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Happiness is Free: बदकिस्मती अगर पीछा नहीं छोड़ रही तो कुछ बाते अपनाएं और बदल डालें अपनी ज़िंदगी !

किस्मत बहुत बड़ी चीज़ है साहब! अगर ये चाहे तो राजा को रंक और रंक को राजा बना देती है….किस्मत के आगे किसका ज़ोर चला है भला? अक्सर कई लोगों को आपने किस्मत को कोसते हुए सुना होगा…लेकिन क्या आप भी किस्मत के खेल को सच मानते हैं ? मैं तो नहीं मानती…मुझे तो ऐसा लगता है बहुत से मामलों में हमारे द्वारा लिए गए गलत निर्णयों की वजह से ही हम अपनी असल ज़िंदगी में दुख भोगते हैं….और बहुत सी बातें किस्मत के सहारे छोड़कर हाथ पर हाथ रखकर अच्छा वक्त आने का इंतज़ार करते रहते हैं….ये भी सच है कि ज्यादातर लोग किस्मत यानी भाग्य पर इतना विश्वास करते हैं कि अपने जीवन में सुख और दुख आने के कारण किस्मत को ही मान लेते हैं जिस वजह से वह स्वयं अपने अच्छे या बुरे वक्त में भी अपनी ओर से सबकुछ ठीक करने की कोई कोशिश ही नहीं करते…जिस वजह से अपने आज का एंजॉए नहीं कर पाते…जब छोटी-छोटी खुशियों से हम अपनी खुशी के कारण नहीं ढूंढेगे तो फिर आपकी ओर आने वाले बड़ी खुशियों के रास्ते कैसे खुलेंगे….वो बात अलग है जब आप बुरी परिस्थितियों में घिरे होते हैं तो खुश रहा भी कैसे जा सकता है….लेकिन ये भी तो सोचिए बुरे वक्त का चक्रव्यूह भी आप ही को तोड़ना होगा…कोई नहीं आएगा आपको उसमें से बाहर निकालने….ये भी हमेशा याद रखें कि वक्त हमेशा एक सा नहीं रहता…..इसे गुज़रना ही होगा…आज नहीं तो कल….लेकिन वक्त के साथ यदि आप अपनी सोच भी बदल लेगें तो ये आपके लिए ही अच्छा रहेगा….

घड़ी की टिकटिक को कभी महसूस किया है ? हमारी सांसे भी इसी तरह हमारे भीतर टिकटिकी लगाए चल रहीं हैं…घड़ी की तरह ये चलती ही रहेंगी….जब हमारा अंत समय आएगा तभी बंद होंगी….लेकिन इसी बीच ज़िंदगी के खट्टे-मीठे स्वाद तो चखने ही पड़ेंगे….तो फिर ये दुख कैसा? बल्कि बुरे वक्त में परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए..बल्कि डटकर मुकाबला करना चाहिए…। अपने अंदर की ताकत को पहचानें….आप कमज़ोर नहीं हैं…..अपने हालातों को बदलने का दम रखते हैं आप…एक बार फिर से उठ खड़ें हों और बदल डालिए अपनी ज़िंदगी….किसी दूसरे को अपनी ज़िंदगी मत चलाने दें….ये आपकी ज़िंदगी है…इसे आपको अपने तरीके से चलाना है…न कि किसी दूसरे के तरीके से….उठें और अपने आंसुओं को पोंछ डालें….अपने घर से बाहर निकलकर सूरज को निहारें…उनसे अधिक ऊर्जावान और समय का पाबंद कोई और हो ही नहीं सकता….उनसे प्रेरणा, ऊर्जा और शक्ति मांगे….देखना आपके मन में एक नईं शक्ति व ऊर्जा का संचार होने लगेगा…रोज़ ऐसा करें….मन में सकारात्मकता आएगी।

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एक गीत मेरे पिता जी जब भी सुना करते थे इमोशनल हो जाया करते थे….मैं उनकी नम आंखे देख उनसे हमेशा पूछती थी कि पापा ऐसा क्या है इस गीत में जो आप हमेशा इमोशनल हो जाते हैं….और मुझे भी सुनने के लिए कहते हैं…तब मैं छोटी थी…मुझे उस गीत में छिपी गहराई समझ नहीं आती थी….आज पापा नहीं हैं…लेकिन उस गीत की गहराई मुझे आज समझ आती है….कई बार सुना होगा आपने भी वो गीत…जिसके बोल हैं…”आगे भी जाने ना तू…पीछे भी जाने न तू जो भी है यही इक पल है”….आप भी इस गीत को एकबार ज़रूर सुनें और मुझे यक़ीन है कि आप उसे बार बार सुनेंगे….सच में…जो वक्त गुज़र गया वो आपका अतीत था….अब वो वापिस नहीं आयेगा…और जो आने वाला है उसके बारे में आप अन्जान हैं….तो फिर बीते हुए और आने वाले कल की फिक्र करना व्यर्थ हैं….लेकिन जो आपका आज है बस यही वो पल है जिसमें हमें अपनी ज़िंदगी को खूबसूरत तरीके से जीना है….क्योंकि ज़िंदगी की सांसों का क्या पता कितनी है…इसलिए आज के वक्त से खूबसूरत कोई पल हो ही नहीं सकता….।

संपादकः मनुस्मृति लखोत्रा

Image Courtesy: Pixabay