अक्सर हमारी अंतरआत्मा अपने जैसे लोगों को ही ढूंढती रहती है…कई बार कुछ ऐसे लोग हमारी ज़िंदगी में आते है जिनसे मिलने पर एक आनंद सा महसूस होता है…..जिनकी बातों से ज़िंदगी संवाद रचाने लगती है….जिनसे मिलकर मन को अच्छा लगने लगता है….जिनके बीच बैठकर आप अपना दुख-दर्द सब भूल जाते हैं….जिनके साथ हंसी, खुशी और ज़ोरदार ठहाकों के बीच आपका दिन यादग़ार बन जाता है…..और मन कह उठता है, अहा ! अब मेरी तलाश खत्म हो गई…ऐसी उजली आत्माएं आपके कोई दोस्त भी हो सकते हैं…कॉलीग भी हो सकते हैं…मैंटर या आपका लाइफ पार्टनर भी हो सकता है। जिनसे मिलकर कुछ ऐसी अनुभूति आप महसूस करते हैं…यक़ीन मानिए हमें संभालने वाला ऐसा कोई हमारे आस-पास ज़रूर होता है। आप मानों या न मानों, अपने चारों ओर नज़र दौड़ाकर तो देखिए…असल में आप अकेले कभी रहे ही नहीं…ऐसा कोई न कोई ज़रूर हमारे आस-पास होता है जो हमें हर बार गिरने से पहले संभाल लेता है या फिर ऐन वक्त पर कोई आपकी ज़िंदगी में आ जाता है जब सच में आपको सहारे की ज़रूरत होती है।

जो लोग हमारी ज़िंदगी से चले जाते हैं कई बार हम उनसे मन ही नहीं हटा पाते जिस वजह से हम अपनी फिक्र करने वालों को पहचान ही नहीं पाते….। मैं ऐसे लोगों को उजले लोग कहकर पुकारती हूं क्योंकि जो हमें अंधेरे से उजाले की ओर ले जाएं वो उजले लोग ही तो हो सकते हैं….अब चाहे ऐसे लोग हमारे माता-पिता हों….दोस्त हो….कॉलीग हों….पड़ोसी हो….रिश्तेदार हों…या फिर कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिनके साथ आपका कोई संबंध नहीं होता..और ना ही कोई नाम…अगर संबंध होता भी है तो वो है आत्मा का….अक्सर आत्मा के साथ जुड़े रिश्ते ज्यादा खूबसूरत, संजीदा और गंभीर होते हैं। जहां किसी तरह की कोई फॉर्मेलिटी की ज़रूरत नहीं होती….। उनकी खुशी में ही आपकी खुशी होती है।
लेकिन अफसोस आज हम किसी के साथ भी मिलने, बैठने, बात तक करने में अपना मतलब खोजने लगे हैं….यानीकि अपनी या दूसरे की खुशी में भी अपना हित ढूंढते हैं…अपने फुरसत के पलों को भी हमने मतलब के हाथों गिरवी रख दिया है। अपने दिल को भी किसी एक के हाथों सौंपना नहीं चाहते….प्यार के मायने तो फिर कोसों दूर हैं….और जहां तक रही शादीशुदा ज़िंदगी की बात रही वहां भी सिर्फ घुटन और बंधन मानकर उसकी पवित्रता, गरिमा, अपनापन, प्यार और अहसास को हम नकार कर प्यार की तलाश में भटक रहे हैं…..अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर आपका वो प्यार कहां है जिसकी तलाश अब तक खत्म ही नहीं हो रही है….क्यों न आपके पास जो रिश्ते हैं उनमें आत्मियता, प्यार और लगाव ढूंढा जाए ?….
कई बार लगता है कि वो उजले लोग कहां चले गए जिनके भीतर संवाद था…जिंदगी थी….ज्ज़बात थे…हमारे साथ वक्त बिताने वाले लोग….घर आंगन में खुशियां बांटने वाले लोग…जिनके साथ बैठकर घंटों समय बीत जाया करता था….जहां कैरम-बोर्ड की गीटीयां भी भाग-भाग कर एक-दूसरे के पाले में गिर जाया करती थीं….ताकि वो जीत जाए….हा हा….वो बिना शर्त आपकी फिक्र करने वाले….वो उजले लोग !!!
इसलिए किसी रिश्ते को कसकर पकड़े रहने की जगह खुला छोड़ दें….जो रंगीन हवाओं के साथ बहना चाहते हैं उन्हें बहने दें….जब सब रंगीन और जवां हवाएं उनका साथ छेड़ देंगी तब वो खुद-ब-खुद वापिस लौट आएंगे….।