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क्या आप जानते हैं वर्ष में दो बार क्यों मनाई जाती है हनुमान जयंती ?

धर्म डेस्कः- हिंदू शास्त्रों के अनुसार कलयुग में सबसे शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं राम भक्त हनुमान। ये अपने भक्तों की मनोकामनाएं शीघ्र पूरी करते हैं। कहते हैं हनुमान जी आज भी इस दुनियां में निवास करते हैं। शास्त्रों में जिन सात चिरंजीवियों का जिक्र आता है उनमें अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और भगवान परशुराम हैं। इन्हें अमर आत्माएं माना जाता है जो आज भी पृथ्वी पर हमारे बीच मौजूद हैं। लेकिन सबसे ज्यादा हनुमान जी की पूजा आराधना की जाती है और रामभक्त हनुमान अपने भक्तों को कभी निराश नहीं होने देते। अगर सच्चे मन से इनकी आराधना की जाए तो ये हमारी हर मनोकामना पूरी करते हैं। हनुमान जी को बजरंगबली, मारुति, अंजनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, बालाजी नामों से भी पुकारा जाता हैं।

हनुमान जी का जन्म साल में दो तिथियों में मनाया जाता है पहला चैत्र माह की पूर्णिमा को तो दूसरी तिथि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। एक तिथि को जन्मदिवस के रूप में तो दूसरी को विजय अभिनन्दन महोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

हम चैत्र माह की शुक्ल पूर्णिमा को हनुमान जयंती तो मनाते हैं,

लेकिन महर्षि वाल्मिकी द्वारा रचित रामायण में इसके बारे में अलग तथ्‍य हैं, जिसके अनुसार हनुमान जी का जन्‍म कार्तिक मास की कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी को मंगलवार के दिन, स्‍वाति नक्षत्र और मेष लग्‍न में हुआ था।

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दीपावली को मनाई जाने वाली हनुमान जयंती के बारे में एक कथा भी प्रचलित हैं, कहते हैं कि माता सीता ने हनुमान जी की भक्ति और समर्पण को देखकर उनको अमरता का वरदान दिया। ऐसा माना जाता है कि वो दिन दीपावली का दिन था। इसलिए इस दिन को भी हनुमान जयंती के रुप में मनाया जाता है। इस दिन सिंदूर चढ़ाने से बजरंग बलि प्रसन्न होते हैं।

सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये।
भक्तयां दत्तं मया देव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्।।