आज हम आपको कुण्डली रहस्य की जानकारी देंगे। हमारे ऋषि मुनियों की मानव संस्कृती पर विशेष अनुकम्पा रही है। ये उन्हीं के अमोघ ज्ञान का परिणाम ही था जब मनुष्य की कुण्डली रहस्य को जानने के प्रति जिज्ञासा जगी और ज्योतिष शास्त्र का जन्म हुआ।
मानव ने जब आँख खोली तो उसने आकाश में ग्रहों नक्षत्रों एवं तारों को चमकते देखा और पाया कि सभी अपनी निश्चित चाल से गतिशील हैं। तब उसके मन में ग्रहों और नक्षत्रों के रहस्य को जानने की इच्छा पैदा हुई।
शुरुआत में नक्षत्रो और ग्रहों को देवता मान लिया गया और उनकी पूजा करना आरंभ कर दी। वेदों में सूर्य और चन्द्रमा को देवताओं की संज्ञा देकर उन्हे पूरा सम्मान प्रदान किया गया। धीरे- धीरे मानव सभ्यता का विकास होने लगा और उस वक्त मानव ने गणित का भी ज्ञान प्राप्त कर लिया था। तब उसे पता चला कि ये सब दूर दूर रहकर भी एक दूसरे से सम्बंधित हैं, व सभी सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं। ये भी अनुभव किया गया कि इन ग्रहों के भ्रमण से ही सब परिवर्तन होता है। उसने इनके बारे में और अधिक जानने का प्रयास किया व पाया कि ये सामान्य परिवर्तन है ही नही ये तो अद्भुत है इसका मानव शरीर पर भी प्रभाव पड़ता है तथा इन ग्रहों के फलस्वरुप ही मानव के जीवन पर भी असर पड रहा है। बस यहीं से ज्योतिष विज्ञान ने जन्म लिया।
ज्योतिष ग्रहों और नक्षत्रों का सुन्दर संयोजन व अध्ययन है। इसके द्वारा मानव जानने लगा कि कौन सा ग्रह पृथ्वी से कितनी दूर है एवं उन सभी ग्रहों का आपस में कितना मेलजोल है और एक दूसरे के बीच कितनी दूरी है ? सभी ग्रह अपने आप में एक विशेष आकर्षण लिये हुए हैं तथा सभी ग्रह आपस में चुम्बकीय शक्ति द्वारा एक दूसरे को आकर्षित करते रहते हैं। ज्योतिष में इसे दृष्टी संबध कहा जाता है।
आकाशमण्डल में जितने भी ग्रह हैं उन सभी का किरणों द्वारा मानव जीवन पर प्रभाव पडता है। ग्रहों की स्थिती और प्रकृती द्वारा मानव का जीवन और क्रियाक्लाप बन जाता है।
मानव ने इन ग्रहों का बहुत अच्छी प्रकार से अध्ययन किया और समझा कि किस ग्रह का किस प्रकार से किसी भी जातक पर प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार फलित ज्योतिष का जन्म हुआ ।
आकाश बहुत ही व्यापक और अनंत है। उसे साधारण नेत्रों से देख पाना भी दुष्कर है। इसलिए कुण्डली निर्माण आवश्यक कार्य समझा गया । अगर देखा जाए तो जन्म पत्री एक प्रकार से आकाश मण्डल का चित्र ही है एवं जो स्थति आकाश मण्डल में व्यक्ति के जन्म समय होती है जन्म कुण्डली को उसी के माध्यम से दर्शाया जाता है । आगे भी हम आपको भाव संबंधी ग्रहों की विस्तृत जानकारी देते रहेंगे ।
लेखकः ज्योतिषाचार्य शंकर शर्मा ( ज्योतिष शास्त्र एक्सपर्ट, सिवान, कैथल ( हरियाणा )
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To be continued…
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