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Religion & Faith: मानो या ना मानो आपकी औलाद आपके पूर्व जन्म के कर्मों का फल है, लेकिन जो प्रकृति के नियमों के विरुद्ध चलेगा, वो भोगेगा, जानिए कैसे ?

धर्म एवं आस्थाः  कई बार हमने किसी न किसी को ये कहते हुए तो ज़रूर सुना होगा कि शायद मैने पिछले जन्म में कोई अच्छे कर्म किए होंगे जो इस जन्म में मुझे आप मिले..वगैरह वगैरह….लेकिन यक़ीन मानिए हमारे शास्त्रों की मानें तो ये सच हैं….हमारे जीवन में आए लोग, रिश्तेदार-सगे-सबंधी व औलाद हमारे पिछले जन्म के कर्मों के फल ही होते हैं। हालांकि इस विषय पर वैज्ञानिकों के अलग-अलग मत हो सकते हैं लेकिन यदि शास्त्रों की मानें तो पूर्व जन्म के कर्मों से ही हमें इस जन्म में रिश्ते मिलते हैं जो अपना कर्ज चुकाने या बदला लेने के लिए किसी न किसी रूप में आपके जीवन में आते हैं खासतौर पर औलाद के रूप में।

जो प्रकृति के नियमों के विरुद्ध चलेगा, वो भोगेगा…

इसीलिए शास्त्रों में कहा गया है कि कभी किसी का भी बुरा नहीं करना चाहिए क्योंकि प्रकृति का नियम ही यही है जो आप बोओगे वही आप पाओगे। उसे आपको इस जीवन में या अगले जीवन में सौ गुणा वापिस चुकाना होगा यानिकि अगर आपने किसी की एक रुपये की मदद की है तो आपके खाते में 100 रुपये जमा हुए हैं और यदि आपने किसी से एक रुपया ना है तो आपको सूद समेत 100 रुपये वापिस करने होंगे। इस बात का स्पष्ट उल्लेख श्रीमद्भागवत गीता में अर्जुन और श्री कृष्ण संवाद के दौरान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं न तो मैं किसी को दुख देता हूं और न ही किसी को सुख देता हूं। मनुष्य स्वयं अपने पूर्व जन्म के कर्मों को भागता है। इसलिए ही ये माना जाता है कि औलाद के रूप में हमारा पूर्व जन्म का किसी से रह गया कोई हिसाब चुकता करने ही हमारा कोई सगा संबंधी इस जन्म में औलाद के रूप में जन्म लेकर आता है।  

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शास्त्रों में इसे इन चार तरीकों से सुलझाया गया है।

ऋणानुबन्ध :- ऋणानुबंध में कहा गया है कि यदि पूर्व जन्म का कोई ऐसा इंसान जिससे आपने ऋण लिया हो या उसका किसी भी प्रकार से धन बर्बाद किया हो, तो वह आपके घर में संतान बनकर जन्म लेता है और आपका धन बीमारी में या व्यर्थ के कार्यों में तब तक नष्ट करता रहेगा जब तक उसका हिसाब पूरा ना हो।

शत्रु पुत्र :- पूर्व जन्म में यदि आपने दुष्मनी में किसी को कष्ट पहुंचाया है तो वह इस जन्म में अपनी दुष्मनी का बदला लेने आपके घर औलाद के रूप में जन्म लेगा और बड़ा होने पर संतान के रूप में अपने माता-पिता से मारपीट करना, झगड़ा करना, या उन्हें सारी जिन्दगी किसी भी प्रकार से सताता ही रहेगा। हमेशा कड़वा बोल कर उनकी बेइज्जती करेगा व उन्हें दुःखी रख कर खुश होगा।

उदासीन पुत्र :- पूर्व जन्म में यदि कोई इंसान अपने माता-पिता या अन्य रिश्तेदारों के प्रति उदासीन है तो अगले जन्म में ऐसे व्यक्ति के बच्चें उसकी सेवा नहीं करेंगे और ना ही उसे कोई सुख देंगे। ऐसी औलाद अपने माता-पिता से किनारा कर उन्हें उनके हाल पर मरने के लिए छोड़ देती है। विवाह होने पर वह माता-पिता से अलग हो जाते हैं।

सेवक पुत्र :- पूर्व जन्म में यदि आपने किसी की दुख के समय खूब सेवा व मदद की है, तो वह अपनी की हुई सेवा का ऋण उतारने आपकी सेवा करने के लिये पुत्र या पुत्री बन कर आता है। ये भी कहा जाता है कि यदि आपने पूर्व जन्म में किसी गाय की सेवा की है तो वह इस जन्म में पुत्री बनकर आपकी सेवा करने आती है।

श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार ये भी बातें होती हैं लागू

यह सब बातें सिर्फ मनुष्य पर ही नहीं लागू होती हैं बल्कि इन चार प्रकार में कोई जीव भी आपकी औलाद के रूप में जन्म ले सकता है। यदि आपने पूर्व जन्म में किसी पशू या गाय की सेवा की और जब उनसे स्वार्थ निकल गया या जब उसने दूध देना बंद कर दिया तो उसे घर से निकाल दिया गया ऐसे में वह जीव आपके जीवन में ऋणानुबंध पुत्र या पुत्री बनकर आता है और आपको तब तक हानि पहुंचाता है जब तक उसका बदला न पूरा हो जाए और यदि आपने किसी निरपराध जीव को सताया है तो वह भी आपके जीवन में शत्रु बनकर आएगा और आपसे बदला लेगा।

( इस आलेख में दी गई जानकारी विभिन्न स्त्रोतों से ली गई है जिसका उद्देश्य सामान्य जानकारी देना है)