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Happiness is Free: आइए अपनी अंतरआत्मा को पुनर्जीवित करें !

आप, अपने आप के लिए बेहद महत्वपूर्ण इंसान हैं, उसके बाद अपने परिवार व दोस्तों के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। हो सकता है आपके कई तरह के फर्ज भी हों और कर्तव्य भी, आपको कई तरह की जिम्मेदारियां भी पूरी करनी हों, इसी की जद्दोजहद में आप रात-दिन भाग रहे हैं, और ऐसे भाग रहें हैं कि आपके पास अपने लिए भी समय नहीं। अब तो शायद आपको ऐसा लगता होगा कि खिलखिलाकर हंसे हुए भी कितने दिन बीत चुके हैं….

चलीए अपनी रफ्तार को कुछ धीमा किया जाए, जहां कुछ फुरसत के लम्हें सिर्फ और सिर्फ आपके हों, लेकिन उससे पहले आपको अपने विचारों में संतुलन और गंभीरता लानी होगी। आपको विचारवान बनना होगा। यहीं से अपने आप को पुनर्जीनित करने का पहला रास्ता शुरू होता है।

ज़िंदगी का आनंद यूं ही नहीं मिलता साहब ! अपने आप को अंदर तक झांककर देखना जरूरी है। सबसे पहले आप उन रास्तों पर चलना बंद करें जो आपको अतीत की गलियों में धकेलते हैं। फिर आपको भविष्य की चिंता को भी छोड़कर वर्तमान को अपनाना होगा और अपने आप से ये कहना होगा कि आज जो कुछ भी मेरे पास है वही सबसे अच्छा है। कल क्या था और आगे क्या होगा उसकी चिंता करना छोड़ दें, संघर्ष करते रहें तो वर्तमान और भविष्य खुद-ब-खुद अच्छा होता जाएगा। अपनी दौड़ती-भागती ज़िंदगी की रफ्तार थोड़ी धीमी कर अपने मस्तिष्क को आराम दीजिए। फुरसत के लम्हों में प्रकृति के साथ समय बिताएं।

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अब आपको गुस्सा आने से पहले ये सोचना होगा कि आपको गुस्सा क्यों आया, उसे टालने की कोशिश करें। अपने आपको तनाव से बाहर रखें। हर काम को आनंद के साथ करें फिर वो काम आपको बोझ नहीं लगेगा आपका पैशन बन जाएगा। गुस्सा, तनाव, लड़ाई-झगड़ा इन सब चीज़ों से किनारा कर अपना एक अलग रास्ता बनाएं। दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें, और ये याद रखें कि आपका जन्म लड़ने-झगड़ने के लिए नहीं हुआ है।

जिंदगी बेहद खूबसूरत है इसलिए उसे एक अच्छे ढंग से जीने की कोशिश करें। चाहें परिस्थितियां कैसी भी हो उसमें भी प्यार से जीया जा सकता है, बस जीना आना चाहिए। प्रेरणा और परिवर्तन जीवन में कभी भी मिल सकते हैं। हम भाग क्यों रहें हैं ? इसका जवाब शायद आज किसी के पास नहीं, बस सबका यही मानना है कि अगर जिंदगी के साथ भागेगें नहीं तो हम दूसरों से पीछे रह जायेंगे। लेकिन ऐसा भी तो हो सकता है कि आप समय से पहले अपने काम को पूरा करने की कोशिश करें तो शायद आपका भागना कम हो सकता है, अपने टारगेट पहले से प्लैन करके रखें। भागकर ऑफिस जाने की बजाए घर से थोड़ी जल्दी निकल जाएं और आराम से ऑफिस पहुंचे, देखना सुकून मिलेगा।

असल में हमारे अंदर सहजता और ठहराव की कमी होती जा रही है जिसके चलते हमें सबसे आगे भागना है, यै कैसी दौड़ है भई जिसमें आप सबसे तेज़ दौड़कर भी पीछे हैं, अगर आप ट्रैफिक में फंसे हैं बार-बार हॉर्न बजाने की जगह सहज बनें, दूसरों के प्रति विनम्र बनें, अरे.. जाना तो सबको है, कोई पहले निकल गया तो कोई बाद में..ठीक ज़िंदगी की तरह….इतने में दीमाग का पारा हाई करने से क्या फायदा ? शांति पाने का एक ये ही रास्ता है आपको कई ऐसे मौकों पर विनम्र और सहज रहना है जहां झगड़ा होने की संभावना हो, ऐसे में कई बड़ी घटनाएं होने से टल सकती हैं। अगर आप दूसरे को नहीं बदल सकते तो कोई बात नहीं अपने आप को तो बदल सकते हैं ? कुछ भी बुरा करने से पहले एक बार अपने अंदर की आवाज़ को सुनें। जब भी हम कोई गलत काम करने लगते हैं तो कोई अज्ञात संकेत हमें बार-बार चेतावनी देते हैं कि ये सही नहीं है, ऐसी अनुभूति हरेक के जीवन में होती है जो हमें किसी का अच्छा करने के लिए संकेत देती है तो बुरा करने पर चेतावनी। यही आपकी अंतरआत्मा है, जिसे नकारकर हम मनमाने ढंग से काम करते हैं। उसे सुनें, जानें, समझें। देखना ऐसे बदलाव आपकी अंतरआत्मा को फिर से पुनर्जीवित कर देंगे।  

 

संपादकः- मनुस्मृति लखोत्रा