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Religion & Faith: जब भी गौमाता आपके द्वार आकर मां कहकर पुकारे तो उन्हें कुछ खिलाएं ज़रूर…!

गाय कितना ही प्यारा, शांत व सौम्य पशु है……गाय की दिव्यता के बारें में जितनी बात की जाए उतनी ही कम है। आपने भी देखा होगा….गाय जब भी घर के द्वारे खाने के लिए कुछ मांगने आती है तो उसकी रंभाने की आवाज़ से यूं लगता है मानों मां कहकर पुकार रही हो…..जैसे पुराने समय में साधु-संत जब भिक्षा मांगने आते थे तो वे भी घर के द्वार के बाहर माता कहकर पुकारते थे…..गौ माता भी स्वयं जब भी किसी के द्वारे जाती है तो मानों ऐसा लगता है जैसे कह रही हो ‘मां…….भिक्षाम देही’….., लेकिन क्या आप जानते हैं गाय के रंभाने मात्र से चतुर्दिक आध्यात्मिक दिव्यता का प्रसार होता है। सिर्फ इतना ही नहीं गाय को पर्यावरण की संरक्षिका भी कहा जाता है। आपने यदि स्वदेशी गाय को ध्यान से देखा हो तो गाय की गर्दन के पास पृष्ठ भाग में शिवलिंग की भांति एक उभार होता है। उसमें सूर्य केतु नाम की एक नाड़ी होती है जो सूर्य की किरणों से ऊर्जा को आकृष्ट करती है…और हम लोग कितने ही स्वार्थी हो गए हैं…..गाय को अपने घर के बाहर से डंडा लेकर आगे भगा देते हैं……आज गौ माता की जो दूर्दशा हो रही है उसके जिम्मेदार हम स्वयं ही हैं…….अरे वो तो कितना ही भोला पशु है….प्यार और दुलार देने वाला पशु है…..अपने दूध से कितने ही परिवार और बच्चों को पालती है…लेकिन जब वो दूध देने लायक नहीं रहती तो हम लोग उसे सड़कों पर कूड़ा-कबाड़ खाने के लिए छोड़ देते हैं……या फिर कहीं न कहीं  वो कटने के लिए भेज दी जाती है…..कितना पाप कमा रहे हैं हम…..क्या आप जानते हैं जब उन्हें छोड़ दिया जाता है तो वो कूड़े-कचरें में पड़े पोलोथिन खा लेती हैं जो उनके पेट मे जम जाते हैं जिससे उनको अपने प्राण गंवाने पड़ते हैं….इसलिए कृपया करके खुले में प्लास्टिक के लिफाफे न फैंके। मुझे लगता है जब तक हमें किसी से कोई  फायदा नहीं दिखाई देता तब तक हम उस व्यक्ति, वस्तु या जानवर को अहमियत नहीं देते इसलिए यहां सबको गौमाता के बारे में विस्तार से बताना ज़रूरी है ताकि आपके मन में उनके प्रति प्यार व श्रद्धा जगे।

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सनातन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जहां गाय पूजनीय है और उसे गौमाता कहकर पुकारा जाता है, जहां गाय को सिर्फ एक दूध देने वाला पशु न मानकर देवताओं का प्रतिनिधि माना जाता है, कहते हैं जो मनुष्य रोज़ाना गौ स्पर्श करता है वो संपूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है, सिर्फ इतना ही नहीं गाय का समूह जिस स्थान पर बैठकर आराम से सांस लेता है वो स्थान दिव्य हो जाता है और वहां के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से एक दूसरा कारण ये भी हो सकता है कि गाय ही एक मात्र ऐसा पशु है जो न केवल ऑक्सीज़न ग्रहण करता है बल्कि ऑक्सीज़न छोड़ता भी है। जो पुण्य कितने ही हवन-यज्ञ करने से, तीर्थ स्थानों के दर्शन व स्नान करने से, दान-पुण्य करने से ब्राह्मणों को भोजन कराने व व्रत-उपवास करने से प्राप्त होते हैं वहीं पुण्य केवल गौ माता को हरी घास खिलाने से प्राप्त होते हैं। ये भी माना जाता है कि गौसेवा करने से दुख व दुर्भाग्य दूर हो जाते हैं….और घर में सुख व समृद्धि आती है…और जिस घर में खाने से पहले गौ-ग्रास निकाला जाता है उस परिवार में कभी अन्न की कमी नहीं रहती और सभी देवता प्रसन्न रहते हैं।

हिंदू धर्म में प्राचीन काल से ही वेदों में गौ माता की महिमा व महत्व के बारे में वर्णन मिलता है। ये माना जाता है कि गाय के प्रत्येक अंग-प्रत्यंग में दिव्य शक्तियों का वास होता है। मान्यता ये भी है कि गाय के पैरों में लगी हुई मिट्टी का तिलक करने से तीर्थ व स्नान का पुण्य मिलता है। घर में गाय के घी से दीपक जलाने से नकारात्मकता दूर होती है और गाय का दूध पीने से और गौमूत्र का इस्तेमाल करने से कई बिमारियों व परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

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पदम पुराण के अनुसार गाय के मुख में चारों वेदों का निवास है, 33 प्रकार के देवताओं का वास गौमाता में होता है…। गाय के सींगों में भगवान शंकर और विष्णु सदैव विराजमान रहते हैं। गाय के उदर में कार्तिकेय, मस्तक में ब्रह्मा, ललाट में रुद्र, सींगों के अग्र भाग में इंद्र, दोनों कानों में अश्विनीकुमार, नेत्रों में सूर्य और चंद्रमा, दातों में गरुड़, जिह्वा में सरस्वती, अपान में सारे तीर्थ, मूत्र-स्थान में मां गंगा, रोमकूपों में ऋषि गण, पृष्ठभाग में यमराज, दक्षिण पार्श्र्व में वरुण एवं कुबेर, वाम पार्श्रव में महाबली यक्ष, मुख के भीतर गंधर्व, नासिका के अग्रभाग में सर्प, खुरों के पिछले भाग में अप्सराएं निवास करती हैं। पदम पुराण के अलावा स्कंद पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण, महाभारत में भी गौ के प्रत्येक अंग में देवी-देवताओं को निवास का विस्तृत वर्णन मिलता है।

भिन्न-भिन्न रंग की गाय के दूध में भिन्न-भिन्न प्रकार के गुण भी विद्यमान होते हैं। गौ को आदित्य की बहन भी माना जाता है इसलिए 12 मासों का तरह 12 आदित्य भी हैं। गौ को 11 रुद्र, 8 वसु, 12 आदित्य, यज्ञरूप प्रजापति, मेघरूपी इंद्र को 33 प्रकार के मूल में जो देव हैं उनके बराबर माना गया है इसलिए गौ विश्व माता भी है। ये भी माना जाता है कि गाय गोबर में लक्ष्मी का निवास होता है तो वहीं गौ मूत्र से लीवर संबंधी और मधुमेह की बीमारी भी दूर की जाती है…………………….to be continued…..

संपादकः मनुस्मृति लखोत्रा

( इस आलेख में दी गई जानकारी विभिन्न स्त्रोतों से ली गई है जिसका उद्देश्य सामान्य जानकारी देना है )

Image courtesy- Pixabay