कहते हैं सीखने कि कोई उम्र नहीं होती…हर उम्र में जितना सीखा जाए वो आपके ज्ञान में इज़ाफा ही करेगा। एक बार विख्यात दार्शनिक और महान विद्वान प्लेटो से कुछ लोग मिलने आए। उनसे कई विषयों पर चर्चा हुई। प्लेटो उनके प्रश्नों के उत्तर देते, फिर उनसे भी कुछ पूछते। आगंतुक आए तो थे प्लेटो से कुछ सीखने, समझने और उन्हें जानने, लेकिन प्लेटो ही उनसे सीखने लगे। यह देख कर मिलने वालों को बड़ी हैरानी होती और वे मन ही मन में सोचने लगते कि शायद प्लेटो के बारे में कुछ ज्यादा ही बढ़ा-चढ़ा कर कहा जाता है। वह इतने बड़े विद्वान लगते तो नहीं। वे तो हम लोगों की तरह एक साधारण से आदमी हैं।
खैर, उस व्यक्ति के जाने के बाद प्लेटो का एक शिष्य बोला, सर आप दुनियां के जाने-माने विद्वान और दार्शनिक हैं, आपसे मिलने जो कोई भी आता है आपसे कुछ जानने की इच्छा रखता है लेकिन उल्टे आप उनसे ही कुछ न कुछ पूछते रहते हैं। ऐसा मालूम होता है कि आपको कुछ आता ही नहीं। आप एक साधारण से आदमी की तरह बातें करने लगते हैं। आने वाले लोगों पर इसका क्या असर पड़ता होगा?
प्लेटो ने कहा, “लोग मेरे बारे में कुछ बी सोचते हैं, सोचते रहें, मैं तो इतना जानता हूं कि जो व्यक्ति अपने आप को महान और विद्वान समझने लगता है वह या तो सबसे बड़ा मूर्ख होता है या वह झूठ बोलता है। हरेक में सोचने समझने की क्षमता होती है, भले ही वह कह न पाता हो, प्रत्येक व्यक्ति के प्रत्येक शब्द का महत्व है। ज्ञान अथाह है उसकी कोई सीमा नहीं है। मेरा ज्ञान समुद्र की एक बूंद के बराबर है। जिस तरह एक-एक बूंद से समुद्र बनता है, उसी तरह ज्ञान की एक-एक बूंद से ज्ञान बढ़ता है। किसी को छोटा मत समझो इसलिए मैं हमेशा दूसरों से सीखने के लिए प्रयत्नशील रहता हूं। दूसरे मेरे बारे में क्या सोचते हैं इससे मुझे कोई खास फर्क नहीं पड़ता।“