Poetry Breakfast: “कहीं पे धूप की चादर बिछा के बैठ गए, कहीं पे शाम सिरहाने लगा के बैठ गए”: गज़लकार दुष्यंत कुमार

1. हुज़ूर आरिज़-ओ-रुख़्सार क्या तमाम बदन मिरी सुनो तो मुजस्सम गुलाब हो जाए उठा के फेंक दो खिड़की से साग़र-ओ-मीना ये तिश्नगी जो तुम्हें दस्तियाब हो जाए वो बात कितनी…

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Divine Destinations: इन दिनों बर्फ की चादर ओढ़े मनाली लग रहा है अदभुत, सच में मनाली किसी जन्नत से कम नहीं !

इन दिनों मनाली में बर्फ पड़ रही है, चारों तरफ ये अदभुत नज़ारा देखकर यूं लगता है मानों आप किसी जन्नत में आ गए हों। यहां चारों ओर देखने पर…

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धर्म एवं आस्थाः प्रयागराज में मनाया जाने वाला कुंभ इतना विशेष क्यों ? जानिए कुंभ मेले की क्या है पैराणिक कथा ?

धर्म एवं आस्थाः आपने कुंभ के मेले में बिछड़ने की कहानियां तो बहुत सुनी होंगी, फिल्मों में भी अक्सर कुंभ के मेले में बिछड़े कई किरदारों को देखा होगा। हम…

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