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Way to spirituality: दोहरा व्यवहार आत्मीयता खो देता है…!

हर किसी का व्यवहार एक जैसा नहीं होता, किसी के व्यवहार में कुछ बातें अच्छी हैं तो किसी में कुछ और, अपने आप में पूर्ण कोई भी नहीं है, हरेक में कुछ दोष पाये जाते हैं और कुछ गुण, ऐसे में किसी को भी देवता मान लेना भी ठीक नहीं और दानव मान लेना भी ठीक नहीं, यदि ऐसे आदमी के साथ आपका वास्ता पड़ जाये तो हमें उसके गुणों को अपनाना है और दोषों को नज़रअंदाज़ करना है। कई बार बहुत सी बातें नज़रअंदाज़ करने से बहुत से झगड़े टल जाते हैं।

लेकिन कई लोगों का व्यवहार समझ पाना एक पहेली की तरह होता है…पीठ पीछे कुछ और व सामने कुछ और…यानीकि पीठ पीछे आपकी बुराई करने वाले और सामने मीठा-मीठा बोलकर प्यार जताने वाले लोग। ऐसे लोग कड़वे वचन बोलने वालों से ज्यादा खतरनाक होते हैं। हरेक उनकी द्विविध नीति को नहीं समझ पाता। ऐसे लोग समाज में भी दो तरह का चेहरा लेकर घूमते हैं और हमारा समाज ऐसे लोगों को शिष्ट और सभ्य समझता है, लेकिन ऐसे लोगों की राजनीति ज्यादा समय तक नहीं टिकी रह सकती आखिरकार एक न एक दिन उनका चेहरा सामने आ ही जाता है। दोहरी राजनीति अपनाकर अपने आप को बुद्धिमान समझना बहुत बड़ी मूर्खता है। ऐसे लोगों से किनारा करना ही अच्छा क्योंकि ऐसे लोगों की करनी और कथनी में फर्क होता है, दोहरा व्यहवहार करने वाले लोग अपनी अत्मीयता ही खो देते हैं।

धन्यवाद, आपकी दोस्त, मनुस्मृति लखोत्रा