक्त जगह का नाम और जुब्बर – घास का मैदान, जो बाद में झील बन गई। ये जनश्रूति कितनी सही है इसके बारे में कोई प्रमाण तो नहीं है लेकिन स्थानिय लोगों की नाग देवता के प्रति आस्था गहरी है….।
संपादक- मनुस्मृति लखोत्रा