60 के दशक में हिंदी सिनेमा में एक वो भी दौर था जब हिट गर्ल यानिकी आशा पारेख की फिल्में सूपर-डूपर हिट हुआ करती थी, उनकी इतनी कामयाबी, नाम और शोहरत को देखते हुए ही शायद हिंदी सिनेमा में वो हिट गर्ल के नाम से फेमस हो गईं थी, वैसे उनके बारे में कहा जाता है कि वे काफी शरारती, चुलबुली और नटखट किस्म की थीं इसलिए उनकी इमेज टॉम-बॉय की थी। उनके शुरुआती फिल्मी करियर की अगर बात की जाए तो बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट आशा को फिल्म “गूंज उठी शहनाई” में काम करने का मौका मिला लेकिन डायरेक्टर विजय भट्ट ने उन्हें यह कहकर फिल्म में नहीं लिया कि उनके अंदर स्टार बनने के कोई भी गुण मौजूद नहीं हैं।
सुनो सजना के पपीहे ने कहां सबसे पुकार के….. फिल्म “आए दिन बहार के”
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https://www.youtube.com/watch?v=iCsa5eG9oo0
उस वक्त उसी टीम में नासिर हुसैन भी मौजूद थे उन्हें आशा पारेख के साथ उनका इस तरह का रवैया बिल्कुल भी पसंद नहीं आया। उन्होंने इस घटना के ठीक एक हफ्ते बाद आशा को फिल्म “दिल देके देखो” के लिए साइन कर लिया। फिल्म इतनी हिट रही कि आशा रातोंरात स्टार बन गईं। बस फिर क्या था इसके बाद आशा पारेख ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
ओ मेरे सोना रे…सोना रे….सोने रे….
नासिर ने आशा से इस दौरान छः फिल्में साइन करवाई जो कि एक के बाद एक सूपर हिट रही। ये फिल्में थी तीसरी मंज़िल, बहारों के सपने, प्यार का मौसम, फिर वही दिल लाया हूं, जब प्यार किसी से होता है। बस फिर क्या था इन फिल्मों ने इतनी वाहवाही और सुर्खियां बटोरी कि आशा पारेख और नासिर की जोड़ी को दर्शकों में पसंद किया जाने लगा। आशा के करियर को निखारने-संवारने में डायरेक्टर नासिर हुसैन की सबसे बड़ी भूमिका रही उन्हें अगर आशा पारेख के गोड फादर कहें तो इसमें कोई ताज्जुब की बात नहीं होगी।
तेरी आंखों के सिवा दुनियां में रखा क्या है….. फिल्म- “चिराग”
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नासिर के अलावा उन्होंने दूसरे बैनर्स के लिए भी काम किया जिससे एक चुलबुली इमेज से दर्शकों के सामने उनकी एक गंभीर इमेज भी सामने आई। राज खोसला द्वारा निर्देशित फिल्म ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’, ‘दो बदन और चिराग’, शक्ति सामंत की ‘कटी पतंग’ ने उन्हें एक अलग छवि और अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया।
आशा पारेख ने लगभग अपने दौर के सभी सूपरहिट सितारों के साथ काम किया, बल्कि ऐसा कहना गलत न होगा कि आशा जिस भी फिल्म में काम करती थी वह फिल्म सूपरहिट हो जाती थी। उन्होंने शम्मी कपूर, राजेश खन्ना, धर्मेन्द्र, जॉय मुखर्जी, राजेंद्र कुमार, मनोज कुमार जैसे सूपर हिट अभिनेताओं के साथ काम किया, एक्टर शम्मी कपूर के साथ उनकी जोड़ी खूब जमी, वैसे आशा शरारती तो थीं ही, वो शुरु से ही शम्मी कपूर को चाचा कहकर बुलाया करती थी।
जब चली ठंडी हवा, तब उठी काली घटा, मुझको ऐ जाने वफा तुम याद आए….फिल्म “दो बदन”
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फिल्मों में काम करते-करते आशा पारेख को नासिर साहब से प्यार हो गया, लेकिन नासिर हुसैन पहले से शादीशुदा थे, पर आशा पर इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ा। आशा पारेख ने अपनी एक इंटरव्यू में कहा था कि “मैने ज़िंदगी में बस एक ही इंसान को चाहा। मैं कभी उनका घर नहीं तोड़ना चाहती थी। यही वजह है कि मैं नहीं चाहती थी कि वो मुझसे शादी करें, और मैं खुद भी किसी और के साथ रिश्ते में नहीं बंधना चाहती थी”।

तुम मुझे यूं भुला न पाओगे……फिल्म “पगला कहीं का”
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आशा की मां ने इस रिश्ते के लिए अपनी सहमति दे दी थी लेकिन नासिर हुसैन का परिवार इस रिश्तें के सख्त खिलाफ थे।
आइए देखते हैं उनकी एक इंटरव्यू….