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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवसः “आधी आबादी” के बिना उन्नति अधूरी…!

महिला दिवस…महिलाओं के लिए वो खास दिन जिस दिन महिलाओं के प्रति प्यार, आदर व सम्मान प्रकट करते हैं, ये वो दिन है जब उनके आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपल्ब्धियों को हासिल करने की खुशी में उत्सव के रूप में मनाया जाता है, महिलाओं को सशक्त करने के लिए हर साल एक थीम को चुना जाता है, इस साल की थीम है #Balance for better, यानि महिला दिवस पर जेंडर को बैलेंस बनाने के लिए इस थीम का चुनाव किया गया ताकि महिला को पुरुषों की तरह समान अधिकार मिलें। इस खास दिन पर गूगल डूडल (Google Doodle) ने भी शानदार ग्रफिक्स के ज़रिए महिला दिवस की शुभकामनाएं दी हैं।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत कब से हुई ?

सबसे पहली बार 1909 में अंतरराष्ट्रिय महिला दिवस मनाया गया था। 28 फरवरी, 1909 को पहली बार अमेरिका में महिला दिवस सेलिब्रेट किया गया। सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने न्यूयॉर्क में 1908 में गारमेंट वर्कर्स की हड़ताल को सम्मान देने के लिए इस दिन का चयन किया ताकि इस दिन महिलाएं काम के कम घंटे और बेहतर वेतनमान के लिए अपना विरोध और मांग दर्ज करवा सकें। इसी के साथ रुसी महिलाओं ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 28 फरवरी को मनाकर पहले विश्व युद्ध का विरोध दर्ज किया. यूरोप में महिलाओं ने 8 मार्च को पीस ऐक्टिविस्ट्स को सपोर्ट करने के लिए रैलियां कीं थीं. वहीं, आधिकारिक तौर पर यूनाइटेड नेशन्स ने 8 मार्च, 1975 को पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था।

कहां मनाया जाता है महिला दिवस ?
भारत के साथ-साथ विदेशों में भी International Women’s Day को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. सबसे पहला महिला दिवस न्यूयॉर्क शहर में 1909 में एक समाजवादी राजनीतिक कार्यक्रम के तौर पर मनाया गया. आगे चलकर 1917 में सोवियत संघ ने 8 मार्च को राष्ट्रीय छुट्टी घोषित किया. महिलाओं के प्रति बढ़ती जागरुकता के साथ महिला दिवस भी मदर्स डे, वैलेंटाइन डे और फादर्स डे की तरह ही मनाया जाने लगा. अब पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को पूरे जोश के साथ मनाया जाता है.

पिछले कुछ सालों से महिला उत्थान को काफी महत्व दिया जा रहा है और जिसके चलते कई तरह के प्रयास भी किए जा रहे हैं। देश में महिला सशक्तिकरण के कार्यों में तेज़ी आई है, जिस वजह से महिलाएं खुद समाज की खोखली जंजीरों से मुक्त होकर आगे आयीं हैं। सरकार भी महिला उत्थान के लिए नई-नई योजनाएं बना रही है, ताकि देश की हर महिला शिक्षित हो, अपने पैरों पर खड़ी हो।

 

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आज देश में महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं, लेकिन अभी भी देश का बहुत बड़ा तबका ऐसा है जो आज भी संकीर्ण मानसिकता का शिकार है। जहां एक ओर बड़े शहरों और मेट्रो सिटी में रहने वाली महिलाएं शिक्षित, आर्थिक रुप से स्वतंत्र, नई सोच वाली, ऊंचे पदों पर काम करने वाली महिलाएं हैं, जो पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं वहीं जूसरी ओर गांवों में रहने वाली महिलाएं हैं आज भी अपने अधिकारों को नहीं जानती, आज भी घर की चार दीवारी में ही अपनी ज़िंदगी बिता देती हैं। वे मानसिक प्रताड़ना, अत्याचारों और सामाजिक बंधनों की इतनी आदी हो चुकी हैं की अब उन्हें वहां से निकलने में डर लगता है। वे उसी को अपनी नियति समझकर बैठ गई हैं। हमें आज भी गावों की औरतों को सक्षम बनाने की ज़रूरत है।

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महिला दिवस साल में सिर्फ एक दिन ही नहीं बल्कि साल के हर दिन मनाया जाना चाहिए। सारे विश्व में महिला दिवस मनाया जाना महिलाओं के गौरवान्वित करने के लिए एक सराहनीय कदम है।

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महिलाओं द्वारा किए गए कार्यों का सराहना करना, उनका सम्मान करना व उनके प्रति आभार प्रकट करने का ये खास दिन महिलाओं में और भी साहस भरता है। सहीं मायनों में आधी आबादी यानि महिलाओं के बिना किसी भी राष्ट्र की उन्नति की कल्पना भी नहीं की जा सकती।