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Way to Spirituality: बिना परिवर्तन के हम कितने अधूरे…!

कहते हैं परिवर्तन सृष्टि का नियम है…और दुनियां की सबसे खूबसूरत आदत भी….सोचिए कि बिना परिवर्तन के हम कितने अधूरे हैं ? यदि हमारे जीवन में परिवर्तन ही नहीं होगा तो हमारी ज़िंदगी कितनी नीरस और एक जैसी हो जाएगी ?….हम सिर्फ एक रोबोट या काम करने वाली मशीन की तरह हो जाएंगे….जैसे रोबोट का काम सिर्फ कमांड देने पर काम करने का होता है, उसमें न ही तो इच्छाएं होती हैं, न ही भावनाएं, न ही आत्मीयता, न ही महसूस करने की क्षमता और न ही प्रेम जैसे कोमल व संवेदनशील भाव….क्योंकि इंसान के साथ प्रतिस्पर्धा कभी कोई मशीन कर ही नहीं सकती….ठीक वैसे ही यदि हमारे जीवन में भी कोई बदलाव नहीं होगा, हम रोज़ाना एक जैसी ही रूटीन फॉलो करेंगे तो हमारे पास कुछ करने लायक रहेगा ही नहीं…और धीरे-धीरे क्या होगा….हमारी इच्छाएं मरने लगेंगी….हम ज़िंदगी के खूबसूरत रसों का स्वाद चख ही नहीं पाएंगे….।

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Manusmriti Lakhotra, Editor : https://theworldofspiritual.com

अब देखिए हमारे आसपास प्रकृति के अदभुत नज़ारों का आनंद लेने के लिए कितना कुछ है, मन को अपनी ओर आकर्षित करने वाले कितनी ही तरह के अदभुत, दुर्लभ, आकर्षक, खूबसूरत और स्वास्थ्यवर्धक फूल, पेड़, पौधे और वनस्पतियां हैं, जिनकी ओर हमारा ध्यान जाता ही नहीं इसलिए इनके होने या न होने से हमारा जीवन कितना सूना है हम इस बात का अंदाज़ा लगा ही नहीं पाते….क्या बिना हरियाली के हम पत्थरों के शहर में रह सकते हैं ? …शायद कभी नहीं…..पंछियों के बिना क्या ये आसमान खूबसूरत लग सकता है ? क्या इनकी चीं-चिड़ाहट के बिना कोई सुबह अच्छी लग सकती है ?….क्या फल, सब्ज़ियों व अन्न के बिना हम जीवित रह सकते हैं ? क्या पानी का दूसरा कोई विकल्प हो सकता है ?  क्या जीव, जन्तु व जानवरों के बिना हमारी नदियां, पहाड़ व जंगल खूबसूरत लग सकते हैं ? क्या बारिश, हवा, बादल, बिजली के बिना हमारा पारिस्थितिक तंत्र सही चल सकता है ? जी बिल्कुल नहीं, कहीं पहाड़ों में चले जाओ, आपकी आंखे पहाड़ों की खूबसूरती के दर्शन करते थकेंगी ही नहीं….वैसे कुदरत ने प्रकृति को इतनी खूबसूरती और इंदरधनुषी रंगों से यूं ही नहीं नवाज़ा है…कुछ तो बात होगी…हां…बात सिर्फ यहीं है कि कुदरत ने इस बेशुमार खूबसूरती को हमारे लिए ही रचाया और संवारा है ताकि हम जब तक इस धरती पर रहें हमारे आनंद में कोई कमी नहीं आनी चाहिए। कुदरत के बारे में मैं और कितनी बातें बोलूं…मुझे लगता है उसकी महिमा का बखान करने के लिए मेरे पास न ही तो शब्द हैं और न ही  मेरी इतनी औकात है कि प्रकृति की खूबसूरती और रहस्यों के बारे में लिख सकूं….लेकिन फिर भी अपने आराध्य, प्रकृति व ब्रह्मांड के बारे में भावनाएं व्यक्त करके जिस आनंद को मैं महसूस करती हूं वो मैं बयां ही नहीं कर सकती….इसलिए माफ कीजिएगा हर बात में उसी की बात निकल आती हैं….।

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वैसे मेरी बात आपसे कुछ और हो रही थी जीवन में परिवर्तन के बारे में और बात कब प्रकृति की शुरू हो गई पता ही नहीं चला….खैर…बातों को घूमा-फिरा कर प्रकृति की ओर ले जाने का मेरा मकसद ही यही है एक तो आपको हमेशा कुदरत के साथ जोड़े रखना और दूसरा हमेशा आपको ये याद दिलाना कि हमारे पास प्रकृति की और से दिया हुआ इतना कुछ है जिनकी शायद हमारे नाम की रजिस्ट्री तो नहीं है लेकिन फिर भी उन सब पर हमारा अधिकार ज़रूर है…हम सब अमीर हैं…दुनियां में आकर कमाया हुआ धन भले ही हमारे पास हो या न हो क्योंकि ये हमें अपने कर्म और कर्मों से हासिल करना होता है लेकिन इस धरती पर पैदा होते ही प्रकृति की हर खूबसूरत चीज़ हमारी है और उसका आनंद लेने और महसूस करने का हक़ भी। इसलिए जीवन में कभी भी थक जाएं, हार जाएं, अकेले हो जाएं, अपने आप में परिवर्तन लाएं, चाहे वो आपकी आदते हों, आपकी दिनचर्या हो, आपकी इच्छाएं हो, आपके आसपास का माहौल हो, आपके आसपास के लोग हों, आपके काम करने का तरीका हो या फिर जब मन का न हो रहा हो तो प्रकृति में अपना वक्त बिताना शुरू करें…मेरी तरह….देखना सुकून मिलेगा….।

धन्यवाद, आपकी दोस्त, मनुस्मृति लखोत्रा