अध्यात्म डैस्कः गौतम बुद्ध के जीवन के कई ऐसे प्रसंग हैं, जिनसे हम प्रेरणा पाकर अपने जावन में सुधार ला सकते हैं, और उन्हीं प्रसंगों द्वारा सुखी जीवन के सूत्र बताए गए हैं। जो लोग इन सूत्रों को अपने जीवन में अपना लेते हैं, उनकी कई परेशानियां दूर हो सकती हैं। यहां जानिए ऐसा ही एक प्रसंग।
चर्चित प्रसंग के अनुसार एक बार गौतम बुद्ध किसी गांव में गए। वहां एक महिला ने उनसे पूछा कि आप तो किसी राजकुमार की तरह दिखते हैं, आपने युवावस्था में गेरुआ वस्त्र क्यों धारण किए हैं?
इस प्रश्न के जवाब में बुद्ध ने कहा कि मैंने तीन प्रश्नों के हल ढूंढने के लिए संन्यास लिया है। हमारा शरीर युवा और आकर्षक है, लेकिन यह वृद्ध होगा, फिर बीमार होगा और अंत में यह मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा। मुझे वृद्धावस्था, बीमारी और मृत्यु के कारण का ज्ञान प्राप्त करना है। बुद्ध की ये बात सुनकर महिला बहुत प्रभावित हो गई और उसने उन्हें भोजन के लिए अपने घर पर आमंत्रित किया।
जब ये बात गांव के लोगों को मालूम हुई तो सभी ने बुद्ध से कहा कि वे उस महिला के यहां न जाए, क्योंकि उसका चरित्र अच्छा नहीं है। बुद्ध ने गांव के सरपंच से पूछा कि क्या ये बात सही है? सरपंच ने भी गांव के लोगों की बात को सही बताया।
तब बुद्ध ने सरपंच का एक हाथ पकड़ कर कहा कि अब ताली बजाकर दिखाओ। सरपंच ने कहा कि यह असंभव है, एक हाथ से ताली नहीं बज सकती। बुद्ध ने कहा कि ठीक इसी प्रकार कोई महिला अकेले ही चरित्रहीन नहीं हो सकती है। अगर इस गांव के पुरुष चरित्रहीन नहीं होते तो वह स्त्री भी चरित्रहीन नहीं होती। अगर इस गांव के सभी पुरुष अच्छे होते तो यह महिला ऐसी न होती। ये बातें सुनकर वहां खड़े सभी लोग शर्मिंदा हो गए।
इस प्रसंग से सीख क्या मिली ?
हमें किसी दूसरे को दोष देने से पहले अपने अंदर झांक लेना चाहिए।