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BLOG: भविष्य के लिए सबक दे रहा है कोरोना वायरस का डर, क्या अब भी हम संभल जायेंगे या फिर !!!

खैर, एक बात तो तय है कि कोरोना वायरस ने वो कर दिखाया जो कितने ही सालों से सरकारें न कर सकी….,कोरोना के खौफ से कई ऐसे प्रयोग भी सफल होते दिखाई दे रहें हैं, जिन्हें अपनाकर भविष्य में हम कई तरह के संकटों से बच सकते हैं…और दुनियां ने जो सबक लिए वो अलग हैं…कि अगर भविष्य में कोरोना जैसा या इससे भी बड़ा संकट आ भी जाए तो हम कितने तैयार हैं और ऐसा संकट कभी भी आ सकता है और जब भी कोई ऐसा संकट आएगा तो वह बताकर नहीं आएगा…इसलिए कोरोना के वक्त सामने आ रही चुनौतियां, मुश्किलें व मौतें हमें भविष्य के लिए चीख-चीख कर सतर्क रहने के लिए आगाह कर रही हैं कि, ‘जी हां हमें भविष्य में सावधान रहने की ज़रूरत है’…।

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Manusmriti Lakhotra,
Editor theworldofspiritual.com

दूसरा सबक हमने क्या लिया कि ऐसी खौफनाक महामारी को भी हराया जा सकता है लेकिन एक-दूसरे की मदद के बिना नहीं। इस महामारी की वजह से कई देश, कई राज्य, कई कुटुंब फिर से एक हो गए हैं….जहां दूरियां थी वहां फिर से एक दुसरे की सलामती के लिए दिलों में प्यार की एक नई रोशनी जग गयी है…।

यक़ीनन कोरोना से जीती जंग किसी युद्धक्षेत्र से जीती जंग से कम नहीं, इन दिनों ये भी देखा जा रहा है जब भी कोई व्यक्ति कोरोना की जंग को जीत कर वापिस लौटता है तो कैसे डॉक्टर्स, नर्स, सुरक्षाकर्मी, घर-परिवार, गली-मौहल्ले के लोग तालियों से उसका स्वागत करते नज़र आ रहे हैं…।

ऐसे समय में देश के प्रधानमंत्री द्वारा देश की जनता से तालियां, घंटियां या शंख बजाने का आह्वाहन करना हो या फिर मोमबत्ती, दिया या फ्लैशलाइट जलाने की गुज़ारिश करना हो ये इसी बात का प्रतीक है की हम भारत देश के वासी किसी भी विपत्ति से डरने वाले नहीं, बल्कि एकजुट होकर कोरोना जैसे राक्षस का वध करेंगे और दिया जलाकर जीत का जश्न मनाएंगे।

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असल में कोरोना से जीती जंग मानवता की जीत है, बुराई पर अच्छाई की जीत है, हम सबका फिर से एकजुट होने का प्रतीक है…

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और सबसे बड़ी खास बात ये है कि कोरोना के खिलाफ विश्वव्यापी छिड़ी जंग के दौरान कई देशो में जारी लॉकडाउन ने जनता और सरकार को बहुत सी बातें जानने और समझने का मौका दिया वो कौन सी बातें हैं आइए जानते हैं…।

  1. कोई भी खतरा जब भी आएगा एक तो वो बताकर नहीं आएगा अचानक से आएगा और ऐसे में हमें कौन-कौन से कदम उठाने होंगे…?
  2. हम कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए भविष्य में कितने तैयार हैं और अगर नहीं हैं तो अभी से हमें अपनी क्षमताएं बढ़ानी होंगी। अपनी तैयारियां बड़े पैमाने पर करनी होंगी।
  3. कोरोना जैसी महामारी से हमें वर्तमान में आर्थिकतौर पर कितना नुकसान हो रहा है और कितना आगे होने की आशंका है, भविष्य में ऐसी महामारियों से निपटने के लिए हमें अपना आर्थिक पक्ष और कितना मजबूत करना होगा। इसके लिए हमें क्या-क्या तैयारियां करनी होंगी ?
  4. वैश्विक स्तर पर कोरोना जैसी महामारी से बचने के लिए सभी देशों को एक-दूसरे की मदद करने के लिए एक-जुट होना होगा।
  5. सबसे सराहनीय कदम ये रहा कि आर्थिक चपत की परवाह किए बिना सभी देशों ने मानवता को सर्वोपरि रखा और मानवता को बचाने के लक्ष्य से ज़रूरी क़दम उठाए।
  6. सरकार ने देश की जनता को बचाने के लिए उपर्युक्त कदम तो उठाए ही लेकिन सरकार के नियमों का पालन करते हुए देश के डॉक्टर्ज़, पुलिस, सेना, सफाईकर्मी, इमरजैंसी सेवाएं देने वाले लोग अपनी जान की परवाह किए बिना अपनी-अपनी कर्मभूमि पर डटे रहे और कई डॉक्टर्ज़ ने कोरोना पीड़ितों की जान बचाते हुए अपनी जान गवां दी। जिसके लिए देश की जनता को गर्व होना चाहिए।

 क्या अब भी हम संभल जायेंगे या फिर प्रकृति को करेंगे चैलेंज ?

एक तरफ जहां महामारी डर अभी भी मंडरा रहा है लेकिन दुसरी तरफ अगर नज़र दौड़ाएं तो प्रकृति में कई बदलाव देखे जा सकते हैं…।

अभी हालही में आयी एक रिपोर्ट के मुताबिक हरिद्वार गंगा घाट पर गंगा इतनी साफ पहली बार दिखी, ये कहा जा रहा है कि इन दिनों गंगा का जल इतना साफ है कि पीने योग्य है। इम दिनों पूरी दुनियां में खासकर एशिया के देशों में जिसके तहत चीन, पाकिस्तान, भारत मुख्य हैं व अन्य देश, जिनकी आबोहवा व स्वच्छ वातावरण में ज़मीन-आसमान का अंतर देखा जा रहा है। बीते कुछ वर्षों में जहां इन देशों में प्रदूषण का स्तर इतना अधिक था कि सांस तक लेना दुर्भर था लेकिन कोरोना वायरस के चलते इन सभी देशों की हवा बेहद साफ है, ज़ाहिर सी बात है कि इन दिनों सड़कों पर वाहन नहीं दौड़ाए जा रहे। इस बेहद खास जानकारी पर सरकार की नज़र तो है ही लेकिन जनता भी ये साफतौर पर महसूस कर रही है कि बेवजह सड़कों पर वाहन दौड़ाना रोका जा सकता है, बेवजह बाहर निकलना भी कम किया जा सकता है, घरों पर रह कर कितनी तरह की बिमारियों से हम बच सकते हैं, आसमान पर प्राइवेट एयरक्राफ्ट व अन्य उड़ाने बंद है, वायु प्रदूषण कम होने से फिर से आसमान नीला दिखाई देने लगा है, प्रदूषण के बादल छट गए हैं, बेकार की आवाजायी बंद है लोग घरों से ही काम कर रहे हैं, वैसे घर से काम करने का चलन पश्चिमी देशों में काफी समय से था लेकिन अब भारत जैसे विकाशशील देश भी से आने वाले समय में ये लागू कर सकते हैं, मीटिंग्स भी वीडियोकॉन्फ्रेसिंग द्वारा की जा सकती है जिससे न ही बाहर बेफालतू की आवाजायी होगी, न ही घरों से ज्यादा निकलना पड़ेगा और न ही ज्यादा मेलजोल से संक्रमण का खतरा बढ़ेगा। ऐसा करने से जनता भी प्रदूषण रोकने में सरकार के साथ अपनी भागीदारी दे सकती है। तो वहीं ये सारा आलम देखते हुए सरकार भी भविष्य में प्रदूषण को रोकने के लिए कई ऐसे ठोस क़दम उठा सकती है।

धन्यवादः आपकी शुभचिन्तक, मनुस्मृति लखोत्रा