धर्म डैस्कः अगर आपको प्रभू श्री राम के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास है, तो आपके मन में भी ज़रूर कई ऐसे प्रश्न उठते होंगे जो श्री राम के बारे में और ज्यादा जानने की जिज्ञासा रखते होंगे। श्री राम 14 वर्षों के दौरान जिन स्थानों पर रहे उन ऐतिहासिक स्थानों पर वादियां, गुफाएं, पहाड़ आज भी उनके सानिध्य के साक्षी हैं वहां उनके पद चिन्हों की खोज की जा रही है। गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में कई स्थानो में श्री राम के पद-चिह्न होने के प्रमाण भी हाथ लगे जिसके चलते भगवान श्री राम के पथ-गमन सर्वे की शुरुआत मध्य प्रदेश संस्कृति बोर्ड ने वर्ष 2009 में शुरू की थी। राम वन गमन पथ से जुड़े प्रदेशों में होशंगाबाद, जबलपुर, अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, सतना, चित्रकूट व अन्य जिलों से साक्ष्य एकत्रित किए जाने की कोशिश की जा रही है।
ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो ये कुछ ऐसे महत्वपूर्ण अंचल हैं जहां श्री राम से संबंधित साक्ष्य जुटाए जा सकते हैं। कुछ साल पहले एक अखबार को पुराविद् आरएनएस परमार ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि “उमरिया जिले में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पार्क में राम-सिया मंदिर के अलावा सीता मढ़िया है, जिससे आगे आने पर दशरथ घाट भी भगवान राम के वन गमन पथ में शामिल किया गया है। उन्होंने इसके अलावा शहडोल के गंधिया मंदिर, करुआ गांव की सीतामढ़ी, दियापीपर में सीतामढ़ी के अलावा अंतरा, सिंहपुर, लखबरिया गुफाओं, भठिया, वनचाचर को भी महत्वपूर्ण बताया”, वहीं स्थानिय निवासियों का मानना है कि वनसुकली के पास जंगल में स्थित सीतामढ़ी की गुफाओं में बने चित्र आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण हैं और वहां एक बड़े पत्थर पर भगवान राम के पद चिन्ह हैं।