श्री ‘राम’ नाम की महिमा बड़ी अपरंपार है। जिन्होंने इसे पहचाना वो भवसागर से पार उतर गए। कहते हैं यदि आप अन्जाने में ही सही ‘श्रीराम’ नाम का उच्चारण करते हैं तो आप अन्जाने में ही एक ऐसे महामंत्र का जाप कर रहे हैं जिसका जप स्वयं भगवान शिव करते रहते हैं, सिर्फ राम नाम का उच्चारण इतना शक्तिशाली व सरल है जो निश्चिततौर पर मोक्ष देने वाला है, इस मंत्र को जपने के लिए कोई बंधन नहीं है यानि आयु, स्थान, परिस्थिति, काल, जात-पात आदि किसी भी तरह का कोई बंधन नहीं है।

जिस क्षण मन में श्रीराम नाम के धुन की अलख जगे तभी इस राम नाम का जाप कर लें। सिर्फ एक श्रीराम नाम आपकी सब इच्छाओं, मुश्किलों से मुक्ति पाने की औषधी है और यदि आप ‘श्री राम जय जय राम जय जय राम’ इन साधारण से दिखने वाले सात शब्दों का उच्चारण करते हैं तो आप तारक मंत्र का उच्चारण कर रहे हैं जिसकी शक्ति का अनुभव आप स्वयं कर सकते हैं।
आइए श्रीराम रूपी महामंत्र की महिमा को अलग-अलग दृष्टिकोण से समझते हैः- ये महामंत्र ‘श्री’ से प्रारंभ होता है। ‘श्री’ को सीता अथवा शक्ति का प्रतीक माना गया है। राम शब्द ‘रा’ अर्थात र-कार और ‘म’ मकार से मिलकर बना है। आइए इसका अर्थ समझते हैं ‘रा’ अग्नि स्वरूप है जो कि हमारे दुष्कर्मों का दाह करता है और ‘म’ जल तत्व का स्वरूप है, जल आत्मा की जीवात्मा पर विजय का कारक है, और यदि योगशास्त्र की दृष्टि से समझना हो तो ‘रा’ वर्ण को सौर ऊर्जा का कारक माना गया है। यह हमारी रीढ़-रज्जू के दाईं ओर स्थित पिंगला नाड़ी में स्थित है। यहां से यह शरीर में पौरूष ऊर्जा का संचार करता है। ‘मा’ वर्ण को चन्द्र ऊर्जा का कारक अर्थात स्त्री लिंग माना गया है। यह शरीर की रीढ़-रज्जू के बाईं ओर स्थित इड़ा नाड़ी में प्रवाहित होता है। इसीलिए कहा गया है कि श्र्वास और निश्र्वास में निरंतर र-कार ‘रा’ और म-कार ‘म’ का उच्चारण करते रहने से दोनों नाड़ियों में प्रवाहित ऊर्जा में सामंजस्य बना रहता है और यदि आध्यात्मिक दृष्टि से श्री राम नाम की महिमा को समझना हो तो जब कोई व्यक्ति ‘रा’ शब्द का उच्चारण करता है तो उसके आंतरिक पाप बाहर फेंक दिए जाते हैं जिससे उस व्यक्ति का अंतःकरण निष्पाप हो जाता है, और यदि पूरे तारक मंत्र ‘श्री राम जय राम जय जय राम’ का सार एक लाइन में समझना हो तो यही कहा जा सकता है – शक्ति से परमात्मा पर विजय।

श्रीराम नाम की महिमा के बारे में और क्या कहा जाए जिसे हमारे ऋषि मुनियों ने पहचाना और इस अदभुत, अद्वितीय, तेजस्वीं, दैवीय, और पूजनीय ‘श्रीराम’ नाम को नामों के आगे लगाना शुरु किया, आज भी प्रत्येक हिंदू परिवार में राम के नाम का सोहर होता है, हरेक शुभ अवसर पर श्रीराम नाम का उच्चारण किया जाता है, राम नाम जीवन का महामंत्र है। शास्त्रों के अनुसार पूरे राम नाम में पूरा ब्राह्मांड समाया हुआ है। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिखा है। प्रभु के जितने भी नाम प्रचलित हैं। उनमें सर्वाधिक श्री फल देने वाला नाम राम का ही है। इससे बधिक, पशु, पक्षी, मनुष्य आदि तर जाते हैं। कहते हैं सारी ज़िंदगी भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन रहने वाली मीराबाई ने अंततः यही गाया “पायो जी मैने राम रतन धन पायो” उन्होंने कृष्ण रत्न धन क्यों नहीं कहा क्योंकि राम नाम के बिना मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती।
( इस आलेख में दी गई जानकारी विभिन्न स्त्रोतों से ली गई है )
Everything you have said is true. Jai Siya Ram Ji