बार-बार टूटना..बिखरना…फिर से खड़े होना…ऐसी फितरत उस इंसान की ही हो सकती है जो सिर्फ अपने हौसलो से आगे बढ़ता हैं, जिसे आगे बढ़ने के लिए किसी सीढ़ी की ज़रूरत नहीं होती, जिसे किसी भी परिस्थिति में कोई चुनौती गिरा नहीं सकती, जिसकी रगों में मेहनत का लहू दौड़ता है, जिसके माथे पर पसीने की चमक तकदीर संवारती है, हां कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं…।

कहते हैं कुछ लोगों की ज़िंदगी में हुए हादसे बहुत कुछ सिखा जाते हैं…जो बार-बार ज़िंदगी से मिली हार से पस्त होकर भी फिर से खड़े होने का होसला जुटाते हैं असल में वो ही असली बाज़ीगर कहलाते हैं…। न जाने ऐसी कौन सी मिट्टी के बने होते हैं वो लोग जो हर बार हौसले की धूप में पककर एक नया मुकाम हासिल करते हैं…। जहां सब कुछ खत्म होने के नाम पर हमारी रूह तक कांप जाती है ऐसे में ज़िंदगी की मुश्किलों भरे रास्तों पर चलकर फिर से अपनी ज़िंदगी को चटख खुशनुमा रंगों से सराबोर करने का जज़्बा रखने वाले लोग आखिरकार प्रेरणा कहां से लाते हैं आइए आज इस बारे में ज़रा गुफ्तगू की जाए….।
ईश्वर न करे कि किसी के भी जीवन में कभी ऐसा समय आए कि जब हमें लगे कि अब सब कुछ खत्म हो चुका है, लेकिन कई बार ऐसा न चाहते हुए भी हमें कईबार ऐसे वक्त का सामना करना पड़ जाता है कि जब हमें लगता है कि अब सब कुछ खत्म हो चुका है….ऐसा सोच कर हमें ग़मगीन नहीं होना चाहिए….यकीन मानिए तब भी हमारे पास बहुत से ऐसे रास्ते खुले होते हैं जो उदासी की धुंध में शायद हमें नज़र नहीं आते लेकिन जैसे-जैसे उदासी की धुंध छटने लगती है तब नई रोशनी की एक नन्हीं सी किरण हमें साफ नज़र आने लग जाती है कि हां अभी ज़िंदगी बाकी है, उस पार एक रास्ता और भी है…।
एक सच बात बताऊं कि जीवन में कुछ भी नष्ट होता ही नहीं है असल में समय के अनुसार हमारे जीवन में जो विस्तार होना चाहिए बस हम उसी की ओर बढ़ रहे होते हैं….बल्कि जिसे हम अंत समझ कर उदास हो रहे होते हैं असल में वह किसी न किसी नई शुरुआत का अहम हिस्सा होता है…वो कहते हैं न कि नियति में कुछ भी होना पहले से ही निर्धारित होता है…जो कि हमारे अच्छे के लिए ही होता है, जो उस वक्त हमें बुरा लगता है लेकिन समय आने पर हमें समझ आता है कि जो भी हुआ वो हमारे अच्छे के लिए ही था। भले ही आज आपका सब कुछ नष्ट हो जाए, लेकिन अपनी ढृढ़ शक्ति के बल पर आप दोबारा पहले से कही बेहतर और सुंदर तैयार कर सकते हैं, दुनियां में बहुत से ऐसे उदाहरण हैं जिन्होंने एक बार नहीं दो बार नहीं बल्कि कितनी ही बार अपना सबकुछ खो दिया लेकिन फिर भी वो हारे नहीं बल्कि उन्होंने अपनी दौगुनी शक्ति और मेहनत के साथ पहले से भी अधिक हासिल किया, यहां एप्पल कंपनी के सीईओ स्टीव जॉब्स का उदाहरण आपको प्रेरणा दे सकता है। उन पर भी कई बार ऐसा दौर आया था जब बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के साथ होने वाले मतभेदों की वजह से उन्हें अपनी ही कंपनी से बाहर कर दिया गया, लेकिन इससे उनके होसले पस्त नहीं हुए। अगले पांच वर्षों में उन्होंने एक नई कंपनी ‘नेक्स्ट एंड पिक्सर’ की शुरुआत की। आज यह दुनियां का सबसे बड़ा स्टूडियो है जिसने पहली एनिमेटेड फीचर फिल्म ‘टॉय स्टोरी’ का निर्माण किया। फिर क्या था उनकी इस कामयाबी को देख एप्पल कंपनी ने फिर से स्टीव जॉब्स को वापस बुला लिया, लेकिन कैंसर की वजह से 2011 में उनका निधन हो गया, पर अपने मजबूत इरादों की वजह से वह सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए।
लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा है कि हमारे भीतर ये प्रेरणा आती कहां से है…? मनोवैज्ञानिकों की माने तो ‘रेस्पांस एफर्ट थ्योरी’ एक ऐसा सिद्धांत है जिसके अनुसार मानवीय प्रवृति ही यही है कि अनुकूल व आरामदेह परिस्थितियों में व्यक्ति अतिरिक्त प्रयास करने की कोशिश नहीं करता, क्योंकि उसे सब कुछ आराम से मिल रहा होता है, जीवन की कठिनाईयों या विषम परिस्थितियों को वह भूल चुका होता है, जिस वजह से कुछ ज्यादा हासिल करने की उसे कहीं से प्रेरणा नहीं मिलती। जीवन की कठिनाईयां हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।
हां, जीवन में सब कुछ खोने का डर बेहद असहनीय होता है फिर भी ज़िंदगी वहीं तो नहीं खत्म हो जाएगी, अपने दुखों को छोड़कर आगे बढ़ने की हिम्मत जुटाना ही ज़िंदगी है। हां ये हो सकता है कि बाधाओं की वजह से कुछ समय के लिए हमारे जीवन में ठहराव आ जाए लेकिन इसे अपनी ज़िंदगी का स्थायी हिस्सा बनाकर दुखी रहना कहां तक सही है…? जितनी जल्दी हो सके अपने आप को संभालने की कोशिश कीजिए और इस सबसे उबरने की कोशिश कीजिए। अपने सेल्फ एस्टीम को मजबूत बनाएं रखें। ऐसे में दोस्तों, रिश्तेदारों, पड़ोसी या जानने वालों की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि यदि आपके आसपास कोई ऐसा व्यक्ति है जो किसी तरह के सदमें में है उसे उसमें से बाहर निकालने में मदद करें, ताकि आपके द्वारा मिले हौसले और प्रेरणा से फिर से किसी का घर आबाद हो जाए।
आपके साथ अक्सर मैं वहीं बातें साझा करती हूं जो पहले मेरे अपने जीवन में घटित होता है, या मेरे आसपास घटित हो रहा होता है। फिर जिन बातों से मैं खुद प्रेरणा लेती हूं, उन परिस्थितियों से बाहर निकलती हूं, फिर से हौसला जुटाती हूं, फिर कुछ लिखती हूं और आपके साथ सांझा करती हूं और अपने प्रिय पाठकों से उम्मीद करती हूं कि आप भी अपने जीवन की हरेक चुनौती को सकारात्मकता के साथ देखें उसके गर्भ में बहुत कुछ छुपा हुआ होता है जो समय आने पर हमें अपने आप ही मिल जाता है इसलिए हमेशा खुश रहें, स्वस्थ रहें, आपका हर दिन शुभ हो।
धन्यवाद, आपकी दोस्त, मनुस्मृति लखोत्रा